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होम भारत ओडिशा

बनो ईसाई, छोड़ दो दवाई!

कन्वर्जन के कुचक्र में फंसकर जा रही भोले-भाले ग्रामीणों की जान, अंतिम संस्कार पर भी छिड़ा विवाद

by गोलख चंद्र दास
Aug 22, 2024, 06:30 pm IST
in ओडिशा
मृतक पिंकी जामुदा

मृतक पिंकी जामुदा

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आम तौर पर ईसाई मिशनरी किसी निर्धन और बीमार हिंदू को इस बात का लालच देते हैं कि ‘ईसाई बन जाओ, तुम्हारी सारी समस्याएं छूमंतर हो जाएंगी।’ इस भयादोहन से अनेक हिंदू ईसाई बन जाते हैं। मासूम हिन्दू उनके छलावे में इस तरह आ जाते हैं कि उनकी हर बात मानने लगते हैं। यहां तक कि उनके आश्वासन पर कोई बीमार व्यक्ति दवाई तक छोड़ देता है, इस आस में कि ‘ईसा मसीह उनकी बीमारी ठीक कर देंगे।’

इससे लोगों की जान तक जा रही है। कुछ ऐसा ही हुआ ओडिशा में। पता चला है कि कुछ समय पहले ‘हो’ जनजाति की एक 36 वर्षीया महिला पिंकी जामुदा (गांव केशम, थाना बिशोई, जिला मयूरभंज) बीमार हुई। पिंकी के पति दो साल पहले ही इस दुनिया से जा चुके हैं। पिंकी ही अपने तीन बच्चों का लालन-पालन कर रही थी। इस बीच वह बीमार हो गई। डॉक्टर के पास गई तो पता चला कि उसकी किडनी खराब है। डॉक्टर की सलाह पर वह दवाई लेने लगी।

इसी बीच कुछ ईसाइयों को उसकी बीमारी की जानकारी मिली। वे लोग पिंकी के घर गए और उससे मिले। उन लोगों ने पिंकी से कहा कि ‘ईसाई बन जाओ, बीमारी ठीक हो जाएगी।’ उनके झांसे में आकर पिंकी ईसाई बन गई। इसके बाद दवाई का सेवन बंद कर वह सुबह-शाम ईसा मसीह की प्रार्थना करने लगी। दवाई नहीं खाने से पिंकी की तबीयत ज्यादा खराब हो गई। इसके बाद उसे एक ईसाई के घर रखा गया। वहां भी उसका स्वास्थ्य बिगड़ता गया। पिंकी की बिगड़ती सेहत देख उसकी नाबालिग बेटी सीता जामुदा परेशान हो गई। आखिर में वह 9 अगस्त को मां को लेकर मणदा स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची। वहां के चिकित्सकों ने पिंकी को बारीपदा के पंडित रघुनाथ मुर्मू मेडिकल कॉलेज स्थानांतरित कर दिया।

वहां इलाज के दौरान रात में पिंकी का निधन हो गया। इसके बाद सीता जामुदा के पास रोने के अलावा कुछ नहीं बचा था। खैर, उसने इसी बीच अपने कुछ रिश्तेदारों को इसकी जानकारी दी। इसके साथ ही उसने अपने गांव के चाचा सुनील जामुदा, जो राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में सुरक्षा गार्ड हैं, को भी यह दु:खद समाचार बताया। सुनील ने उसे ढाढस बंधाया और हर तरह की मदद का आश्वासन भी दिया। सुनील जामुदा ने बारीपदा के सामाजिक कार्यकर्ता टीटो हेम्ब्रम से बात करके उन्हें अस्पताल जाने को कहा। 10 अगस्त की सुबह टीटो हेम्ब्रम अस्पताल पहुंचे। उनकी पहल पर पिंकी के शव का पोस्टमार्टम हुआ।

उन्होंने ही शव को गांव तक भेजने की व्यवस्था भी की। जब पिंकी का शव गांव पहुंचा तो वहां के लोग आपस में ही लड़ पड़े। जो लोग मूल जनजाति हैं, वे अपनी परंपरा से शव का अंतिम संस्कार करना चाहते थे, और जो लोग ईसाई बन गए हैं, वे पिंकी के शव को ईसाई रीति-रिवाज से दफनाना चाहते थे।

मामला इतना बिगड़ गया कि सुनील जामुदा को फिर एक बार फोन किया गया। उन्होंने फोन से ही गांव के लोगों से बात की और समझाया कि यह वक्त संघर्ष का नहीं, दु:ख का है। पिंकी का अंतिम संस्कार जनजाति परंपरा से ही होना चाहिए। उनकी बात से सभी ग्रामीण सहमत हुए और उन्होंने पिंकी के शव का अंतिम संस्कार कर दिया।

इस विचित्र स्थिति को देखते हुए सामाजिक कार्यकर्ता संकरा तिरिया ने ‘हो’ समाज के प्रमुख लोगों और सरकार से निवेदन किया है कि कन्वर्जन का यह खेल बंद होना चाहिए।

Topics: ईसा मसीहईसाई बन जाओबीमारी ठीक हो जाएगीसुनील जामुदाJesus Christbecome a Christianyour disease will be curedSunil Jamudaईसाई मिशनरीchristian missionary
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