लिवरपूल, ब्रिस्टल, लीड्स, हल, बेलफास्ट, ब्लैकपूल, नॉटिघम, स्टोक-ऑन-ट्रेंट तथा मैनचेस्टर जैसे शहरों में पत्थरबाजी और आगजनी के दृश्य दिख रहे हैं। इमारतों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। लंदन में मजहबी उपद्रवी ‘शरिया कानून’ लागू करने की मांग करते हुए ‘अल्लाहू अकबर’ के नारे लगा रहे हैं। ब्रिटिश लोगों को चुन—चुनकर निशाना बनाया जा रहा है।
इस वक्त ब्रिटेन में जबरदस्त उबाल है। वह देश जल रहा है। ‘शरणार्थी’ हिंसक मजहबी तत्वों ने पूरे देश में उत्पात मचाया हुआ है। वे सड़कों पर तलवारे, चाकू, कुल्हाड़ी और फरसे लेकर ‘अल्लाहू अकबर’ के नारे लगाते घूम रहे हैं। रास्ते में जो गोरा दिखता है उसकी जान लेने को उतारू हो जाते हैं। ब्रिटिश लड़कियों, महिलाओं का बाहर घूमना खतरे से खाली नहीं रह गया है। गत सप्ताह एक ‘डांस क्लास’ में छुरेबाजी की घटना में तीन ब्रिटिश बच्चियों की मौत के बाद से ब्रिटिश लोग अब ‘करो या मरो’ की सोच के साथ अपने देश को इस्लामी प्रवासियों से मुक्ति की मांग लेकर एकजुट हो चुके हैं।
हैरानी की बात है कि ब्रिटेन की पुलिस इन ब्रिटिश लोगों के विरुद्ध ही सख्ती दिखा रही है जबकि इस्लामी तत्वों से घबराती दिख रही है। पुलिस वाले मजहबी उन्मादियों की भीड़ देखकर भाग खड़े होते हैं जबकि प्रदर्शनकारी गोरों पर कुत्ते छोड़कर उन पर डंडे बरसा रहे हैं। इन सब दृश्यों से सोशल मीडिया भरा पड़ा है।
इस परिस्थिति में ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की भूमिका और बयान ‘दक्षिणपंथी’ ब्रिटेन वालों को समझ नहीं आ रहे हैं। स्टार्मर का कहना है कि ‘चरमपंथियों’ के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई होगी, जिसके लिए पुलिस को सरकार का पूरा सहयोग दिया जाएगा। संभवत: पुलिस ‘चरमपंथी’ ब्रिटिश लोगों के साथ कड़ाई से पेश आ रही है।
लिवरपूल, ब्रिस्टल, लीड्स, हल, बेलफास्ट, ब्लैकपूल, नॉटिघम, स्टोक-ऑन-ट्रेंट तथा मैनचेस्टर जैसे शहरों में पत्थरबाजी और आगजनी के दृश्य दिख रहे हैं। इमारतों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। लंदन में मजहबी उपद्रवी ‘शरिया कानून’ लागू करने की मांग करते हुए ‘अल्लाहू अकबर’ के नारे लगा रहे हैं। ब्रिटिश लोगों को चुन—चुनकर निशाना बनाया जा रहा है। उनका राह चलना तक दूभर हो गया है। वे हैरान हैं कि जिन्हें ‘इंजिनियर’, ‘डॉक्टर’ और अन्य ‘पेशेवर’ बताकर ब्रिटेन में ‘पनाह’ दी गई आज वे ही अपने असली रूप में आकर ब्रिटेन के लोगों पर हावी हैं और देश की सुरक्षा व्यवस्था की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
‘दक्षिणपंथियों’ की अपने देश को इन कट्टर इस्लामी तत्वों से बचाने की कोशिश में सड़कों पर उतरे गोरों को धमकाते हुए ब्रिटेन की गृह मंत्री यवेट कूपर चेतावनी दे रही हैं कि ‘इस तरह की अराजकता तथा हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।’
ब्रिटेन के गुस्साए लोग सरकार को ‘चरमपंथी’ लग रहे हैं इसीलिए पुलिस वाले भी उन पर जमकर डंडे भांज रहे हैं। सरकार के अनुसार, ‘वे नफरत फैलाने में लगे हैं।’ प्रधानमंत्री का कहना है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक बात है लेकिन अराजकता दूसरी बात है। लेकिन यही प्रधानमंत्री गैर गोरे लोगों की हिंसा के बारे में मुंह सिले हुए हैं। ‘दक्षिणपंथियों’ के आंदोलन के बारे में स्टार्मर कहते हैं कि हिंसा के पीछे कोई बहाना जायज नहीं है।
पूरे यूरोप में अराजकता फैला रहे इस्लामी ‘शरणार्थी’ हर जगह शरिया का राज लाने की कसमें खाए हुए हैं। लगभग हर यूरोपीय देश में वे थोक के भाव भरे जा रहे हैं। नार्वे में तो कई जगह अब वहां के असली नागरिकों की संख्या से उन मुस्लिमों की संख्या अधिक हो चली है। और हर जगह उपद्रव करने के बाद वे ‘विक्टिम कार्ड’ खेलते हैं और खुद को ‘बेदाग’, ‘मासूम’ बताते हुए घड़ियाली आंसू बहाते हैं।
राजनीतिकों के लिए वोट बैंक जैसे ये इस्लामी ‘शरणार्थी’ ब्रिटेन में भी ‘विक्टिम’ का बाना ओढ़े हुए हैं। तभी तो ब्रिटेन में ‘मुसलमानों के विरुद्ध’ घटनाओं की गिनती करने वाली संस्थाओं का कहना है कि ‘ऐसी खबरें बढ़ गई हैं जिनमें मुस्लिमों ने अपनी जानमाल की हिफाजत पर चिंता जताई है। मुसलमान तो डर के मारे मस्जिदों तक में नहीं जा पा रहे।’
ब्रिटेन की पुलिस मंत्री डायना जॉनसन भी तेवर दिखाते हुए कह रही हैं कि कोई अपनी चमड़ी के रंग की वजह से डरे, तो ये बात सही नहीं है। सरकार ऐसी चीजों से निपटने के लिए जो जरूरी है वह करेगी। इधर पुलिस धड़ाधड़ ‘दंगाइयों’ को गिरफ्तार कर रही है जो अधिकांशत: गोरे लोग ही हैं। पिछले दिनों ब्रिटेन में स्टार्मर सरकार के बनने पर कूटनीति के जानकारों ने कहा था कि ब्रिटेन में इस्लामी आतंक बढ़ जाएगा और गृहयुद्ध जैसे हालात बन जाएंगे। कारण यह कि स्टार्मर मुस्लिम और वामपंथी तत्वों पर नरमी बरतेंगे जो और उग्र होकर ब्रिटेन के असल नागरिकों के लिए खतरे पैदा करेंगे।
आज ब्रिटेन में ठीक यही हो रहा है। आम ब्रिटेनवासी अपने देश की दुर्दशा देखकर व्यथित है। कुछ लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि लगता है, ब्रिटेन आखिरी सांसें गिन रहा है। आज लेबर पार्टी की सरकार तले वहां अराजकता, अव्यवस्था, आंदोलन, आगजनी आदि के नजारे पूरे यूरोप को भयभीत कर रहे हैं।
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