संस्कृत ही है विश्व की सर्वाधिक पूर्ण और तर्कसम्मत भाषा, भारत की समृद्ध संस्कृति की प्रतीक है संस्कृत
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

संस्कृत ही है विश्व की सर्वाधिक पूर्ण और तर्कसम्मत भाषा, भारत की समृद्ध संस्कृति की प्रतीक है संस्कृत

‘देवभाषा’ कही जाने वाली प्राचीन भाषा ‘संस्कृत’ के प्रसार को बढ़ावा देने और संस्कृत के महत्व को चिह्नित करने के उद्देश्य से हिन्दू कैलेंडर के अनुसार प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन ‘विश्व संस्कृत दिवस’ मनाया जाता है।

by योगेश कुमार गोयल
Aug 16, 2024, 05:14 pm IST
in भारत
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

‘देवभाषा’ कही जाने वाली प्राचीन भाषा ‘संस्कृत’ के प्रसार को बढ़ावा देने और संस्कृत के महत्व को चिह्नित करने के उद्देश्य से हिन्दू कैलेंडर के अनुसार प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन ‘विश्व संस्कृत दिवस’ मनाया जाता है। इस वर्ष संस्कृत दिवस 19 अगस्त को मनाया जा रहा है। चूंकि भारत की समृद्ध संस्कृति की प्रतीक संस्कृत भाषा धीरे-धीरे समाप्ति की ओर अग्रसर है, इसीलिए यह दिवस इस प्राचीन भारतीय भाषा के प्रति जागरूकता फैलाने, इसे बढ़ावा देने और पुनर्जीवत करने, भारतीय समुदाय अथवा समाज को संस्कृत की महत्ता एवं आवश्यकता का स्मरण कराने तथा जनमानस में इसका महत्व बढ़ाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। इस दिवस के माध्यम से आम आदमी और युवाओं को संस्कृत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और परम्परा से अवगत कराने का प्रयास किया जाता है। श्रावणी पूर्णिमा को ऋषियों के स्मरण का पर्व भी माना जाता है। दरअसल भारतीय संस्कृति में ऋषि-मुनियों को ही संस्कृत साहित्य के आदि-स्रोत माना गया है, इसलिए श्रावणी पूर्णिमा को ‘ऋषि पर्व’ भी कहा जाता है और इस दिन ऋषियों-मुनियों का स्मरण तथा उनका पूजन करके समर्पण का भाव रखा जाता है।

संस्कृत दिवस मनाए जाने की शुरूआत वर्ष 1969 से हुई थी, जब भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के आदेश पर हर साल श्रावणी पूर्णिमा के ही दिन केन्द्रीय तथा राज्य स्तर पर संस्कृत दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था। दुनियाभर में अब संस्कृत का झंडा दिनों-दिन बुलंद हो रहा है और अब न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी यह दिवस काफी उत्साह के साथ मनाया जाता है, जिसमें भारत सरकार की भी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। यह दिवस मनाने के लिए इसी दिन का चयन इसीलिए किया गया क्योंकि प्राचीन भारत में शिक्षण सत्र इसी दिन से शुरू होता था। छात्र इसी दिन वेद पाठ के साथ शास्त्रों का अध्ययन प्रारंभ किया करते थे। प्राचीन काल में पौष मास की पूर्णिमा से लेकर श्रावण मास की पूर्णिमा तक छात्रों का अध्ययन बंद हो जाता था, जो पुनः श्रावण पूर्णिमा से शुरू होकर पौष पूर्णिमा तक चलता था। यही कारण है कि श्रावण पूर्णिमा के दिन ही संस्कृत दिवस मनाए जाने का निर्णय लिया गया।

संस्कृत का अर्थ दो शब्दों ‘सम’ और ‘कृत’ से मिलकर बना है, ‘सम’ का अर्थ है ‘सम्पूर्ण तथा ‘कृत’ का अर्थ है ‘किया हुआ’ अर्थात् सम्पूर्ण किया हुआ। संस्कृत केवल एक स्व-विकसित भाषा ही नहीं है बल्कि एक संस्कारित भाषा भी है, इसीलिए इसका नाम संस्कृत है। यह विश्व की प्राचीनतम भाषाओं में से एक मानी जाती है और दुनिया की कई भाषाओं की जड़ें संस्कृत भाषा में मिलती हैं। संस्कृत को ‘देवभाषा’ अर्थात् ‘देवताओं द्वारा बोली जाने वाली भाषा’ भी कहा जाता है। समय-समय पर हुए कई शोधों में यह भी स्पष्ट हुआ है कि संस्कृत वैज्ञानिक सम्मत भाषा है, यही नहीं कुछ शोधों में यह भी साबित हुआ है कि कम्प्यूटर के लिए भी सबसे उपयुक्त और अनुकूल भाषा संस्कृत ही है। संस्कृत को विश्व की सर्वाधिक पूर्ण और तर्कसम्मत भाषा माना गया है, जो भारत को एकता के सूत्र में बांधती है। कहा जाता है कि अंग्रेजों को भी पता चल गया था कि भारत की संस्कृति को संस्कृत के अध्ययन के बिना नहीं जाना जा सकता, इसीलिए उन्होंने कोलकाता तथा काशी में संस्कृत विद्यालय की स्थापना की थी।

संस्कृत एक प्राचीन इंडो-आर्य भाषा है, जिसके बारे में माना जाता है कि भारत में इस भाषा की उत्पत्ति करीब चार हजार वर्ष पूर्व हुई थी। इस प्राचीन भाषा का उपयोग बौद्ध, जैन और सिख धर्म के साथ-साथ हिन्दू धर्म के दार्शनिक प्रवचनों के लिए भी किया जाता था। हजारों वर्षों से हिन्दू संस्कृति में पूजा-पाठ में संस्कृत के मंत्रों का उपयोग किया जा रहा है। हालांकि लिखित रूप में इस भाषा की उत्पत्ति ईसा पूर्व से पहले की दूसरी सहस्त्राब्दी से हुई मानी जाती है, जब ऋग्वेद में भजनों का एक संग्रह लिखा गया माना जाता है। वैदिक संस्कृति में ऋग्वेद, पुराणों और उपनिषदों का अत्यधिक महत्व है और भारत में चार अलग-अलग खंडों में विभाजित वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद) की रचना 1000 से 500 ईसा पूर्व की अवधि में ही हुई थी। यह लगभग सभी वेदों और पुराणों की भाषा है, इसीलिए इस भाषा के प्रति लोगों के दिल में आदर का भाव रहता है। यह बहुत प्राचीन और व्यापक भाषा है, जिसमें कई पुराण, महापुराण और उपनिषद हैं। वास्तव में संस्कृत ऐसी भाषा है, जो लोगों को मूल वेदों के साथ-साथ कई अन्य महत्वपूर्ण ग्रंथों को भी मूल देवनागरी अथवा उसी संस्कृत भाषा में पढ़ने का अवसर प्रदान करती है, जिसमें वे लिखे गए हैं।

भारत की समृद्ध संस्कृति की प्रतीक संस्कृत समस्त भारतीय भाषाओं की जननी मानी जाती है, जो भारत में बोली जाने वाली प्राचीन भाषाओं में पहली है। भारत की कुछ प्राचीन लोककथाएं संस्कृत भाषा में ही हैं। संस्कृत की विशेषता के बारे में माना जाता है कि कोई व्यक्ति संस्कृत में केवल एक शब्द में ही स्वयं को व्यक्त कर सकता है। कुछ शोधकर्ताओं द्वारा संस्कृत को दो खण्डों (वैदिक संस्कृत तथा शास्त्रीय संस्कृत) में वर्गीकृत किया गया है। संगीत में संस्कृत का उपयोग अधिकाशतः हिन्दुस्तानी और कर्नाटक शास्त्रीय संगीत में ही किया जाता है। संस्कृत भाषा में करीब 102 अरब 78 करोड़ 50 लाख शब्दों की सबसे बड़ी शब्दावली है और इस भाषा की एक संगठित व्याकरणिक संरचना भी है, जिसमें स्वर और व्यंजन भी वैज्ञानिक पैटर्न में व्यवस्थित होते हैं। संस्कृत को भारत के संविधान की 8वीं अनुसूची में सम्मिलित किया गया है और उत्तराखण्ड में तो यह राज्य की दूसरी आधिकारिक भाषा के रूप में घोषित की गई है।

कर्नाटक में शिमोगा जिले में मत्तूर नामक एक ऐसे गांव के बारे में भी जानकारी मिलती है, जहां प्रत्येक व्यक्ति संस्कृत में बात करता है। बहरहाल, यदि इन कुछेक अपवादों को छोड़ दें तो संस्कृत का उपयोग वर्तमान समय में केवल पूजा-पाठ, अनुष्ठानों तथा शैक्षणिक गतिविधियों तक ही सीमित होकर रह गया है और इसे पढ़ने, लिखने तथा समझने वाले लोगों की संख्या निरन्तर कम हो रही है। सही मायनों में संस्कृत केवल एक भाषा ही नहीं है बल्कि एक विचार, एक संस्कृति, एक संस्कार भी है, जिसमें विश्व का कल्याण, शांति, सहयोग और वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना निहित है। इसलिए अत्यंत जरूरी है कि अब देश में विदेशी भाषाओं और अंग्रेजी का महत्व अत्यधिक बढ़ जाने के कारण अपना अस्तित्व खोती इस देवभाषा को बढ़ावा देने के लिए समुचित कदम उठाए जाएं।

Topics: SanskritSanskrit languageImportance of Sanskrit languageसंस्कृति की प्रतीक है संस्कृतसंस्कृत का महत्त्वदेवभाषासंस्कृत दिवससंस्कृत दिवस 2024
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

शास्त्र सिर्फ ग्रंथ नहीं, विज्ञान और सृष्टि का ज्ञान हैं : पतंजलि में हुआ 62वें शास्त्रोत्सव का समापन

संस्कृत और सनातन के प्रति वामियों एवं क्षद्म पंथनिरपेक्षता वादियों का विषवमन

Uttarakhand Sanskrit Exam

उत्तराखंड: संस्कृत छात्र प्रतिभा सम्मान, सीएम धामी ने किया 261 संस्कृत विद्यार्थियों को सम्मानित

संविधान दिवस पर वक्तव्य देतीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

भारत का संविधान अब संस्कृत और मैथिली भाषा में भी पढ़ सकते हैं, राष्ट्रपति ने किया विमोचन

Tamil Nadu Deputy CM Udaynidhi stalin Hates NEETS after sanatan Dharma

सनातन धर्म से नफरत करने वाले उदयनिधि स्टालिन को अब NEET से दिक्कत, संस्कृत से तुलना कर कहा-पिछड़े को शिक्षा से रोक रही

देवों की भाषा कहलाने वाली ‘संस्कृत’ का महत्व

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

भारत के लिए ऑपरेशन सिंदूर की गति बनाए रखना आवश्यक

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ

भारत को लगातार उकसा रहा पाकिस्तान, आसिफ ख्वाजा ने फिर दी युद्ध की धमकी, भारत शांतिपूर्वक दे रहा जवाब

‘फर्जी है राजौरी में फिदायीन हमले की खबर’ : भारत ने बेनकाब किया पाकिस्तानी प्रोपगेंडा, जानिए क्या है पूरा सच..?

S jaishankar

उकसावे पर दिया जाएगा ‘कड़ा जबाव’ : विश्व नेताओं से विदेश मंत्री की बातचीत जारी, कहा- आतंकवाद पर समझौता नहीं

पाकिस्तान को भारत का मुंहतोड़ जवाब : हवा में ही मार गिराए लड़ाकू विमान, AWACS को भी किया ढेर

पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक दागी मिसाइलें, नागरिक क्षेत्रों पर भी किया हमला, भारत ने किया नाकाम

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से तिलमिलाए पाकिस्तानी कलाकार : शब्दों से बहा रहे आतंकियों के लिए आंसू, हानिया-माहिरा-फवाद हुए बेनकाब

राफेल पर मजाक उड़ाना पड़ा भारी : सेना का मजाक उड़ाने पर कांग्रेस नेता अजय राय FIR

घुसपैठ और कन्वर्जन के विरोध में लोगों के साथ सड़क पर उतरे चंपई सोरेन

घर वापसी का जोर, चर्च कमजोर

‘आतंकी जनाजों में लहराते झंडे सब कुछ कह जाते हैं’ : पाकिस्तान फिर बेनकाब, भारत ने सबूत सहित बताया आतंकी गठजोड़ का सच

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies