पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और केरल की पी विजयन सरकार के द्वारा विदेशी मामलों में किए हस्तक्षेप पर केंद्र सरकार ने अपनी नाराजगी व्यक्त की है। विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने राज्यों को चेतावनी दी है कि वे अपने संवैधानिक अधिकार क्षेत्रों के बाहर के मामलों में हस्तक्षेप करने की कोशिश की है।
रिपोर्ट के मुताबिक, विदेश मंत्रालय ने संविधान प्रदत्त अधिकारों का हवाला देते हुए बताया कि सांतवी अनुसूची की सूची-1 (संघ) के आइटम-10 में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि विदेशों से जुड़ी सभी मामले में जो संघ या किसी अन्य देश के साथ संबंधों से जुड़े हुए हैं, इन सभी पर केवल केंद्र सरकार का विशेषाधिकार है। केंद्र ने पश्चिम बंगाल और केरल समवर्ती या राज्य का विषय नहीं है। इसलिए, राज्य सरकारों को ऐसे किसी भी मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, जो उनके संवैधानिक क्षेत्रों से बाहर हों।
मामला कुछ यूं है कि हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक रैली के दौरान कहा था कि अगर बांग्लादेश के लोग अगर पश्चिम बंगाल सरकार से मदद मांगते हैं तो हम उनकी मदद करते हुए उन्हें राज्य में शरण देंगे। हालांकि, केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल सरकार को चेतावनी देते हुए कहा था कि शरणार्थियों के मुद्दे पर हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।
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इसी तरह से केरल की पिनाराई विजयन सरकार ने भी केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप करते हुए विदेशी सहयोग सचिव को नियुक्त किया था। इसे भी केंद्र सरकार ने संविधान के खिलाफ करार दिया था।
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