दिल्ली शराब घोटाले के मामले में अरविंद केजरीवाल को दिल्ली हाई कोर्ट ने बड़ा झटका देते हुए उनकी गिरफ्तारी को बरकरार रखा है। दिल्ली हाई कोर्ट ने सीबीआई द्वारा अरविंद केजरीवाल की जमानत के बाद उनके द्वारा गवाहों को प्रभावित करने के तर्क का समर्थन करते हुए कहा कि सीबीआई के इस तर्क के पीछे कोई दुर्भावना नहीं नजर आती है। वहीं दूसरी ओर दिल्ली सरकार के ही उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के शराब घोटाले के मामले में भी सर्वोच्च अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
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सिसोदिया ने ट्रायल में देरी का हवाला देते हुए शीर्ष अदालत से राहत की मांग की है। वहीं केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी और सीबीआई ने ट्रायल में देरी के लिए आम आदमी पार्टी के नेता को जिम्मेदार ठहराया है। मनीष सिसोदिया का कहना है कि वो बेकसूर हैं और एजेंसियों के खिलाफ उनके खिलाफ कोई भी सबूत नहीं है। सिसोदिया का कहना है कि आधी अवधि के बराबर में वह जेल में अपना वक्त बिता चुके हैं।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, मनीष सिसोदिया के वकील हैं कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी। अभिषेक मनु सिंघवी ने सिसोदिया की जमानत याचिका पर जिरह के दौरान सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि सिसोदिया को लेकर कोई बयान या व्हाट्सएप चैट उपलब्ध नहीं है। इसके साथ ही हवाला ऑपरेटर्स के साथ उनका कोई सबूत नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने ये भी दावा किया कि कैद की इस अवधि का कोई अंत नहीं है।
केजरीवाल कोई साधारण आदमी नहीं
इससे पहले एक दिन पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को बरकरार रखते हुए कहा कि केजरीवाल कोई साधारण आदमी नहीं हैं, बल्कि वो एक मैग्सेसे पुरस्कार विजेता और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक हैं। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने 48 पन्नों के फैसले में कहा कि गवाहों पर उसका नियंत्रण और प्रभाव से प्रथम दृष्टया इस तथ्य से पता चलता है कि ये गवाह याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी के बाद ही गवाह बनने का साहस जुटा सके, जैसा कि सीबीआई ने बताया है।
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