नई दिल्ली में काम करता आ रहा अफगानिस्तान का दूतावास बंद हो चुका है। इसके लिए उसने दोष भारत सरकार के मत्थे मढ़ने की कोशिश की थी कि उससे उसे सहयोग नहीं मिल रहा, संसाधन कम पड़ रहे हैं इसलिए दूतावास का काम बंद करना पड़ रहा है।
कट्टर शरियावादी बंदूकधारी तालिबान ने नया फरमान जारी किया है। इस फरमान में कहा गया है कि उन देशों में अफगानिस्तान के दूतावास बंद कर दिए जाएं जो पिछली अफगान सरकार द्वारा खोले गए थे। ऐसे दूतावास 14 देशों में हैं। इनमें से प्रमुख देश हैं जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस, स्विट्जरलैंड, इटली और ऑस्ट्रेलिया। इन दूतावासों को तालिबान की शरियाई हुकूमत ने ताला लगा देने का आदेश जारी कर दिया है। इनमें अब अफगानिस्तान से जुड़ा कोई राजनयिक काम मान्य नहीं होगा।
इस फरमान को तालिबान के विदेश मंत्रालय ने जारी किया है। सोशल मीडिया पर विभाग की ओर से लिखा गया है कि ‘उन सभी दूतावासों द्वारा अब जारी किया जाने वाला कोई पासपोर्ट, वीजा अथवा राजनयिक दस्तावेज माना नहीं जाएगा। इसके लिए अफगानिस्तान की तालिबान हुकूमत जिम्मेदार नहीं होगी।’
तालिबान की हुकूमत का कहना है कि नए पासपोर्ट पाने की इच्छा रखने वाले लोग तालिबानी ‘इस्लामिक एमिरेट ऑफ अफगानिस्तान’ सरकार के आदेश से खुले दूतावासों से बात करें।’ अब इस फरमान के बाद उक्त 14 देशों में रह रहे अफगानी नागरिक असमंजस में पड़ गए हैं क्योंकि उनको अब उन देशों के दूतावासों के साथ ही दूसरे राजनयिक मिशनों के माध्यम से अपने कागजातों का नवीनीकरण कराने की जरूरत होगी।
उल्लेखनीय है कि तालिबान ने अपनी तरफ से दो देशों, पाकिस्तान और चीन में दूतावास खोले हैं। तालिबानी हुकूमत का इस बारे में मार्च 2023 में एक बयान आया था कि वे कोशिश में हैं कि जिन देशों में अफगानी दूतावास हैं, उन्हें वे अपने काबू में ले लेंगे। लेकिन इस बयान के फौरन बाद तालिबान के विदेश विभाग ने लंदन तथा वियना में कार्यरत अफगानी वाणिज्य दूतावासों का काम बंद करा दिया था।
इसी फरमान के बाद अक्तूबर 2023 में स्पेन तथा नीदरलैंड्स में काम कर रहे अफगानी दूतावासों ने कहा था कि वे आगे तालिबान के साथ समन्वय करते हुए काम करने की ‘कोशिश’ करेंगे। इधर भारत की राजधानी नई दिल्ली में काम करता आ रहा अफगानिस्तान का दूतावास बंद हो चुका है। अक्तूबर 2023 में ही इस दूतावास में काम रोक दिया था। इसके लिए उसने दोष भारत सरकार के मत्थे मढ़ने की कोशिश की थी कि उससे उसे सहयोग नहीं मिल रहा, संसाधन कम पड़ रहे हैं इसलिए दूतावास का काम बंद करना पड़ रहा है आदि। नई दिल्ली स्थित अफगानी दूतावास ने यह भी कहा था कि उसे काबुल से राजनयिक सहयोग नहीं प्राप्त हो रहा है।
ताजा स्थिति यह बताई गई है कि तालिबानी हुकूमत अभी तक पहले से मौजूद 14 दूतावासों पर अपना नियंत्रण जमा चुकी है, उनमें अपने राजदूत भेज चुकी है।
15 अगस्त 2021 को बंदूकधारी तालिबानों ने अफगानिस्तान की तत्कालीन सरकार को कुर्सी से हिंसा के दम पर हटाकर काबुल को अपने शिकंजे में ले लिया था। शरिया लागू करके वहां के नागरिकों के मौलिक अधिकारों को कुचल दिया था। आम जन, विशेषकर महिलाओं को पाषाण युग के शरियाई कायदों में जकड़ दिया था। आज भी वहां के लोग आजादी से सांस नहीं ले पा रहे हैं।
लेकिन दूसरी तरफ शरियाई तालिबानी हुकूमत चाहती है कि दुनियाभर के सभ्य देश उसकी ‘असभ्य’ सत्ता को मान्य करें और उसके हर उल्टे—सीधे काम को सराहें। लेकिन फिलहाल तो चीन को ही उसकी असभ्यता सभ्य लगी है।
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