रक्तरंजित चौराहे पर बांग्लादेश
July 10, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्व

रक्तरंजित चौराहे पर बांग्लादेश

1975 में भी बांग्लादेश में कट्टरपंथ ने ‘बंगबंधु’ और उनके परिवार के रक्त से स्नान किया था। शेख हसीना इसलिए बच गई थीं कि तब वह विदेश में थीं। अभी के तख्तापलट में भी कट्टरपंथ ने अराजकता ंके बाने में रक्त की नदियां बहाई हैं

by हितेश शंकर
Aug 10, 2024, 02:12 pm IST
in विश्व, सम्पादकीय
रक्तरंजित बांग्लादेशः हिंदुओं का कत्लेआम कर रहे कट्टरपंथी, पूरे देश में दंगाई कर रहे आतंक का तांडव नृत्य

रक्तरंजित बांग्लादेशः हिंदुओं का कत्लेआम कर रहे कट्टरपंथी, पूरे देश में दंगाई कर रहे आतंक का तांडव नृत्य

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

इसी वर्ष गर्मियों में वह चिंगारी भड़की थी जिसने भारी मानसून को भी भाप की तरह उड़ा दिया।यह बादल आक्रोश और आशंकाओं के थे, बरसात थी खून की… तपते सुलगते बांग्लादेश की सड़कों पर बांग्ला संस्कृति की लाश पड़ी थी।

जुलाई, 2024 में बांग्लादेशी छात्रों ने नौकरी कोटा प्रणाली के खिलाफ एक सामूहिक विद्रोह शुरू किया, जो सरकारी दमन और सत्तारूढ़ पार्टी से जुड़े समूहों के हमलों के बाद हिंसक हो गया। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कोटा प्रणाली को समाप्त किए जाने के बावजूद, विरोध प्रदर्शनों ने व्यापक सुधारों की मांग को लेकर जोर पकड़ा।

हितेश शंकर

सरकार की कड़ी प्रतिक्रिया, जिसमें कर्फ्यू, इंटरनेट बंदी, और देखते ही गोली मारने के आदेश शामिल थे, ने प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच घातक संघर्षों को जन्म दिया। 4 अगस्त, 2024 तक इन संघर्षों में लगभग 300 लोगों की जानें गईं। तब के हल्के नारे अब उन्मादी अट्टहासों में तब्दील हो गए हैं। तब की आशंकाएं आज आर्तनाद में परिवर्तित हो गई हैं।

रक्तरंजित बांग्लादेश चौराहे पर खड़ा है। चारों ओर खून ही खून! वह जिस रास्ते पर चलता हुआ यहां तक पहुंचा है, उस पर नजर दौड़ाने पर दूर तक कुछ जगहों पर बिखरी हुई लाशें दिख जाती हैं। कट्टरपंथ क्रूर ठहाके लगा रहा है और बंग संस्कृति स्तब्ध है!

चौराहे की प्रकृति होती है कि वह किसी को रुकने नहीं देता। ठिठकने भर की छूट देता है। उसके बाद किसी न किसी दिशा में बढ़ना ही होता है। बांग्लादेश भी इस ठिठकन के बाद बढ़ेगा, किसी न किसी राह पर चलेगा। इसलिए मुद्दा यह नहीं। मुद्दा यह है कि आगे कट्टरपंथ की सांसें कैसे चलेंगी,क्योंकि यदि इसकी सांसें चलेंगी तो आगे भी बांग्लादेश की सांसें उखड़ती रहेंगी।

‘पार्टीशन आफ इंडिया’ पुस्तक में रिचर्ड साइम्स कहते हैं:

‘डायरेक्ट एक्शन डे के दौरान कांग्रेस का आवश्यक कदम नहीं उठाना एक बड़ा धक्का था।’

 ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ में लैरी कॉलिंस और डॉमनिक लैपियर लिखते हैं:

‘पंथनिरपेक्ष भारत के बारे में नेहरू के नजरिये में विभाजन के दौरान भड़की सांप्रदायिक हिंसा पूरी जगह नहीं पा सकी।’

पहली नजर में ऐसा लगता है कि बांग्लादेश के वर्तमान संकट की जड़ में नौकरियों में कोटे की व्यवस्था के प्रति व्यापक असंतोष था। लेकिन जब वहां के सर्वोच्च न्यायालय को इसे बदलने के लिए मजबूर कर दिया गया तो लोगों ने हाथ-के-हाथ व्यापक सुधार के काम को भी अंजाम तक पहुंचाने का बीड़ा उठा लिया और इसी का परिणाम था कि प्रधानमंत्री शेख हसीना का तख्तापलट हुआ और उन्हें 5 अगस्त को देश छोड़कर निकलना पड़ा। क्या यह अराजकता इतनी ही तात्कालिक और स्वत:स्फूर्त थी? नहीं, कतई नहीं!

रोग के लक्षणों की बात करने से पहले यह देखते हैं कि इसने कैसे सामाजिक कोशिकाओं को खाया है। विभाजन के समय पाकिस्तान में हिन्दू अल्पसंख्यकों की आबादी 14.2 प्रतिशत और पूर्वी पाकिस्तान में 28.4 प्रतिशत थी। आज पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी 2.14 प्रतिशत रह गई है और हिन्दू मोटे तौर पर सिंध में सिमटकर रह गए हैं। पूर्वी पाकिस्तान यानी आज के बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की आबादी 8.5 प्रतिशत रह गई है और ये मुख्यत: भारत के साथ लगते सीमाई जिलों में रह गए हैं। देश के विभाजन के बाद इन दोनों जगहों से हिंन्दू अल्पसंख्यकों को आसमान खा गया या जमीन निगल गई? इन्हें लील लिया कट्टरपंथ ने, जिसके लक्षण विभाजन के समय से ही समय-समय पर दिखते रहे।

सबसे पहले विभाजन के ठीक पहले 1946 का रुख करते हैं। मुस्लिम लीग के चोले में कट्टरपंथ ‘डायरेक्ट ऐक्शन डे’ का आह्वान करता है और 16 अगस्त का दिन कलकत्ता की सड़कें हिन्दुओं के खून से रंग जाती हैं। इसका एक आयाम यह भी रहा कि जवाहरलाल नेहरू ने इस हिंसा की बुराई तो की, लेकिन यह भी तथ्य है कि कांग्रेस की भारी निष्क्रियता ने स्थिति को बुरी तरह बिगाड़ दिया।

‘पार्टीशन आफ इंडिया’ पुस्तक में रिचर्ड साइम्स कहते हैं: ‘डायरेक्ट एक्शन डे के दौरान कांग्रेस का आवश्यक कदम नहीं उठाना एक बड़ा धक्का था।’ इसके बाद आ जाइए 1947 में। बंगाल का विभाजन हुआ और आज के बांग्लादेश में हिन्दुओं पर अकथनीय अत्याचार हुए। एक बार फिर नेहरू जी ने चिंता जताई, इसे एक बुराई के तौर पर देखा लेकिन विशेष तौर पर हिन्दुओं के विरुद्ध हुए अत्याचार पर आवश्यक संवेदनशीलता से ध्यान नहीं दिया। ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ में लैरी कॉलिंस और डॉमनिक लैपियर लिखते हैं: ‘पंथनिरपेक्ष भारत के बारे में नेहरू के नजरिये में विभाजन के दौरान भड़की सांप्रदायिक हिंसा पूरी जगह नहीं पा सकी।’

1975 में भी बांग्लादेश में कट्टरपंथ ने ‘बंगबंधु’ और उनके परिवार के रक्त से स्नान किया था। शेख हसीना इसलिए बच गई थीं कि तब वह विदेश में थीं। अभी के तख्तापलट में भी कट्टरपंथ ने अराजकता के बाने में रक्त की नदियां बहाई हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला पलट दिया तो क्या, कट्टरपंथ को वहां उत्पात मचाना था और इस बार वह जमाते इस्लामी और कुछ गैरसरकारी संगठनों के मुखौटे के पीछे छिपकर आया। बांग्लादेश का यह संकट बताता है कि कट्टरपंथ समय-समय पर चोला बदलकर आता है और कुछ तत्व सीधे उसमें शामिल हो जाते हैं तो कुछ अपनी निष्क्रियता से उसे पलने-बढ़ने देते हैं।

बेशक मानव विकास सूचकांक के पैमाने बांग्लादेश को एक संतोषजनक समाज बताएं, लेकिन कट्टरपंथ इससे संतुष्ट नहीं हो जाता। बेशक, हैप्पीनेस इंडेक्स में वैश्विक औसत से नीचे रहने वाले बांग्लादेश में युवा सबसे ज्यादा खुश हों, लेकिन कट्टरपंथ इससे भी खुश नहीं हो जाता। कट्टरपंथ तभी संतुष्ट होता है, तभी खुश होता है जब असंतोष से तप्त धरती पर आक्रोश के बादल रक्त की बारिश करें। बांग्लादेश से निकलने वाली यह सीख दुनियाभर के लोगों के लिए, हर लोकतंत्र के लिए है।

@hiteshshankar

Topics: भड़की सांप्रदायिक हिंसाBloody Bangladeshcurrent crisis of Bangladeshcoup of Sheikh HasinaPartition of Indiadivision of the countryपाञ्चजन्य विशेषcommunal violence eruptedरक्तरंजित बांग्लादेशबांग्लादेश के वर्तमान संकटशेख हसीना का तख्तापलटदेश के विभाजनपार्टीशन आफ इंडिया
Share12TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद

राष्ट्रीय विद्यार्थी दिवस: छात्र निर्माण से राष्ट्र निर्माण का ध्येय यात्री अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद

India democracy dtrong Pew research

राहुल, खरगे जैसे तमाम नेताओं को जवाब है ये ‘प्‍यू’ का शोध, भारत में मजबूत है “लोकतंत्र”

कृषि कार्य में ड्रोन का इस्तेमाल करता एक किसान

समर्थ किसान, सशक्त देश

उच्च शिक्षा : बढ़ रहा भारत का कद

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

‘अचानक मौतों पर केंद्र सरकार का अध्ययन’ : The Print ने कोविड के नाम पर परोसा झूठ, PIB ने किया खंडन

UP ने रचा इतिहास : एक दिन में लगाए गए 37 करोड़ पौधे

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नामीबिया की आधिकारिक यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डॉ. नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया।

प्रधानमंत्री मोदी को नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 5 देशों की यात्रा में चौथा पुरस्कार

रिटायरमेंट के बाद प्राकृतिक खेती और वेद-अध्ययन करूंगा : अमित शाह

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

लोन वर्राटू से लाल दहशत खत्म : अब तक 1005 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

NIA filed chargesheet PFI Sajjad

कट्टरपंथ फैलाने वाले 3 आतंकी सहयोगियों को NIA ने किया गिरफ्तार

उत्तराखंड : BKTC ने 2025-26 के लिए 1 अरब 27 करोड़ का बजट पास

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies