कोलकाता में एक डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार और हत्या की घटना की व्यापक रूप से निंदा की जा रही है। विभिन्न माध्यमों, जैसे सामूहिक सभाएं, मार्च, वीडियो, सोशल मीडिया पोस्ट आदि के ज़रिए इस घिनौने अपराध के प्रति लोगों ने अपना गुस्सा जाहिर किया है। यह घटना एक बार फिर यह सवाल खड़ा करती है कि छेड़छाड़ और बलात्कार जैसे जघन्य अपराध हमारी माताओं, बहनों और बेटियों के खिलाफ क्यों बढ़ते जा रहे हैं। कई बार केवल आवाज़ उठाना काफी नहीं होता; हमें समस्या की जड़ तक पहुंचना और समाज और सिस्टम में आवश्यक बदलाव लाने की कोशिश करनी चाहिए।
समस्या की जड़ : शिक्षा प्रणाली
बलात्कार और महिलाओं के खिलाफ हिंसा के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन शिक्षा प्रणाली इन समस्याओं का एक महत्वपूर्ण कारण बनकर सामने आई है। प्राचीन काल में जब हम गुरुकुल प्रणाली का पालन करते थे, तब बलात्कार के मामले शायद ही दर्ज होते थे। वर्तमान में, प्रति घंटे बलात्कार की घटनाएं बढ़ गई हैं। इसका एक कारण वह पश्चिमी शिक्षा प्रणाली है, जिसे ब्रिटिश शासन के बाद अपनाया गया। मैकाले द्वारा तैयार की गई इस शिक्षा प्रणाली में चरित्र विकास, नैतिकता, नैतिक शिक्षा या शोध और विकास पर ध्यान नहीं दिया गया। इसका उद्देश्य केवल भौतिकवादी जीवन पर केंद्रित लालच और स्वार्थ की भावना पैदा करना था, जिसमें समाज और राष्ट्र अंतिम प्राथमिकता के रूप में थे।
यह शिक्षा प्रणाली अवांछनीय गुणों के साथ मानवों को मशीनों की तरह विकसित कर रही है। पश्चिमी संस्कृति में महिलाओं को वस्तु के रूप में देखा जाता है, और दशकों से इस शिक्षा प्रणाली को अपनाने के बाद हमारा दृष्टिकोण भी उसी दिशा में बदल गया है। इसका प्रभाव बॉलीवुड फिल्मों और टीवी शो जैसे बिग बॉस में भी देखा जा सकता है, जिन्हें लाखों लोग देखते हैं।
चरित्र निर्माण पर ध्यान
एक स्कूल बच्चे के कच्चे और मासूम दिमाग को नैतिक मूल्य, सामाजिक व्यवहार और राष्ट्र के प्रति देशभक्ति की भावना सिखाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। भौतिकवादी जीवन की ओर ध्यान केंद्रित करने की बजाय नैतिक मूल्य और जीवन कौशल सिखाना आवश्यक है, जो चरित्र निर्माण का अहम हिस्सा है। प्राचीन शिक्षा प्रणाली, विशेष रूप से गुरुकुल, में प्राचीन ज्ञान, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार को प्राथमिकता दी जाती थी, जिससे व्यक्ति का समग्र विकास होता था।
नई शिक्षा नीति की आवश्यकता
आज शिक्षा प्रणाली में आध्यात्मिक और समसामयिक ज्ञान दोनों को शामिल करने की जरूरत है, ताकि एक समग्र मानसिकता और नैतिक चरित्र का निर्माण हो सके, जिसमें महिलाओं को देवी के रूप में सम्मान दिया जाए। भगवद गीता को “प्रबंधन गुरु” माना जाता है क्योंकि इसमें जीवन के विभिन्न पहलुओं के समाधान छिपे हुए हैं। महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों, भ्रष्ट मानसिकता और स्वार्थी दृष्टिकोण को देखते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) की तत्काल आवश्यकता है।
हालांकि पश्चिम बंगाल, जहां यह जघन्य अपराध हुआ, ने NEP 2020 को लागू करने से इनकार कर दिया है। अन्य राज्यों जैसे तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और पंजाब ने भी इस नीति को अपनाने से मना कर दिया है। जब गंदी राजनीति और मानसिकता लाखों युवाओं के उज्ज्वल भविष्य से अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है, तब समाज को जागना चाहिए और कानूनी और सामाजिक रूप से इस खतरे के खिलाफ लड़ना चाहिए।
राजनीतिक दलों का विरोध और समाज की जिम्मेदारी
NEP 2020 को मोदी सरकार द्वारा डिजाइन किया गया था, लेकिन विपक्षी दल इसे चुनावी रणनीति और वोट बैंक की राजनीति के तहत आलोचना और विरोध का शिकार बना रहे हैं। जब राजनीतिक दल, खासकर वंशवादी दल, समाज की भावनाओं से खेलते हैं और समाज के हित में बने सुधारों का विरोध करते हैं, तो यह समाज के जागने का समय है।
NEP को लागू करने पर जोर देना आवश्यक है, जिसमें भगवद गीता और वैदिक ज्ञान के साथ-साथ आधुनिक तकनीक और विज्ञान शामिल हो। जो राज्य इस नीति को चरणबद्ध तरीके से लागू कर रहे हैं, उन्हें गुणवत्ता और कार्यान्वयन की गति पर ध्यान देना चाहिए।
समाज और सरकार की साझेदारी
बलात्कार, भ्रष्टाचार, नशीली दवाओं का दुरुपयोग और मानसिक समस्याएं, सभी मौजूदा शिक्षा प्रणाली से जुड़ी हुई हैं। यह समय है कि समाज और सरकार मिलकर शिक्षा प्रणाली को सुधारने और मजबूत करने के लिए काम करें। नई शिक्षा नीति का उद्देश्य नैतिक मूल्यों, तर्कसंगत सोच और साहसिक निर्णय लेने में सक्षम इंसानों का निर्माण करना है। इसका लक्ष्य एक ऐसा समाज बनाना है जो संवेदनशील, समावेशी और बहुलतावादी हो, जैसा कि हमारे संविधान में परिकल्पित किया गया है।
समाज की जिम्मेदारी
जो लोग नई शिक्षा नीति का विरोध कर रहे हैं, वे न केवल महिलाओं के बल्कि समाज और राष्ट्र के भी विरोधी हैं। समाज को ऐसे तत्वों के प्रति जागरूक होना चाहिए और किसी भी परिस्थिति में उनका समर्थन नहीं करना चाहिए।
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