ब्रिटेन में हाल में सम्पन्न चुनावों में सत्ताधारी कंजर्वेेटिव पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। लेबर पार्टी यहां भारी बहुमत से जीत गई है। ऋषि सुनक के नेतृत्व में कंजर्वेेटिव पार्टी मात्र 121 सीटों पर ही सिमट गई। जहां ऋषि सुनक ने इस हार की जिम्मेदारी ली तो वहीं इस हार में एक स्थान की जीत ऐसी जीत है जो कंजर्वेेटिव पार्टी के लिए विशेष है।
यह जीत है लीसेस्टर से जीती शिवानी राजा की। लीसेस्टर में कंजर्वेेटिव पार्टी की जीत इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लेबर पार्टी का गढ़ रहा है। मगर इससे भी महत्वपूर्ण यह है कि यही वह स्थान है, जहां पर भारतीयों के खिलाफ पाकिस्तानियों ने हिंसा की थी। यहां पर पाकिस्तानियों ने पाकिस्तान टीम के मैच जीतने पर भारतीय लोगों के साथ हिंसा की थी।
यह सब होने के बाद वहां की तत्कालीन सांसद क्लाउडिया वेब्ब ने हिंदुओं को ही दोषी ठहराया था। ये दंगे साधारण नहीं थे, बल्कि पूरी तरह से प्रायोजित थे। इसके लिए पहले तैयारी की गई, इसके बाद हिंदुओं के मन में डर बैठाने के लिए उनके घरों और मंदिरों को निशाना बनाया गया।
उस समय इस इलाके की लेबर पार्टी की सांसद क्लॉडिया वेब्ब ने हिंदुओं का साथ देने की बात तो दूर, उलटे उन्हें ही दंगों के लिए दोषी ठहराया। वे हिंदुओं के साथ खड़ी नहीं हुईं। उन्होंने हिंदुओं से कहा था कि यह सच्चाई है कि यहां पर चरमपंथी और दक्षिणपंथी विचारधारा द्वारा प्रभावित कुछ ‘अराजक तत्व’ हैं जिनके चलते यहां पर हिंसा की गई। उन्होंने यह भी कहा था कि यदि हमने इसके मूल कारणों पर गौर नहीं किया तो यह हिंसा लीसेस्टर से आगे बढ़ेगी।
क्लॉडिया वेब्ब का रवैया हिंदुओं और भारतीयों के प्रति दुर्भावनापूर्ण था। जब भारतीय दूतावास पर खालिस्तानियों ने हमला किया था तो उन्होंने खालिस्तानियों का भी समर्थन किया था। हालांकि उस समय क्लॉडिया वेब्ब लेबर पार्टी की सदस्य नहीं थीं, क्योंकि इससे पहले ही उन्हें एक महिला के साथ दुर्व्यवहार के आरोप में पार्टी से निकाल दिया गया था।
यहां का हिंदू समुदाय क्लॉडिया वेब्ब से क्षुब्ध था। उनके मन में वे घाव ताजा रहे जो क्लॉडिया के शब्दों ने उन्हें दिए थे। इसी का नतीजा रहा कि वे चुनाव हार गईं। लीसेस्टर से विजयी कंजर्वेटिव सांसद शिवानी राजा ने भी यही बात कही।
उन्होंने कहा, ‘मतदाताओं का विश्वास राजनेताओं से उठ गया था, क्योंकि पूर्व सांसद लोगों के साथ खड़ी नहीं हुईं। ऐसा कोई भी नहीं था, जिससे लोग अपने आप को जोड़ पाते। उन्होंने मुझे ताजा हवा की तरह देखा। लोग इसलिए भी नाखुश थे क्योंकि पूर्व सांसद लीसेस्टर में हुए दंगों के दौरान उनके साथ नहीं थीं और किसी से भी बात करने से पहले उन्होनें दंगों के लिए हिंदुओं को दोषी ठहरा दिया था।’
हालांकि चुनाव में हारने के बाद क्लॉडिया वेब्ब ने कहा कि उन्होंने किसी पर निशाना नहीं साधा था। फिर भी इस बात को झुठलाया नहीं जा सकता कि लीसेस्टर में मुसलमानों की संख्या ज्यादा है। बावजूद इसके यहां पर हुई हिंसा के लिए मुसलमानों को नहीं बल्कि हिंदुओं को दोषी ठहराया गया।
जबकि बाद में ‘फैक्ट चेक’ के दौरान यहां कई टीमों ने विस्तार से इस बारे में बताया था कि कैसे हिंदुओं के विरुद्ध सुनियोजित रूप से हिंसा की गई थी? यही कारण है कि जहां बाकी इलाकों में लेबर पार्टी अच्छे मतों से जीती लेकिन लीसेस्टर से चुनाव हार गई। हालांकि लेबर पार्टी ने हिंदुओं की नाराजगी को कम करने के लिए यहां से भारतीय मूल के हिंदू प्रत्याशी राजेश अग्रवाल को चुनाव लड़वाया था। अग्रवाल लंदन के डिप्टी मेयर रह चुके हैं।
मगर प्रत्याशी बदलने के बाद भी लीसेस्टर ईस्ट में लोगों का गुस्सा लेबर पार्टी के लिए कम नहीं हुआ। राजेश अग्रवाल को अपना प्रत्याशी बनाना लेबर पार्टी के काम नहीं आया और वे चुनाव हार गए। वहीं शिवानी राजा जो हिन्दुत्व के मूल्यों पर गर्व करती हैं, और अपनी हिन्दू जड़ों के साथ निडरता से खड़ी रहती हैं। चुनाव जीतने के बाद उन्होंने श्रीमद्भगवद् गीता को साक्षी मानकर शपथ ली।
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