उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के एक पिता ने अपने असीम प्रेम और समर्पण का ऐसा उदाहरण पेश किया है, जो पूरे समाज के लिए प्रेरणा बन गया है। इस पिता, अनिल, ने अपनी जुड़वां बेटियों को कांवड़ में बिठाकर 100 किलोमीटर की पैदल यात्रा पूरी की, जो न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि बेटियों के प्रति उनके गहरे प्रेम और सम्मान का भी प्रतीक है।
अनोखी कांवड़ यात्रा
सावन के आखिरी सोमवार को, जब शिव भक्त कांवड़ यात्रा के जरिए भगवान शिव को जल चढ़ाने के लिए लंबी दूरी तय करते हैं, अनिल ने इस धार्मिक यात्रा को एक नया अर्थ दिया। अनिल, जो हसायन कोतवाली क्षेत्र के गांव बदनपुर के निवासी हैं, अपनी दोनों 5-5 साल की बेटियों को कांवड़ में बिठाकर, कासगंज के सोंरो गंगा घाट से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी तय कर अपने गांव पहुंचे। उन्होंने मंदिर जाकर बाबा भोलेनाथ का गंगाजल से जलाभिषेक किया, लेकिन इस यात्रा की सबसे खास बात थी उनकी बेटियों की उपस्थिति, जो कांवड़ में उनके साथ थीं।
समाज को संदेश
अनिल का यह कदम केवल एक धार्मिक कर्तव्य नहीं था, बल्कि एक सामाजिक संदेश भी था। उन्होंने कहा कि वह इस यात्रा के जरिए समाज को यह संदेश देना चाहते थे कि बेटियां किसी भी मायने में बेटों से कम नहीं हैं। अनिल ने बताया, “अक्सर लोग श्रवण कुमार की तरह अपने माता-पिता को कांवड़ यात्रा में साथ लेकर आते हैं, लेकिन मैंने अपनी बेटियों को साथ लाने का निर्णय लिया। इसके जरिए मैं समाज को यह संदेश देना चाहता हूं कि बेटियों पर अत्याचार बंद होना चाहिए।”
बेटियों का महत्व और सुरक्षा
अनिल ने यह भी कहा कि आज के समय में बेटियां किसी भी तरह से बेटों से कम नहीं हैं। उन्होंने सरकार से बेटियों की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाने की मांग की। उनका मानना है कि हमें अपनी बेटियों को शिक्षित करना चाहिए और उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। उन्होंने कहा, “बेटियों का भविष्य उज्ज्वल होना चाहिए, और हमें उन्हें प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाने में मदद करनी चाहिए।”
समाज में अनिल की प्रशंसा
अनिल की इस अनोखी कांवड़ यात्रा ने पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गई है। लोग उनकी इस पहल की सराहना कर रहे हैं और इसे बेटियों के प्रति एक पिता के स्नेह और सम्मान का प्रतीक मान रहे हैं। अनिल की यह यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण थी, बल्कि यह एक सामाजिक जागरूकता का संदेश भी थी।
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