गत 29 जुलाई को केरल के वायनाड में तेज वर्षा के बाद जमीन खिसकने से जान-माल का भारी नुकसान हुआ। यह प्राकृतिक आपदा रात दो बजे के आसपास आई। इसके बाद कई किलोमीटर के क्षेत्र में हाहाकार मच गया। हजारोें मकान बह गए। सैकड़ों लोग लापता हैं। इस रपट के लिखे जाने तक 291 लोग मारे जा चुके हैं। इस आपदा की जानकारी मिलते ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, उत्तर केरल प्रांत के संघचालक श्री के.के. बलराम ने स्वयंसेवकों और सेवा भारती के कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि वे पीड़ितों की मदद के लिए जुट जाएं। इस आह्वान के बाद 651 स्वयंसेवक राहत कार्य में लगे। इस कार्य में नीलगिरि जिले (तमिलनाडु) के कार्यकर्ताओं ने भी सहयोग किया। कार्यकर्ताओं ने सबसे पहले जहां-तहां फंसे लोगों को बाहर निकाला। भूस्खलन से सारे मार्ग अवरुद्ध हो गए थे।
कार्यकर्ताओं ने फावड़े और अन्य उपकरणों के जरिए रास्तों को साफ किया। इससे घायलों को अस्पताल तक पहुंचाने में और आम लोगों की आवाजाही में मदद मिली। कार्यकर्ताओं ने पीड़ितों के लिए भोजन की भी व्यवस्था की। इसके लिए एक अलग से रसोई घर चालू किया गया। यहां खाना तैयार कर प्रभावित लोगों तक पहुंचाया गया। इसके साथ ही कार्यकर्ताओं ने पीड़ितों के लिए कपड़े आदि की व्यवस्था की। पानी हटने के बाद कार्यकर्ताओं ने प्रभावित क्षेत्रों में कीटाणुनाशक पाउडर का छिड़काव किया, ताकि लोग किसी बीमारी की चपेट में न आ जाएं।
यही नहीं, सेवा भारती के कार्यकर्ताओं ने 37 से अधिक मृत लोगों का अंतिम संस्कार भी किया। बता दें कि केरल सेवा भारती के पास अनेक ऐसे वाहन हैं, जिनमें अंतिम संस्कार की सुविधा है। एक वाहन में तीन एल.पी.जी. सिलेंडर लगे रहते हैं। इसी गैस से नारियल के रेशों को जलाकर करीब डेढ़ घंटे में एक शव का अंतिम संस्कार हो जाता है।
इन कार्यकर्ताओं और स्वयंसेवकों ने एन.डी.आर.एफ. और सेना के जवानों के साथ जो कार्य किया उसकी चारों ओर प्रशंसा हुई। पीड़ितों की पीड़ा को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने भी त्वरित कदम उठाए। कुछ ही घंटों के अंदर एन.डी.आर.एफ. और सेना के जवानों को लगाया गया।
केंद्रीय मंत्री जॉर्ज कुरियन भी वायनाड पहुंचे और पीड़ितों से मिले। उन्होंने राहत कार्य में लगे लोगों का मनोबल बढ़ाया और पीड़ितों को हर तरह की मदद देने का भरोसा जताया। वहीं राज्य सरकार राहत कार्य में फिसड्डी साबित हुई। हालत यह रही कि संघ के स्वयंसेवकों के बाद सरकारी तंत्र प्रभावित लोगों तक पहुंचा। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने भी स्वयंसेवकों के सेवाकार्य की प्रशंसा की।
राज्य सरकार की निष्क्रियता को लेकर आम लोगों में गुस्सा दिखा। लोगों के गुस्से से बचने के लिए केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह इस आपदा के समय मदद नहीं कर रही है। इसके बाद 31 जुलाई को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संसद को बताया कि केंद्र सरकार ने 23 जुलाई को ही केरल सरकार को आपदा की आशंका की जानकारी दे दी थी। बताया गया था कि वायनाड में 20 सेंटीमीटर से भी अधिक वर्षा हो सकती है। भूस्खलन भी हो सकता है। इसके बाद 24 जुलाई को भी यह जानकारी भेजी गई थी।
कुल मिलाकर यह जानकारी तीन बार दी गई। लेकिन समय रहते केरल सरकार ने कोई कार्य नहीं किया। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर नहीं पहुंचाया गया। इस कारण स्थिति ज्यादा गंभीर हुई। उन्होंने कहा कि पूर्व की चेतावनियों पर राज्य सरकार ध्यान देती तो आज अनेक लोगों की जान बच जाती। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व में ओडिशा और गुजरात को आपदा की जानकारी दी गई थी। उस जानकारी के आधार पर उन दोनों राज्यों की सरकारों ने काम किया और कोई जान नहीं गई। ऐसा केरल सरकार भी कर सकती थी, लेकिन उसने किया नहीं। इसके साथ ही उन्होंने राज्य सरकार को हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया।
लोगों में वायनाड के पूर्व सांसद राहुल गांधी के प्रति भी गुस्सा दिखा। सोशल मीडिया में राहुल और वहां से चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वाली प्रियंका वाड्रा पर तीखी टिप्पणियां हुईं। एक ने लिखा, ‘‘केंद्रीय मंत्री जॉर्ज कुरियन वायनाड में राहत कार्यों का निरीक्षण कर रहे हैं, लेकिन स्थानीय पूर्व सांसद और भविष्य वाली सांसद का जहाज जब उतर पाएगा, तब वायनाड जाएंगे।’’
लेकिन इस आपदा के दौरान एक बार फिर लोगों ने देखा कि संघ के स्वयंसेवक सेवा में किस समर्पण के साथ जुटते हैं।
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