दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर इलाके में भारी बारिश के बाद लोकप्रिय राव आईएएस कोचिंग सेंटर की इमारत के बेसमेंट में पानी भरने से तीन छात्रों की दर्दनाक मौत हो गई। यह दर्दनाक हादसा उस वक्त हुआ जब लाइब्रेरी में बड़ी संख्या में छात्र पढ़ाई कर रहे थे। आनन-फानन में सभी छात्र बाहर निकलने लगे। कुछ छात्रों ने तो अपने आपको बचा लिया, लेकिन तीन छात्र सरकारी सिस्टम और कोचिंग सेंटर की नाकामी के कारण अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठे। तीनों छात्र सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। मृतक छात्रों की पहचान तानिया सोनी (तेलंगाना), श्रेया यादव (UP) और नेविन डालविन (केरल) के तौर पर हुई है। अन्य छात्रों ने इस दर्दनाक घटना के लिए एमसीडी और कोचिंग संस्थान दोनों को दोषी ठहराया है।
यही नहीं हादसे के बाद दिल्ली सरकार का कोई भी प्रतिनिधि छात्रों से मिलने तक नहीं पहुंचा। इस हादसे को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने आज (28 जुलाई 2024) दिल्ली एमसीडी मेयर शैली ओबेरॉय के आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। ABVP ने बिना सुरक्षा मानकों के चल रहे कोचिंग संस्थानों को बंद करने की मांग की। साथ ही इसी सप्ताह पटेल नगर में यूपीएससी छात्र की करंट लगने से मौत जैसे मामलों में दिल्ली सरकार और एमसीडी द्वारा कोई सबक नहीं लेने की निंदा की। शराब घोटाले में जेल में बंद दिल्ली के मुखिया तिहाड़ से दिल्ली की सरकार चला रहे हैं। उनका कोई नुमाइंदा सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर आएगा और घड़ियाली आंसू बहाकर किसी और पर दोष मढ़कर चलता बनेगा। जबकि दिल्ली में एमसीडी में भी आाम आदमी पार्टी नेतृत्व कर रही है। दिल्ली के सड़ चुके सिस्टम को लोग भी दो-तीन दिन बाद भूल जाएंगे।
एमसीडी को क्या करना, उसे तो राजनीति से मतलब
स्थानीय लोगों और भाजपा ने एमसीडी की लापरवाही को हादसे का कारण बताया है। उनका कहना है कि बीते कई वर्षों से जलभराव की समस्या है। एमसीडी को भी पता है कि मानसून में जलभराव होता है। इसके बावजूद एमसीडी ने नालों की सफाई नहीं करवाई और न ही मानसून में बारिश से निपटने की कोई तैयारी की गई। नाले की सफाई न होने के कारण इमारत अत्यधिक पानी का दबाव नहीं सह पाई, जिससे पानी अचानक बेसमेंट में भर गया और हादसे में तीनों छात्रों की मौत हो गई। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा और सांसद बांसुरी स्वराज का कहना है कि पिछले 10 दिनों से नालों की सफाई करवाने की मांग हो रही थी। लेकिन विधायक दुर्गेश पाठक ने लोगों की बुनियादी मांगों को नजरअंदाज किया। मानसून की बारिश से निपटने के लिए लोगों की मांगे पूरी होनी चाहिए थी। अगर समय रहते ऐसा कर लिया गया होता जो छात्रों को अपनी जिंदगी से हाथ नहीं धोना पड़ता, लेकिन जेल में बंद मुख्यमंत्री केजरीवाल को सत्ता का मोह है। एमसीडी में दो वर्षों से ‘आप’ की सरकार है। एमसीडी ने ठीक ढंग से काम नहीं किया। विधायक ने भी लोगों की शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया। आज लगभग घंटे भर की बारिश से दिल्ली की ये दुर्दशा हो गई।
ये है दिल्ली सरकार की और उसके पूरे सिस्टम की बड़ी चूक
हादसे में जान गंवाने वाले छात्रों की मौत को प्रशासन की बड़ी लापरवाही के तौर पर देखा जा रहा है। अगर समय रहते प्रशासन की टीम हरकत में आ जाती तो इन छात्रों की जान बचाई जा सकती थी। देश की राजधानी में बच्चे आईएएस, आईपीएस बनने का सपना लेकर आते हैं, लेकिन वे इस बात अंजान होते हैं कि उनकी जान की किसी को भी परवाह नहीं। हादसे के चार घंटे बाद प्रशासन ने बचाव कार्य शुरू किया, जो न केवल बड़ी लापरवाही है, बल्कि यह दर्शाता है कि ऐसे दर्दनाक हादसे आगे भी होते रहेंगे। दरअसल, जलभराव की वजह से इस साल होने वाली दिल्ली की ये पहली घटना नहीं है। इससे पहले 22 जुलाई 2024 पटेल नगर में दोपहर बारिश के बाद चाय पीकर अपने पीजी लौट रहे छात्र की गली के गेट से करंट लगने से मौत हो गई। वह यहां यूपीएससी कर तैयारी कर रहा था। वहीं 29 जून 2024 को समयपुर बादली के सिरसापुर अंडरपास में बारिश का पानी भर गया, जिसमें डूबने से दो लड़कों की मौत हो गई थी। इसी तरह 28 जून 2024 को दिल्ली के ओखला इंडस्ट्रियल एरिया के पास बने अंडरपास में भरे पानी में डूबने से एक 60 वर्षीय बुजुर्ग की मौत हो गई।
कोचिंग सेंटर में हादसे दर हादसे
इस हादसे ने कोचिंग सेंटरों के सुरक्षा उपायों के दावों की पोल खोल कर रख दी है। हादसे के बाद तमाम छात्र सरकार और कोचिंग सेंटर के खिलाफ नारेबाजी और प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसा पहली बार नहीं है जब दिल्ली के कोचिंग सेंटरों में छात्रों के जीवन के साथ खिलवाड़ हुआ है। इससे पहले दिल्ली के मुखर्जी नगर में 15 जून 2023 को एक कोचिंग सेंटर में आग लगने से 61 लोग घायल हो गए थे। जांच में पता चला कि आग बिजली के मीटर में लगी थी, जो देखते ही देखते पूरी बिल्डिंग में फैल गई। हादसे के वक्त कोचिंग सेंटरों में करीब 200-250 छात्र मौजूद थे। कुछ छात्रों को तो खिड़की तोड़कर तीसरी मंजिल से नीचे छलांग लगानी पड़ी। खैर, ताजा मामले को लेकर दिल्ली मेयर शैली का कहना है कि अगर इस मामले एमसीडी के अधिकारी शामिल मिलते हैं तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी, अगर ऐसे गैर कानूनी तरीके से कोचिंग सेंटर चल रहे हैं तो उन पर भी कार्रवाई होगी और अधिकारी पर भी कार्रवाई होगी। ऐसे समय में हमें आरोप-प्रत्यारोप नहीं करना चाहिए बल्कि कार्रवाई करनी चाहिए।”
जिम्मेदारी से बच नहीं सकती दिल्ली पुलिस
दिल्ली पुलिस ने इस मामले में राजेंद्र नगर थाने में संबंधित धाराओं में मामला दर्ज किया है। पुलिस ने इस मामले में कोचिंग सेंटर बिल्डिंग सिस्टम के मैनेंजमेंट और ड्रेनेज सिस्टम से जुड़े दो लोगों को हिरासत में लेकर जांच शुरू कर दी है। वहीं, तीन मृत छात्रों में से एक श्रेया यादव के रिश्तेदार का आरोप है कि इस हादसे को लेकर उन्हें कोचिंग संस्थान और प्रशासन से आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं दी गई। उन्हें खबर देखने के बाद इस हादसे के बारे में पता चला, जिसके बाद वे मुर्दाघर गए। उन्होंने पहचान के लिए चेहरा दिखाने को कहा, लेकिन उन्हें यह कहकर इनकार कर दिया गया कि यह पुलिस का मामला है।
3 नहीं 10 लोगों की हुई मौत: आक्रोशित छात्र
ओल्ड राजेंद्र नगर हादसे को लेकर आक्रोशित एक छात्र ने दावे के साथ कहा, ”एमसीडी कहती है कि यह एक आपदा है लेकिन मैं इसे पूरी तरह से उनकी लापरवाही मानता हूं। आधे घंटे की बारिश में ही घुटने तक पानी भर जाता है। आपदा तो कभी-कभी होती है। मेरे मकान मालिक ने बताया कि वह पिछले 10-12 दिनों से पार्षद से कह रहे थे कि नाली की सफाई करवाई जाए। पहली मांग है कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए और घायलों, मरने वालों की सही संख्या बताई जाए। आपदा प्रबंधन के लोगों ने मुझे बताया है कि 8-10 लोगों की मौत हुई है।”
क्या कहते हैं सिस्टम में रहने वाले लोग
ओल्ड राजेंद्र नगर की घटना पर आप विधायक दुर्गेश पाठक ने कहा कि ये लो लाइन एरिया है। इसी लाइन से पानी बहता है या तो नाला, सीवर टूट गया है और पानी बेसमेंट में भर गया। टीमें अपना काम कर रही हैं। बीजेपी को भी जवाब देना चाहिए कि उन्होंने पिछले 15 साल से क्या किया। नाला क्यों नहीं बना। एक साल में सारे नाले नहीं बन सकते। राजनीति की जरूरत नहीं है।
इस मामले पर राजनीति करने की बजाय गंभीरता से सोचना होगा। इन बच्चों के माता-पिता पर क्या बीत रही होगी, ये वहीं जानते होंगे। उन्होंने दिल्ली में अपने बच्चों को पढ़ने और देश की सेवा के लिए भेजा था, लेकिन उन्हें क्या पता था कि उनकी पूरी दुनिया ही उजड़ जाएगी। क्या आम नागरिकों की जान की कोई कीमत नहीं है? क्या यह सरकारी सिस्टम की नाकामी द्वारा की गई हत्या नहीं है? इन छात्रों की मौत के जिम्मेदार लोगों पर हत्या का केस चलाकर उचित कार्रवाई करनी होगी। ताकि फिर कोई छात्र सिस्टम की नाकामी का शिकार न हो पाए।
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