जब अटारी पहुंचे तब जान में जान आई। मेरी एक रिश्तेदार गोद में एक साल का बच्चा लिए थी, उनसे एक मुसलमान ने कहा कि बच्चा सास को देकर मेरे साथ चलो। उन्हें बचाने आए उनके पति को उसने तलवार से काट डाला था। सेना ने किसी तरह उन्हें उस मुसलमान के चंगुल से बचाया।
शकुंतला नागपाल
मुल्तान (पाकिस्तान)
विभाजन के समय मैं 6 साल की थी। परिवार में दादा-दादी, पिताजी और उनके दो भाई के अलावा उनकी दो बहनें थीं, जो वहीं नजदीक के गांव में ब्याही थीं। दादाजी खेती के काम में व्यस्त रहते थे। वहां हिन्दू, मुसलमान परिवार मिल-जुलकर रहा करते थे। लेकिन झगड़े शुरू होने पर मुसलमान झुंड बनाकर हिन्दुओं के घरों में लूटपाट करने लगे।
मार-काट शुरू होने तक नहीं पता था कि पाकिस्तान अलग देश बन रहा है। ज्यादातर तो मुसलमान रात में लूट-पाट करते थे। कभी कभी तो दिन में भी शोर मच जाता था। मुसलमानों के झुंड देखकर हिन्दू छुप जाते थे।
मेरे चाचा अपनी ससुराल में थे, चाची एवं उनके बच्चे भी वहीं पर थे। एक दिन अचानक पिताजी जोर-जोर से रोने लगे। पता चला कि मेरे चाचाजी एवं उनके बच्चों को जबरदस्ती मुसलमान बनाया जा रहा है। बंटवारे के बाद हमारे चाचा एवं उनका परिवार किसी तरह वहां से निकले में सफल हो गया।
हम लोगों को वहां से रेलगाड़ी में ठूंसकर रवाना किया गया। गाड़ी की सारी लाइटें बंद करवा दी गई थीं। जब अटारी पहुंचे तब जान में जान आई। मेरी एक रिश्तेदार गोद में एक साल का बच्चा लिए थी, उनसे एक मुसलमान ने कहा कि बच्चा सास को देकर मेरे साथ चलो। उन्हें बचाने आए उनके पति को उसने तलवार से काट डाला था। सेना ने किसी तरह उन्हें उस मुसलमान के चंगुल से बचाया।
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