उत्तर प्रदेश में इस बार संस्थागत तरीके से हिंदू युवक-युवतियों को इस्लाम में कन्वर्ट करने के षड्यंत्र का खुलासा हुआ है। मुरादाबाद स्थित लक्मे फैशन अकादमी का संचालन शाहनवाज खान और उसकी बीवी रक्षंदा खान कर रही थी। रक्षंदा का संजाल कितना बड़ा है? उसके तार किस-किस से जुड़े हैं? रक्षंदा खान, जो हिंदू थी, कैसे लव जिहाद में फंसी और कन्वर्जन तंत्र चलाने लगी? ऐसे कई सवाल हैं, जिनके जवाब पुलिस और जांच एजेंसियों को खोजने हैं।
हिंदू छात्राओं पर इस्लाम में कन्वर्ट होने का दबाव डालने वाली रक्षंदा खान डेढ़ दशक पहले हिंदू थी। उसका नाम सपना सिंह था। एक भाई और पांच बहनों में एक, सपना कानपुर की शक्तिनगर कॉलोनी में रहती थी। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह काम खोज रही थी। उसे कानपुर के एक ब्यूटी पार्लर में काम मिल गया, जहां उसकी भेंट शाहनवाज खान से हुई, जो कार सज्जा का काम करता था। मुलाकात दोस्ती में बदली और फिर प्यार तक पहुंच गई। शाहनवाज ने लव जिहाद में फंसा कर उसका ब्रेनवॉश किया। नतीजा, सपना ने उसके साथ निकाह करने का फैसला कर लिया। परिवार ने समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह नहीं मानी। इस्लाम कबूल कर वह रक्षंदा खान बन गई और शाहनवाज से निकाह कर लिया जिसने उसे कट्टरपंथी मुसलमानों से मिलवाना शुरू किया। इसके बाद वह कट्टरपंथ के रास्ते पर चल पड़ी।
शाहनवाज तीन वर्ष पहले उसे मुरादाबाद लेकर आया था। उसके पास ठीक-ठाक पैसा था। वह शातिर भी था। दोनों ने कांठ रोड पर नामी सौंदर्य उत्पाद कंपनी लक्मे की फ्रेंचाइजी ले ली। चूंकि ब्रांड बड़ा था, इसलिए काम बढ़िया चल निकला। फिर दोनों ने लक्मे फैशन अकादमी खोली। इसमें रक्षंदा ने मेकअप, स्किन एंड हेयर ट्रीटमेंट आदि का प्रशिक्षण देना शुरू किया। इसके लिए वह 30,000 से 3,00,000 रुपये तक फीस लेती थी। उसके निशाने पर हिंदू लड़के-लड़कियां होते थे। वैसे तो दिखाने के लिए दोनों सौंदर्य उत्पाद बेचते थे, फैशन अकादमी चलाते थे, लेकिन अंदरखाने कन्वर्जन का खेल चल रहा था। शाहनवाज खुद परदे के पीछे रह कर इस काम को रक्षंदा के जरिए अंजाम दे रहा था।
फैशन अकादमी में कन्वर्जन के खेल का खुलासा तब हुआ, जब हिंदू छात्र-छात्राओं ने मुरादाबाद के जिलाधिकारी से मिलकर अकादमी निदेशकों शाहनवाज और रक्षंदा की असलियत बताई। छात्र-छात्राओं ने बताया कि अकादमी में दाखिले के समय उनसे कहा गया कि परिसर में सद्भावपूर्ण माहौल रहेगा और मांसाहार पर भी प्रतिबंध रहेगा। लेकिन अकादमी में आने पर सब कुछ उल्टा था। परिसर में शादीशुदा हिंदू युवतियों को बिंदी, सिंदूर लगाने और कलावा पहनने की अनुमति नहीं थी। हद तो तब हो गई, जब रक्षंदा खान हिंदू छात्राओं को मुस्लिम छात्रों वाले ग्रुप में शामिल कर उन पर लड़कों से दोस्ती करने का दबाव बनाने लगी। विरोध करने पर हिंदू छात्र-छात्राओं को तरह-तरह से परेशान किया जाता था। रक्षंदा खुलेआम अकादमी में इस्लाम का प्रचार करती थी। वह तीन तलाक और हलाला का कभी जिक्र नहीं करती थी, पर नमाज पढ़ने, इस्लाम कबूलने के कल्पित फायदे गिनाती थी।
पिछले वर्ष जुलाई में गाजियाबाद पुलिस ने एक अंतरराष्ट्रीय कन्वर्जन गिरोह का पर्दाफाश किया था। इसमें गिरोह का सरगना अपने समुदाय के लोगों की बजाए उन लोगों को कन्वर्जन का जिम्मा सौंपता था, जो खुद कन्वर्टिड होते थे। इस मामले में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया था, जो इस्लाम कबूल चुके थे
हालांकि रक्षंदा के विरुद्ध पहली शिकायत लगभग एक वर्ष पहले गोविंदनगर (मुरादाबाद) के राज राणा नामक एक हिंदू छात्र ने की थी। शिकायत में उसने कहा था कि रक्षंदा अपनी अकादमी में प्रशिक्षण देने के बजाए इस्लाम का प्रचार करती है। राज ने 2022 में मेकअप कोर्स में दाखिला लिया था, जिसकी फीस 72,000 रुपये थी। लेकिन पुलिस ने तब उसकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया और रक्षंदा को सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया। इससे रक्षंदा के हौसले और बढ़ गए।
वह हिंदू छात्रों को और अधिक परेशान करने लगी। हिंदू छात्राओं पर मुस्लिम लड़कों से दोस्ती और कन्वर्जन का दबाव बढ़ा दिया। इस बार तान्या चौधरी और स्वाति पाल ने हिम्मत दिखाई और जिलाधिकारी से मिलकर रक्षंदा की शिकायत की। शिकायत में उन्होंने साफ-साफ लिखा कि रक्षंदा ‘थ्योरी’ के नाम पर इस्लाम के बारे में पढ़ाती है और कहती है कि हिंदू लड़कियों को मुसलमानों से शादी करनी चाहिए। वह व्रत-त्योहार को पाखंड और रोजे में बहुत ताकत बताती थी। कक्षा में मुस्लिम लड़कों से नमाज भी पढ़वाती थी और खुलकर उनकी मदद भी करती थी, हिंदू छात्र-छात्राओं को प्रताड़ित करती थी। रक्षंदा लक्मे के उत्पादों में मिलावट भी करती थी। वह बड़े ब्रांड की आड़ में नकली चीजें बेचती थी, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक थीं।
छात्राओं की शिकायत पर मुरादाबाद के डीएम अनुज सिंह ने पुलिस को मामले की जांच करने का आदेश दिया। जांच में रक्षंदा और शाहनवाज पर लगाए गए आरोपों की पुष्टि हुई और पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया। दोनों अभी जेल में हैं। एसपी (सिटी) अखिलेश भदौरिया और सीओ अर्पित कपूर के अनुसार, लक्मे फैशन अकादमी की छात्रा तान्या चौधरी, स्वाति पाल और छात्र जतिन सैनी ने डीएम से जबरन कन्वर्जन का दबाव बनाने की शिकायत की थी। जांच में अभी और खुलासे हो सकते हैं। पुलिस यह भी पता लगा रही है कि कन्वर्जन के खेल के पीछे और कौन-कौन है।
पिछले वर्ष जुलाई में गाजियाबाद पुलिस ने एक अंतरराष्ट्रीय कन्वर्जन गिरोह का पर्दाफाश किया था। इसमें गिरोह का सरगना अपने समुदाय के लोगों की बजाए उन लोगों को कन्वर्जन का जिम्मा सौंपता था, जो खुद कन्वर्टिड होते थे। इस मामले में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया था, जो इस्लाम कबूल चुके थे। उनके निशाने पर पढ़े-लिखे हिंदू युवक-युवतियां थीं, जिन्हें कन्वर्ट कर फिदायीन बनाया जाता था। जिस राहिल ने गाजियाबाद की युवती को लव जिहाद में फंसाकर उसका ब्रेनवॉश किया और मानव बम बनाया, वह पहले हिंदू था और उसका नाम राहुल अग्रवाल था। वह गाजियाबाद के ट्रांस हिंडन इलाके में रहता था। उसके झांसे में आकर लड़की ने इस्लामी रीति-रिवाज अपना लिए।
हिंदू छात्राओं पर मुस्लिम लड़कों से दोस्ती और कन्वर्जन का दबाव बढ़ा दिया। इस बार तान्या चौधरी और स्वाति पाल ने हिम्मत दिखाई और जिलाधिकारी से मिलकर रक्षंदा की शिकायत की। शिकायत में उन्होंने साफ-साफ लिखा कि रक्षंदा ‘थ्योरी’ के नाम पर इस्लाम के बारे में पढ़ाती है और कहती है कि हिंदू लड़कियों को मुसलमानों से शादी करनी चाहिए। वह व्रत-त्योहार को पाखंड और रोजे में बहुत ताकत बताती थी। कक्षा में मुस्लिम लड़कों से नमाज भी पढ़वाती थी और खुलकर उनकी मदद भी करती थी, हिंदू छात्र-छात्राओं को प्रताड़ित करती थी। रक्षंदा लक्मे के उत्पादों में मिलावट भी करती थी।
रहन-सहन और पहनावा ही नहीं, वह पांच वक्त नमाज भी पढ़ने लगी थी। लड़की के पिता की शिकायत पर पुलिस ने राहिल सहित जिन तीन लोगों को गिरफ्तार किया था, वे कन्वर्टिड थे और हिंदू युवाओं को जिहादी बनाने में जुटे हुए थे। इनके आका ने 2011 में इस्लाम कबूला था। वह चार युवक-युवतियों को कन्वर्ट कर उन्हें फिदायीन के रूप में तैयार कर चुका था। राहुल उर्फ राहिल के मोबाइल से पाकिस्तानी कट्टरपंथी मौलानाओं के भड़काऊ वीडियो और इस्लामी साहित्य बरामद हुए थे। जांच में पता चला कि कन्वर्जन कराने के बाद गिरोह के सदस्य उन्हें जाकिर नाइक और तारिक जमील की तकरीरें सुनने के लिए कहते थे। पुलिस के साथ एटीएस और अन्य एजेंसियां गिरोह से जुड़े अन्य लोगों की तलाश कर रही हैं।
इससे पहले पिछले वर्ष मई में गाजियाबाद पुलिस ने ही आनलाइन गेमिंग के जरिए हिंदू बच्चे को कन्वर्ट करने का खुलासा किया था। बच्चा कहता था कि जिम जा रहा है, पर मस्जिद में नमाज पढ़ने पहुंच जाता था। इस तरह वह जिम के बहाने दिन में पांच बार कुछ देर के लिए गायब हो जाता था। राहुल अग्रवाल हो या कानपुर की सपना सिंह, उनकी कहानी यह साबित करने के लिए काफी है कि देश के हिंदू युवक-युवतियों को बहका कर कट्टरपंथी लगातार उनका कन्वर्जन करा रहे हैं और उन्हें जिहादी, फिदायीन बनाने का षड्यंत्र रच रहे हैं।
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