महिला मुद्दों की विशेषज्ञ एवं महिला पत्रकार नमिता सिंह के अनुसार उत्तराखंड की पावन भूमि से महिलाओं और बच्चियों का गायब होना और पुलिस द्वारा उनका पता न लगा पाना चिंता का विषय है।
देवभूमि से बड़ी संख्या महिलाएं और किशोरियों के लापता होने के पीछे या तो ह्यूमन ट्रैफिकिंग का शिकार हो रही है या फिर लव जिहाद इसका बड़ा कारण माना जा रहा है।
आरटीआई से मिली जानकारी के बाद महिला पत्रकार नमिता सिंह ने एक कार्यक्रम में राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा कुसुम कंडवाल के समक्ष ये आंकड़े पेश किए। उन्होंने जानकारी दी कि जनवरी 2021 से मई 2023 के बीच 3800 महिलाएं उत्तराखंड से गायब हुई जिनमे से 2961 की घर वापसी हो गई इसमें पुलिस की भूमिका सराहनीय रही। एक अन्य जानकारी के मुताबिक इसी दौरान 1100 किशोरियों (बालिग – नाबालिग) भी गुमशुदा हुई जिनमे से 1042 की बरामदगी हो गई। अब इन आंकड़ों में 839 महिलाओ और 58 किशोरियों का अभी तक पुलिस पता नहीं लगा पाई है।
इस बारे में महिला आयोग की अध्यक्षा कुसुम कंडवाल का कहना है कि हमारी कोशिश रहती है कि हम पुलिस प्रशासन पर दबाव बनाए कि लापता या गुमशुदा महिलाओं में से शत-प्रतिशत घर वापिस आएं।
दोनों महिलाओं के विचार-विमर्श में ये बात भी सामने आई कि उत्तराखंड की महिलाएं संभवतः ह्यूमन ट्रैफिकिंग का शिकार हो रही हैं। यह भी कहा जा रहा है कि बड़ी संख्या में किशोरियां भी लव जिहाद का शिकार हुई हैं।
वैदिक मिशन के जगवीर सैनी का दावा है कि पछुवा देहरादून से कई लड़कियां लव जिहाद का शिकार होकर गायब हो गई हैं और वे अपना धर्म बदलकर यूपी, बिहार, दिल्ली जैसे इलाकों में बस गई हैं। रुद्र सेना के राकेश उत्तराखंडी कहते हैं कि पिछले दो सालों में उनकी टीम ने अकेले जौनसार बावर क्षेत्र से 76 किशोरियों को लव जिहाद का शिकार होने से बचाया है। वे कहते हैं कि मुस्लिम लड़के जनजाति क्षेत्र की लड़कियों को नाम बदलकर फंसाते हैं और फिर उन्हें बहला-फुसलाकर भगा ले जाते हैं।
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