बांग्लादेश में हिंसा से बुरे हालात हैं। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने जहां देश छोड़ दिया, वहीं बांग्लादेश में अराजकता की स्थिति है। हालात बेकाबू हैं। 1971 की तरह एक बार फिर वहां के लोगों को भारत से आशा है। बिगड़े हालात के बीच पाञ्चजन्य ने बांग्लादेश में बात की।
बांग्लादेश में पत्रकार और एक्टिविस्ट ने (सुरक्षा की दृष्टि से नाम नहीं दिया जा रहा है) पांचजन्य से फोन पर हुई बातचीत के दौरान बताया कि यहां बहुत बुरी स्थिति है। सभी सड़क पर हैं। हर तरफ आगजनी है। हालात बेकाबू हैं। हम भी किसी तरह से अपनी जान बचाए हुए हैं। बाहर कब क्या हो जाए किसी को नहीं पता। हम भारत की तरफ मदद की निगाह से देख रहे हैं लेकिन अभी तक यहां कुछ भी सकारात्मक नहीं हो पाया है।
जब हम बात कर रहे थे तब पीछे से अल्लाह हू अकबर के नारे सुनाई दे रहे थे। पश्चिम बंगाल में आरक्षण को लेकर हुए बवाल के दौरान ‘एंटी-डिस्क्रीमिनेशन स्टूडेंट मूवमेंट’ के 157 संयोजकों में से एक नाहिद इस्लाम ने 4 अगस्त 2024, को ‘पूर्ण असहयोग आंदोलन’ शुरू करने की घोषणा की। प्रधानमंत्री शेख हसीना से बातचीत का आग्रह ठुकरा दिया था।
प्रधानमंत्री के वार्ता के आह्वान को अस्वीकार करने से कुछ घंटे पहले, अलकायदा से जुड़ी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के एक प्रचारक डेविड बर्गमैन ने छात्रों से प्रधानमंत्री के बातचीत के प्रस्ताव को खारिज करने का आह्वान किया था, जिससे यह संकेत मिलता है, कि पूरे आंदोलन को बर्गमैन के बॉस तारिक रहमान नियंत्रित कर रहा है, जो एक सजायाफ्ता आतंकवादी है और 2007 से यूनाइटेड किंगडम में स्व-निर्वासन में रह रहा है। बर्गमैन के अलावा, बीएनपी ने अपने प्रोपेगेंडा फैलाने वाले तत्वों को पूरी तरह एक्टिव कर रखा है, जो लगातार गलत सूचनाएं फैला रहे हैं। जिसमें जॉन डैनिलोविच भी शामिल हैं, जो एक पूर्व अमेरिकी डिप्लोमेट हैं और कई वर्षों तक अलकायदा से जुड़ी पार्टी के लिए काम कर चुके हैं। सुकीर्ति मंडल ने बताया कि यहां पर इंटरनेट बंद हैं। कुछ—कुछ जगहों पर इंटरनेट मिल रहा है तो हम लोग बात कर पा रहे हैं। अभी यहां पर किसी को कुछ भी नहीं पता है कि बाहर क्या हो रहा है। स्थितियां बहुत खराब हैं। हमें मदद की जरूरत है। हम भारत की तरफ देख रहे हैं कि वह हमारी इस मामले में मदद करे।
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