नई दिल्ली । स्ट्रीट वेंडर मसले पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार के उप महाधिवक्ता ने प्रदेश सरकार की ओर से अपना पक्ष रखा। उप महाधिवक्ता द्वारा माननीय पीठ को अवगत कराया गया कि प्रदेश में स्ट्रीट वेंडर्स के पंजीकरण या लाइसेंस के संबंध में पंचायती राज एक्ट, नगर निगम एक्ट व स्ट्रीट वेंडर एक्ट में पूर्व में ही प्रावधान हैं।
उल्लेखनीय है कि कांवड़ यात्रा मार्ग में स्ट्रीट वेंडर्स को अपने दुकान फड़ ठेले आदि पर नाम लिखने की अनिवार्यता की गाइड लाइन जारी की थी जिसके खिलाफ कुछ राजनीतिज्ञ और वकील सुप्रीम कोर्ट गए थे, जिसके बाद कोर्ट ने इस गाइड लाइन पर रोक लगा दी और राज्य सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए कहा था।
सुप्रीम कोर्ट में उप महाधिवक्ता द्वारा न्यायालय को अवगत कराया गया कि उक्त सभी कानून स्ट्रीट वेंडर्स के पंजीकरण, प्रमाण पत्र और पहचान पत्र को प्रदर्शित करने की बाध्यता को अनिवार्य बनाते हैं। उन्होंने पंचायती राज एक्ट उल्लिखित प्रावधान का हवाला देते हुए माननीय पीठ को अवगत कराया कि एक्ट में पूर्व में ही स्पष्ट लिखा गया है कि “प्रत्येक व्यवसायी को अपनी दुकान के ऐसे स्थान पर जो सुगमता से दिखाई दे सकें एक साईन बोर्ड लगाना होगा जिस पर लाइसेंसधारी का नाम व व्यवसाय का नाम स्पष्ट देवनागरी लिपि में लिखा होगा।”
उन्होंने कहा कि इस क़ानून के तहत पूरे राज्य में सभी त्यौहारों के दौरान बिना किसी धार्मिक, सांप्रदायिक भेदभाव के प्रभावी रूप से लागू किया जाता रहा है।
इस मामले में सुप्रीमकोर्ट के निर्देश की प्रतीक्षा है।
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