उत्तराखण्ड बाल अधिकार सरंक्षण आयोग की अध्यक्ष डा0 गीता खन्ना ने देहरादून जिले में चल रहे मदरसों के भूमि संबंधी स्टेट्स और अन्य जानकारी मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण से मांगी है। आयोग की एक महत्वपूर्ण बैठक में देहरादून जिले में संचालित अवैध मदरसों के संबंध में चिंता व्यक्त की गई।
बैठक में आयोग की ओर से सदस्य विनोद कपरवाण, अनुसचिव, डा0 एस0के0सिंह व बाल मनोवैज्ञानिक सुश्री निशात इकबाल उपस्थित रहे। बैठक में मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण से उपस्थित प्रतिनिधि को जनपद देहरादून के पछवादून विकासनगर क्षेत्र की कृषि भूमि में बने, बिना नक्शे के संचालित मदरसों और विद्यालयों की विस्तृत आख्या आयोग को उपलब्ध कराये जाने हेतु निर्देशित किया गया। विद्यालयों व मदरसों में बच्चों हेतु छात्रावास भवनों के निर्माण की शर्ते व नियमावली तथा पट्टे की भूमि में चल रहे विद्यालयों व मदरसों का विस्तृत विवरण आयोग को उपलब्ध कराये जाने हेतु निर्देशित किया गया।
आयोग ने आजाद कलोनी में स्थित मदरसे के भवन का औचित्य, मान्यता तथा प्रस्तावित कानूनी स्थिति की जांच करते हुये विस्तृत आख्या उपलब्ध कराये जाने हेतु निर्देशित किया गया।
बैठक में मदरसा शिक्षा परिषद् से उपस्थित प्रतिनिधि को निम्न बिन्दुओं पर विवरण सहित विस्तृत आख्या आयोग में उपलब्ध कराये जाने हेतु निर्देशित किया गयाः-
- जनपद देहरादून के मदरसों में पढने वाले बच्चे क्या विद्यालय में भी अध्ययनरत है अथवा नही।
- मदरसो में पढाई कराये जाने का निर्धारित समय।
- पंजीकृत मदरसों की सूची, मदरसों के आवासीय होने का प्राविधान, मदरसों में अध्ययनरत बच्चों की सूची, मदरसों में छात्रावास में रह रहे बच्चों की सूची व सुविधाओं का विवरण।
बैठक में मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण के सहायक अभियन्ता, कनिष्ठ लिपिक, उत्तराखण्ड मदरसा शिक्षा बोर्ड द्वारा प्रतिभाग किया गया तथा निदेशक, प्रा0 शि0 उत्तराखण्ड देहरादून, डिप्टी रस्ट्रिार, रजिस्ट्रार फर्म्स सोसाइटीज एंव चिट्स, देहरादून व मुख्य चिकित्सा अधिकारी, जनपद देहरादून अनुपस्थित रहे। जिस पर आयोग की अध्यक्ष डॉ गीता खन्ना ने नाराजगी प्रकट की। उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड राज्य में चार सौ से अधिक मदरसे बिना मान्यता के चल रहे हैं और इनमें से कई सरकारी भूमि पर, बिना नक्शे के बने भवनों में चल रहे हैं।
टिप्पणियाँ