भोपाल । मध्य प्रदेश में मोहन सरकार राज्य के सभी बच्चों को समान अवसर प्रदान करने और उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध दिख रही है। शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने के लगातार बड़े प्रयास किए जा रहे हैं। ताजा मामले में राज्य सरकार ने श्योपुर जिले में एक बड़ी कार्रवाई करते हुए 56 मदरसों की मान्यता रद कर दी । जिला शिक्षा अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में इन सभी मदरसों से जुड़ीं अनेक खामियां उजागर की थीं और इन्हें बंद करने के लिए सरकार से आग्रह किया था।
श्योपुर जिले के शिक्षा अधिकारी ने जांच में पाया कि ये सभी मदरसे शासन द्वारा सभी आर्थिक लाभ तो ले रहे थे, लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता से खिलवाड़ करते हुए बच्चों के भविष्य को अंधकार में डुबो रहे थे। नियमों के अनुसार संचालित नहीं पाए जाने पर राज्य सरकार को एक विस्तृत रिपोर्ट भेजकर इन सभी मदरसों को बंद करने के लिए निवेदन किया। इन बंद हुए 56 मदरसों में से 2 अवैध मदरसे भी हैं।
ऐसे लोगों की एंट्री, जो पढ़ने नहीं आ सकते, बालक-बालिकाओं के लिए एक ही शौचालय
मध्य प्रदेश राज्य बाल संरक्षण आयोग (एससीपीसीआर) की सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा ने कहा कि मैं अभी कुछ समय पूर्व ही श्योपुर कलां के दौरे पर गई थी, वहां तय कार्यक्रमों के दौरान आवासीय विद्यालय एवं मदरसे में भी जाना हुआ। मदरसे में जांच की तो पता चला कि संचालक मनमानी कर रहे हैं। शुक्रवार का अवकाश रखते हैं, जबकि रविवार को मदरसा की क्लास लगाकर शुक्रवार का मध्यान भोजन रविवार को बांट रहे हैं। मदरसों में ऐसे बच्चों की एंट्री है, जो कभी मदरसा पढ़ने तक नहीं आते हैं। इसके साथ ही उन बच्चों के नाम शासन की मान्यता प्राप्त बोर्ड परीक्षा में लिखवा दिए गए हैं, जोकि कभी परीक्षा देने आएंगे ही नहीं। उम्र में हिसाब से 23 से 28 साल वालों को भी कक्षा आठ का विद्यार्थी बता दिया जा रहा है। जानकारी मांगने पर उनकी सही जानकारी नहीं दी जाती है। एक हाल में ही एक से आठ तक की कक्षाएं संचालित होना बता दिया जाता है। बालिकाओं और बालक दोनों के लिए सिर्फ एक ही शौचालय था।
हिन्दू बच्चों को दी जा रही इस्लाम की दीनी तालीम
बड़ी संख्या में गैर हिन्दू बच्चों की एंट्री मिली है। उन्हें दीन-ए-तालीम उनके माता-पिता की अनुमति के बिना दी जा रही है। उसमें भी जो पढ़ाया जा रहा है, वह भी बहुत आपत्तिजनक है। हिन्दू बच्चों को ‘‘तालीमुल इस्लाम’’ जैसी किताबें पढ़ाई जा रही हैं। इसक किताब में लिखा है कि ‘‘ईमान लाया मैं अल्लाह पर और उसके फरिश्तों पर और उसकी किताबों पर और उसके रसूलों पर और कियामत के दिन पर’’
इसी किताब में लिखा है ‘जो लोग अल्लाह को नहीं मानते उन्हें काफिर कहते हैं’ फिर एक जगह लिखा है, जो लोग खुदा तआला के सिवा और चीजों की पूजा करते हैं, ऐसे लोगों को काफिर और मुश्रिक कहते हैं।, मुश्रिकों को बख्शा नहीं जाएगा।’इसी प्रकार की अन्य पुस्तकें भी हैं जिनमें बहुत कुछ वह लिखा हुआ है जो बच्चों के मन पर कम से कम समरस समाज बनाने के लिए तो प्रभाव नहीं डालते।
मदरसों की मनमानी पर एतराज
डॉ. निवेदिता शर्मा कहती हैं कि क्या यह शिक्षा हिन्दू बच्चों को दी जानी चाहिए? या किसी भी बच्चे को जिनके मन में यह भर दिया जाए कि जो खुदा को नहीं मानेंगे वे बख्शे नहीं जाएंगे। यानी जो खुदा को माने वही अच्छे और सच्चे हैं बाकी गलत । इसलिए बाल आयोग को मदरसों की मनमानी पर एतराज है । निश्चित ही प्रदेश में इस प्रकार के 56 मदरसों की मान्यता रद करना इसी दिशा में एक बड़ा कदम है।
शिक्षा अधिकारी ने भेजी थी विस्तृत रिपोर्ट
श्योपुर जिले के शिक्षा अधिकारी रविन्द्र सिंह तोमर ने बताया कि जांच में कहीं बच्चे नहीं पाए गए तो कभी अव्यवस्था मिली। जब मदरसा संचालक से स्पष्टीकरण मांगा गया तो वह भी संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। यह सीधे-सीधे बच्चों के भविष्य से साथ मजाक बनाने जैसा था, इसलिए एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजी गई थी। उसके बाद अब मध्य प्रदेश मदरसा बोर्ड ने इन मदरसों की मान्यता समाप्त करने का निर्देश दिया।
जो कहीं कर रहे नौकरी, उनके नाम भी मदरसों में दर्ज
श्योपुर जिला शिक्षा अधिकारी रविन्द्र सिंह तोमर ने मंगलवार को 56 मदरसों की मान्यता रद्द करने संबंधी आदेश जारी किए। यह भी जांच में सामने आया है कि मदरसों में ऐसे बच्चों के नाम दर्ज हैं जिन्हें मदरसे छोड़े कई साल हो गए, कई ऐसे नाम भी हैं जो कहीं नौकरी कर रहे हैं। लेकिन इनके नाम पर न केवल शासन से मिलने वाले अनुदान का लाभ लिया जा रहा था बल्कि राज्य सरकार की अन्य योजनाओं का लाभ भी उठाया जा रहा था।
सभी शिक्षण संस्थाओं के भौतिक सत्यापन के निर्देश
श्योपुर जिले में हुई कार्रवाई के बाद मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह का कहना है कि प्रदेश में संचालित सभी मदरसों के भौतिक सत्यापन की जांच करने के निर्देश दिये गए हैं। अब जिन भी मदरसों में शासन के नियमों का पालन नहीं किया जाएगा, बच्चों के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं नहीं पाई जाएंगी, तब स्वभाविक हे कि उन पर नियमानुसार मान्यता समाप्त करने के लिए कार्रवाई होगी ।
1505 मान्यता प्राप्त मदरसे संचालित, इनमें पढ़ते हैं 9427 हिंदू बच्चे
मध्य प्रदेश में सरकार ने स्वयं यह पाया है कि मान्यता प्राप्त 1505 मदरसों में 9427 हिंदू बच्चे पढ़ रहे हैं, जबकि उन्हें दीनी तालीम मुहैया कराने की अनुमति नहीं ली गई है। प्रदेश के अकेले श्योपुर जिले में कुल 80 मान्यता प्राप्त मदरसे संचालित हो रहे थे, जिनमें से 54 को राज्य सरकार से अनुदान मिल रहा था। वहीं, 2 गैर मान्यता प्राप्त मदरसे हैं जिनमें भारी अनियमितताओं के बाद उन्हें बंद करने का निर्णय लिया गया।
इस संबंध में पहले ही स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने क्षेत्र में संचालित सभी शिक्षण संस्थानों का नियमित निरीक्षण करें। उन्होंने कहा है कि सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलनी चाहिए और उन्हें राज्य सरकार की सभी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए। दूसरी ओर मध्य प्रदेश मदरसा बोर्ड ने भी इस मामले में कड़ा रुख अपनाया है। बोर्ड ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने क्षेत्र में संचालित मदरसों का भौतिक निरीक्षण कराएं और जो मदरसे नियमों के अनुसार संचालित नहीं पाए जाते हैं, उनकी मान्यता रद्द करने की कार्रवाई करें।
यह सच आया सामने
जिन हिन्दू छात्रों के मदरसे में शिक्षा लेने की बात कही गई है, वे सॉफ्टवेयर इंजीनियर डॉक्टर हैं। सरकारी मिड डे मील लेने वालों में इनके नाम लिखे मिले।
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