नई दिल्ली। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने एक बार फिर से विवादित बयान देकर नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है। मौलाना रजवी ने फरमान जारी करते हुए कहा कि DJ बजाना, नाचना और गाना इस्लाम के खिलाफ है। उन्होंने इसे शरियत की नजर में “नाजायज” और “हराम” बताया। मौलाना ने मुस्लिम युवाओं से अपील की है कि वे तुरंत इन गतिविधियों से तौबा करें और इस्लामिक शिक्षा के अनुरूप जीवन व्यतीत करें।
मौलाना ने कहा, “इस्लाम में डांस, गाने और DJ बजाने जैसी गतिविधियों के लिए कोई जगह नहीं है। यह न सिर्फ हमारे मजहब के खिलाफ है, बल्कि यह हमारे समाज की नैतिकता को भी प्रभावित करता है। मुस्लिम नौजवानों को इन हरकतों से बचना चाहिए और इस्लाम की तालीमात पर चलना चाहिए।”
पुराने फतवे और विवाद
यह ताजा फरमान कोई पहली बार नहीं है इससे पहले भी ऐसे कई फतवे जारी किए जा चुके हैं। पिछले कुछ सालों में कई मौलानाओं ने ऐसे फतवे जारी किए हैं, जिन्होंने समाज में विवाद पैदा किए। उन फतवों में से कुछ फतवों पर डालतें हैं एक नजर-
टाइट जींस पहनने पर पाबंदी
कुछ साल पहले एक मौलाना ने मुस्लिम महिलाओं के टाइट जींस पहनने पर फतवा जारी किया था। उनका कहना था कि टाइट कपड़े पहनना इस्लाम के खिलाफ है और इसे पहनने वाली महिलाएं जहन्नुम की हकदार होंगी।
क्रिकेट देखना इस्लाम के खिलाफ
एक अन्य मामले में एक मौलाना ने कहा था कि क्रिकेट देखना और खेलना इस्लाम के खिलाफ है क्योंकि इसमें वक्त की बर्बादी होती है और इसे इस्लामिक तालीमात के तहत जायज नहीं माना जा सकता।
सोशल मीडिया पर तस्वीरें डालना हराम
एक और विवादित फतवे में सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीरें डालने को हराम बताया गया था। मौलाना का कहना था कि फोटो डालने से इस्लामिक परंपराओं का उल्लंघन होता है और यह महिलाओं की इज्जत के खिलाफ है।
मजहबी फतवों का समाज पर असर
इस तरह के फतवे अक्सर मुस्लिम समाज के दो धड़ों के बीच बहस छेड़ देते हैं। एक धड़ा जहां इस्लाम की कड़ी व्याख्या को सही मानता है, वहीं दूसरा धड़ा इन फतवों को बेतुका और बेवजह की पाबंदी बताता है। मौलाना रजवी के इस ताजा फरमान ने भी मुस्लिम युवाओं और मजहबी विद्वानों के बीच बहस को जन्म दिया है।
कई मुस्लिम बुद्धिजीवियों का मानना है कि इस तरह के फरमान समय के साथ समाज के विकास को रोकते हैं और युवा पीढ़ी को गलत दिशा में धकेलने का काम करते हैं। उनका कहना है कि इस्लामिक तालीमात को समय के साथ परखने और व्यावहारिक जीवन में अपनाने की जरूरत है।
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