हाल ही में फ्रांस में कम्युनिस्ट गठबंधन चुनावों में सबसे अधिक सीटों के साथ सबसे बड़े गठबंधन के साथ सामने आया है और इसे लेकर फ्रांस चर्चा में भी था और कम्युनिस्ट मीडिया फ्रांस की प्रशंसा से अटा पड़ा था। ऐसा माना जा रहा था कि जैसे फ्रांस ने पूरे विश्व के लोकतंत्र की रक्षा कर ली है, मगर वही मीडिया पेरिस ओलंपिक्स में निरंतर आ रही गड़बड़ियों पर पूरी तरह से शांत है। और यह अव्यवस्थाएं सामान्य नहीं हैं, क्योंकि इनमें खिलाड़ियों के साथ लूट भी सम्मिलित हैं।
सबसे पहले बात खिलाड़ियों को प्रदत्त सुविधाओं की। ये खेल कम्युनिस्ट एवं कथित पर्यावरण के एजेंडे की छाँव में हो रहे हैं, और इस कारण खिलाड़ियों को गेम विलेज में मूलभूत अर्थात एसी की भी सुविधाएं नहीं दी हैं। जहां फ्रांस इन दिनों भीषण गर्मी की चपेट में है तो वहीं कथित पर्यावरण के प्रेम के चलते गेम विलेज में खिलाड़ियों को एसी नहीं दिए गए हैं। पेरिस में इन दिनों भयानक उमस का मौसम है और आम लोग भी इससे त्रस्त हैं तो वहीं ऐसे में खिलाड़ियों को न ही एसी मिल रहा है और न ही उन्हें फ्रिज दिया गया है।
सोशल मीडिया पर लोगों ने वीडियो साझा करते हुए लिखा है कि, न ही उनके पास फ्रिज है और न ही टीवी या फिर कॉफी मशीन भी नहीं है। बहुत ही निम्नस्तरीय सुविधाएं खिलाड़ियों को दी गई हैं।
एयर कन्डीशन के स्थान पर फर्श के नीचे पानी के पाइप से कमरा ठंडा करने की व्यवस्था की गई है। खिलाड़ी परेशान हैं मगर इन हजारों खिलाड़ियों के लिए व्यवस्थाएं निम्नस्तरीय हैं। हालांकि बाद में फजीहत होने के बाद 2500 एसी लगाने का निर्णय लिया गया है। इस खेल गाँव में कुल 7000 के लगभग कक्ष हैं।
इसके साथ ही खिलाड़ी यह भी प्रश्न कर रहे हैं कि कार्डबोर्ड के बिस्तर क्यों? खिलाड़ी अपनी समस्याओं को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे हैं। usatoday के अनुसार अमेरिका के जिमनास्टिक फ्रेडरिक रिचर्ड ने कहा कि उन्होनें पेरिस आने की अपनी सारी तैयारी की हैं और वे इस खेल गाँव में अपना गद्दा भी साथ लेकर आए हैं। रिचर्ड ने कहा कि हर कोई यहाँ के गद्दे और बिस्तर की बुराई कर रहा था, तो मैं अपना गद्दा लेकर आया हूँ।
इसके अनुसार ऑस्ट्रेलिया ने भी अपने खिलाड़ियों के लिए अतिरिक्त गद्दे और तकियों की व्यवस्था की है। यह हाल खेल गाँव अर्थात ओलंपिक्स विलेज में खिलाड़ियों को दी जा रही कथित सुविधाओं का है। तो वहीं अब यह भी समाचार आ रहे हैं कि खिलाड़ियों एवं प्रख्यात लोगों के साथ लूट भी हो रही है। कतर की एक शहजादी जो अपने साथ महंगी घड़ियों और गहने लेकर जा रही थीं, उनका घड़ियों और गहनों वाला बैग तब चोरी हो रहा, जब वे फ्रांस में एक हाई स्पीड ट्रेन से पेरिस जा रही थीं। मीडिया के अनुसार लग्जरी ब्रांड हर्मस से ग्यारह बैग गायब हैं।
मगर यह तो मेहमानों की बात है। खिलाड़ी और टीम भी सुरक्षित नहीं हैं। अर्जेन्टीना फुटबाल टीम के ट्रेनिंग कैंप में ही मोरक्को के साथ होने वाले मैच से पहले लूट हो गई थी। कोच का कहना था कि वे हमारे ट्रेनिंग की जगह पर घुस आए और हमें लूट लिया। zamaica-gleaner के अनुसार अर्जेन्टीना के फुटबॉल कोच का कहना था कि मोरक्को के साथ होने वाले महत्वपूर्ण मैच से पहले उनके पूरे ट्रेनिंग बेस को लूट लिया गया था। कोच के अनुसार हम ट्रेनिंग के बाद कुछ कहना नहीं चाहते थे। मगर ऐसी चीजें जो हो रही हैं, वह ठीक नहीं हैं।
इसके साथ ही ब्राजील के स्टार फुटबॉल खिलाड़ी जिकों को भी पेरिस ओलंपिक्स में लूट लिया था। जब वे टैक्सी में थे, तो उनका कीमती सामान चुरा लिया गया। उन्होनें पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराई है।
इसके साथ ही ओलंपिक्स ओपनिंग समारोह के बाद पेरिस में बिजली चली गई थी और पेरिस कुछ क्षणों के लिए अंधेरे में डूब गया था। हालांकि वह ओपनिंग सेरेमनी के बाद हुआ था, और उसे लेकर लोगों ने “गॉड का गुस्सा कहा था!”
उससे पहले भी ऑस्ट्रेलिया कई एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार का समाचार सुर्खियों में रहा था। और नाइन मीडिया की ओलंपिक ब्रॉडकास्ट करने वाली टीम के दो सदस्यों पर हमला हुआ था। guardian के अनुसार नाइन की पत्रकार क्रिस्टीन आहेम ने बताया कि दो सदस्य पेरिस के पूर्वोत्तर के कस्बों में अंतर्राष्ट्रीय प्रसारण केंद्र में काम कर रहे थे और सोमवार दोपहर को जब वे अपने ठिकानों पर वापस जा रहे थे तो उनपर एक समूह ने हमला किया।
क्रिस्टीन के अनुसार हालांकि हमलावरों ने कोई हथियार इस्तेमाल नहीं किया, मगर यह बहुत गंभीर हमला था। वे दोनों ही भागने में कामयाब रहे मगर वह डराने वाला अनुभव था।
कम्युनिस्ट बहुमत वाले फ्रांस में हो रहे इस महत्वपूर्ण आयोजन में इतनी अव्यवस्थाएं होने के बावजूद भी अभी तक कम्युनिस्ट मीडिया ने इन अव्यवस्थाओं पर, इन लूटों पर वह आलोचना नहीं की है, जो आलोचना वह लगातार भारत की बिना किसी कारण के करता रहता है।
भारत में होने वाले हर आयोजन को लेकर छोटी-मोटी अव्यवस्थाओं पर लंबी-लंबी बहसें करने वाला कम्युनिस्ट एवं औपनिवेशिक मीडिया पेरिस में हो रही इन तमाम घटनाओं पर चुप्पी साधे हुए है।
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