छात्र नाहिद इस्लाम को डाक, दूरसंचार तथा सूचना प्रौद्योगिकी का जिम्मा दिया गया है। उसके भी तेवर चढ़े हुए हैं। वह कहता है कि पिछले दिनों छात्रों के आंदोलन के दिनों में देश में इंटरनेट सेवाएं बंद की गई थीं। यह कदम जिन अफसरों के कहने पर उठाया गया था, उन पर भी कार्रवाई होगी।
अपने देश, बांग्लादेश में हत्या, लूटपाट, आगजनी की तपिश झेल रहे अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिन्दुओं को मजहबी उन्मादियों द्वारा निशाना बनाए जाने की घटनाओं से मुंह मोड़े बैठी यूनुस सरकार ने नजरें मीडिया पर अटकी हैं। कट्टरपंथी तत्वों के इशारे पर चल रहे उस इस्लामी देश के ‘युवा कर्णधारों’ को लगता है कि मीडिया ‘हिन्दुओं पर दमन’ जैसी ‘झूठी’ खबरें फैला रहा है। इसलिए शायद अब किसी और बहाने से मीडिया संस्थानों को सावधान किया गया है।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार हिन्दू उत्पीड़न रोकने की बजाय मीडिया संस्थानों पर गाज गिराने की तैयारी कर रही है। इस सरकार को मुस्लिमों के सिवाय और कोई दिखाई नहीं दे रहा है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया या अपने कुछ सोशल मीडिया हैंडलों के जरिए यह दिखाने की कोशिश की जा रही है ‘हालात तेजी से सामान्य हो रहे हैं’! जबकि ऐसा है नहीं। वहां आज भी ढाका से बाहर के इलाकों में हिन्दुओं को डर के माहौल में जीना पड़ रहा है। हिन्दुओं की दुकानें लूटी जा रही हैं, तो दूसरी ओर कट्अरपंथी तत्वों ने भारतीय उत्पादों के बहिष्कार की घोषणा की है।
इधर सरकार ‘झूठे और भ्रामक’ समाचारों की चिंता कर रही है। ऐसे संस्थानों को बंद करने की धमकी दे रही है जो इस सबमें लगे हैं। आंतरिक सुरक्षा मामलों के ‘सलाहकार’ फौजी अफसर ब्रिगेडियर जनरल (से.नि.) सखावत हुसैन का कहना है कि बांग्लादेश के मीडिया ने चीजों को सही रूप में प्रस्तुत किया होता तो पुलिस को लेकर जो हालात बने हैं, वैसे हालात न बने होते। फौजी अफसर को लगता है कि गलत जानकारियां न फैंलें इसलिए इस तरह का कदम उठाया जाना जरूरी हो गया है।
ब्रिगेडियर हुसैन ने ढाका में केंद्रीय पुलिस अस्पताल में भर्ती जख्मी पुलिस वालों से भेंट की। उसके बाद वहां पत्रकारों से बात करते हुए उनका कहना था कि मीडिया ही अगर सच को सामने न ला रहा हो तो देश डगमगा ही जाएगा। लेकिन अब हम इस पर नजर रखेंगे कि कौन सा मीडिया संस्थान ऐसी गलत जानकारी वाली खबरें प्रसारित कर रहा है। अगर उस पर इस प्रकार का आरोप सही पाया गया तो उस पर ताला लगा दिया जाएगा।
बांग्लादेश का प्रसिद्ध अखबार ‘ढाका ट्रिब्यून’ ने इस पर प्रकाशित अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि हुसैन को लगता है, बहुत बार मीडिया सच से इतर देखता है। वह सही और तथ्यात्मक जानकारी नहीं देता।
अंतरिम सरकार में ‘युवा सलाहकार’ और पूरे आंदोलन के सह आयोजक छात्र नाहिद इस्लाम को डाक, दूरसंचार तथा सूचना प्रौद्योगिकी का जिम्मा दिया गया है। उसके भी तेवर चढ़े हुए हैं। वह कहता है कि पिछले दिनों छात्रों के आंदोलन के दिनों में देश में इंटरनेट सेवाएं बंद की गई थीं। यह कदम जिन अफसरों के कहने पर उठाया गया था, उन पर भी कार्रवाई होगी।
नाहिद का कहना है कि ने कहा कि इंटरनेट सब तक पहुंचना चाहिए क्योंकि यह भी लोगों के अधिकारों में से एक है। इसलिए इसे बंद करना या इसमें अड़चन डालना एक प्रकार से मानवाधिकारों का हनन ही है। उसका यह भी कहना है कि अब इंटरनेट को बंद किया जाना बर्दाश्त नहीं होगा।
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