भुवनेश्वर में स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती के बलिदान दिवस पर मिनी मैराथन दौड़ का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम जन्माष्टमी के अवसर पर स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती स्मृति ट्रस्ट द्वारा आयोजित किया गया। कार्यक्रम में तीन हजार से अधिक लोगों ने भाग लिया, जिनमें अधिकांश युवा शामिल थे। समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों ने इस कार्यक्रम में सम्मिलित होकर स्वामी जी को श्रद्धांजलि दी।
कार्यक्रम में अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती महाराज, पूर्वी भारत और ओडिशा के अध्यक्ष स्वामी शंकरानंदगिरी महाराज, ओडिशा के राधाबल्लव मठ के प्रमुख महंत रामकृष्ण दास महाराज, वरिष्ठ संन्यासी स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती महाराज, दिव्य जीवन संघ के स्वामी दामोदरानंद सरस्वती महाराज, महिमा अलेख गादी के बाबा रमेश महाराज, स्वामी जीज्ञासानंद सरस्वती महाराज, स्वामी निर्बाणानंद गिरि महाराज, विश्व हिंदू परिषद के पूर्वी मंत्री महंत कृष्ण गोपाल दास महाराज, भुवनेश्वर के चैतन्य महाराज और कई अन्य संत उपस्थित थे। इन संतों ने पताका दिखा कर विशाल सामुहिक दौड़ का शुभारंभ किया।
स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती का जीवन परिचय
स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती का जन्म 1924 में ओडिशा के अंगुल जिले के गुरुजंग गांव में हुआ था। वह 1965 में हिमालय से लौटे और गोहत्या और धर्मांतरण के खिलाफ आंदोलन में शामिल होने के लिए ओडिशा आए। 1968 में वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की योजना के तहत कंधमाल जिले में गये। स्वामी जी ने चार दशकों से अधिक समय तक संबंधित क्षेत्रों के सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक विकास के लिए अथक प्रयास किया और उन्हें सशक्त बनाने का प्रयास किया।
शिक्षा और संस्कृति के संरक्षक
स्वामीजी ने शिक्षा क्षेत्र में सुधार के लिए चक्कपाद और जलेशपटा में आवासीय विद्यालय, महाविद्यालय और छात्रावास भी स्थापित किये। उन्होंने कंधमाल जिले के सभी गांवों में सत्संग केंद्र स्थापित किया, जिससे हजारों जनजातीय लोगों को नशे की आदत से छुटकारा मिला। स्वामीजी को न केवल साहित्य और दर्शन का ज्ञान था, बल्कि कृषि, पशुपालन और फलों की खेती का भी ज्ञान था, जो उन्होंने कंधमाल में जनजातीय लोगों को सिखाया। वे जनजातीय संस्कृति के प्रमुख संरक्षक थे।
23 अगस्त 2008 को हुआ बलिदान
23 अगस्त, 2008 को, पवित्र जन्माष्टमी उत्सव के दौरान, शाम 7:30 बजे, हमलावरों ने जलेशपटा में शंकराचार्य स्कूल में प्रवेश किया, गोलीबारी की और स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती, स्कूल की संचालिका, माँ भक्तामयी, बाबा अमृतानंद, किशोर बाबा और एक छात्र के पिता, पुरंजन गंठी की हत्या कर दी। इस मामले में साजिशकर्ताओं को पकडने का आज तक प्रयास नहीं किया गया।
संतों ने इस हत्या के मामले में न्याय प्रदान करने की मांग की। स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती स्मृति न्याय के मैनजिंग ट्रस्टी मनसुखलाल सेठिया व विभिन्न सामाजिक व धार्मिक संगठनों के प्रमुख भी कार्यक्रम में उपस्थित थे। जयकृष्ण पृष्टि के संयोजन में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की स्मृति में आयोजित ये कार्यक्रम उनके योगदान को याद दिलाने का एक प्रयास था।
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