कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या के मामले में बंगाल पुलिस और मेडिकल कॉलेज प्रशासन शुरुआत से ही सवालों के घेरे में रहे हैं। अब एक बड़ा और हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। सोशल मीडिया पर कोर्ट की सुनवाई की क्लिप वायरल हो रही है। वायरल हुए क्लिप में पीड़िता के वकील की तरफ से बताया जा रहा है कि इस मामले को सीबीआई को सौंपने के लिए पहले 7 दिन का समय मांगा गया। फिर कम से कम 24 घंटे मांगे गए। गुंडों ने रातों रात पूरा क्राइम सीन नष्ट कर दिया।
भाजपा नेता अमित मालवीय ने इस मुद्दे को उठाया और क्लिप भी पोस्ट की। वायरल हुए क्लिप में यह भी कहा जा रहा है कि कोलकाता के पुलिस कमिश्नर उस समय सीआईडी आईजी थे जब बंगाल में कामदुनी बलात्कार और हत्याकांड हुआ था। उनकी गड़बड़ी के कारण आरोपी बरी हो गए थे। इस मामले को भी छिपाने के लिए वही हथकंडा अपनाया है। हालांकि पुलिस का कहना है कि क्राइम सीन से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है।
It is quite likely that the Kolkata Police, on instructions of Mamata Banerjee, has already wiped out evidences in the RG Kar Medical College & Hospital rape and murder case. Initial handling by the Kolkata Police doesn’t inspire much confidence either.
Meet Vineet Kumar Goyal,… pic.twitter.com/QG7myKwDNK
— Amit Malviya (@amitmalviya) August 15, 2024
बता दें कि डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्याकांड मामले में शुरुआत से ही राज्य की तरफ से कोताही बरती गई और हाईकोर्ट ने भी जमकर फटकार लगाई थी। पहले मामले आत्महत्या का बताया गया और उसके बाद हत्या का। शुरू में हत्या का केस नहीं दर्ज किया गया था।
क्या है कामदुनी कांड
बंगाल के उत्तर 24 परगना के कामदुनी में वर्ष 2013 में एक युवती के साथ आठ लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया। घटना तब हुई थी जब युवती परीक्षा देकर कॉलेज से लौट रही थी। बलात्कार के बाद, उसके पैरों को नाभि तक फाड़ दिया गया था। उसका गला काट दिया और शव को एक खेत में फेंक दिया गया। स्थानीय अदालत ने सात जून 2013 को तीन लोगों को मौत की सजा और तीन अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। सत्र अदालत ने 2016 में अमीन अली, सैफुल अली और अंसार अली को मौत की सजा सुनाई थी, जबकि इमानुल इस्लाम, अमीनुल इस्लाम और भोला नस्कर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।बाद में कलकत्ता हाई कोर्ट ने दोषी अंसार अली मुल्ला व सैफुल अली मोल्ला को फांसी की जगह उम्रकैद की सजा सुनाई। आरोपी अमीन अली को मौत की सजा से बरी कर दिया गया। इमानुल, भोलानाथ नस्कर और अमीनुल इस्लाम को आजीवन कारावास के बजाय रिहा कर दिया।
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