बांग्लादेश में शेख हसीना वाजेद के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद पूरे बांग्लादेश में हुई हिंसा और झड़पों में अब तक 232 लोगों के मारे जाने की खबर है। इससे पहले 16 जुलाई से 4 अगस्त तक कोटा और भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलनों के दौरान कुल 328 मौतें हुई थीं।
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दैनिक प्रोथोम एलो की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकांश मौतें मंगलवार को हुई, जबकि कुछ लोगों की मौत इलाज के दौरान हुई थी। बीते 23 दिनों में मौतों की कुल संख्या 560 तक पहुंच गई है।
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क्या है पूरा मामला
मामला कुछ यूं है कि पिछले माह जुलाई माह में बांग्लादेश में कथित आरक्षण विरोधी हिंसा शुरू हुई थी, जिसमें 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। पहले तो सरकार ने इसे दबा दिया, लेकिन अगस्त में दोबारा से भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन शुरू हु्आ, जिसमें सैकड़ों लोगों की मौत हो गई।
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इसी विरोध प्रदर्शन में पीएम शेख हसीना सरकार का तख्तापलट हुआ। इसी के बाद प्रदर्शनकारियों ने अंतरिम सरकार बनाने की कवायद शुरू कर दी थी। इसके लिए नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. मुहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार के गठन की रूपरेखा तैयार करने के लिए सलाहकार बनाया गया था।
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हालांकि, भारत में विपक्ष खासतौर पर कांग्रेस के कुछ नेता बांग्लादेश जैसे हालातों की कल्पना कर रहे हैं।
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