ग्लोबल वार्मिंग के कारण धरती का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। इसका असर अंटार्कटिका महाद्वीप में देखने को मिल रही है। रिकॉर्ड हीटवेव के कारण पिछले अंटार्कटिका की बर्फ की चादरों के बड़े हिस्से में जमीन का तापमान सामान्य से औसतन 10 डिग्री सेल्सियस अधिक बढ़ गया है।
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रिपोर्ट के मुताबिक, ध्रुवीय भूमि द्रव्यमान पर तापमान शून्य से हमेशा नीचे ही रहता है, जो कि वर्ष के अधिकतर समय अंधेरे में डूबा रहता है। धरती के दक्षिणी गोलार्ध की गहराई में अक्सर सर्दी होती है, लेकिन कथित तौर पर कुछ दिनों में धरती का तापमान उम्मीद से 28 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया है। पिछले एक साल में दुनिया में रिकॉर्ड गर्मी बढ़ी है, जिसमें तापमान लगातार पूर्व औद्योगिक स्तरों से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक बढ़ा रहा है। वैज्ञानिकों ने इसे सबसे बुरे दौर की सीमा बताया है।
मेटडेस्क में पूर्वानुमान के निदेशक माइकल ड्यूक्स ने कहा है कि इस महीने भर में औसत वृद्धि कहीं बहुत अधिक बढ़ गई है। जलवायु वैज्ञानिकों के मॉडल ने भविष्यवाणी करते हुए चेताया है कि मानवजनित जलवायु परिवर्तन का सबसे बुरा असर ध्रुवीय क्षेत्रों पर होने वाला है और इसका एक बड़ा उदाहरण बढ़ा हुआ तापमान है। ड्यूक्स ने कहा कि सामान्यतया आप जलवायु प्रवृति के लिए सिर्फ एक माह को नहीं देख सकते हैं, लेकिन यह मॉडल की भविष्यवाणी के अनुरूप ही है।
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पिछला माह 14 महीनों में पहला ऐसा महीना था, जब तापमान के रिकॉर्ड नहीं टूटे, लेकिन उसके बाद जुलाई 2023 असाधारण रूप से गर्म रहा और यह इससे पहले किसी भी जुलाई से 0.3 डिग्री अधिक रही है। बर्कले अर्थ के वैज्ञानिक जेके हॉसफादर का कहना है कि अंटार्कटिका की हीटवेव हाल के हफ्तों में वैश्विक तापमान में वृद्धि के सबसे बड़े कारणों के लिए हीटवेव सबसे बड़े कारणों में से एक रही है।
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