युवाओं में आरक्षण के विरुद्ध इस आक्रोश के भड़कने की वजह सप्ताह भर पहले आया वहां के सर्वोच्च न्यायालय का वह फैसला है जिसमें नौकरियों में आरक्षण को रोक देने का आदेश दिया गया था, लेकिन शेख हसीना सरकार ने अदालत के इस फैसले को लागू न करने का निर्णय लिया।
बांग्लादेश में समाज में उबाल है, विशेषकर पढ़े—लिखे युवाओं में अब सरकारी नौकरियों में आरक्षण के विरुद्ध आक्रोश बढ़ता जा रहा है। इस्लामी देश की राजधानी ढाका सहित अन्य जगहों पर भी छात्र सड़कों पर उतर आए हैं, प्रदर्शन कर रहे हैं। तो उधर पुलिस लाठियां भांज रही है, आंसू गैस और गोलियां दाग रही है।
अकेले ढाका में सौ से अधिक छात्र गंभीर रूप से घायल हुए हैं। देश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण समाप्त करने की छात्रों और बेेरोजगार युवाओं की मांग दिन प्रतिदिन तीखी होती जा रही है। सिर्फ प्रदर्शन ही नहीं, आक्रोश इतना है कि देश में कई जगह से हिंसा के भी समाचार मिले हैं। पता चला है कि अभी तक इस हिंसा में लगभग 500 लोग घायल हुए हैं।
ढाका से छपने वाले दैनिक ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, बांग्लादेश के अनेक विश्वविद्यालय परिसरों में छात्र इस आंदोलन के समर्थन में एकजुट हो रहे हैं। कई परिसरों में प्रदर्शनकारी छात्रों पर पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे हैं और लाठीचार्ज किया है।
यहां के रंगपुर बेगम रोकिया विश्वविद्यालय में पुलिस की इस कार्रवाई में 22 साल के छात्र अबू सईद की मौत होने के बाद तो छात्र और बेकाबू हो गए और जबरदस्त प्रदर्शन किया। परिसर में छात्रों के गुट आक्रोश व्यक्त करते हुए हिंसा का दोष पुलिस को देते हुए कहते हैं कि पुलिस को उन पर गोली नहीं चलानी चाहिए थी।
युवाओं में आरक्षण के विरुद्ध इस आक्रोश के भड़कने की वजह सप्ताह भर पहले आया वहां के सर्वोच्च न्यायालय का वह फैसला है जिसमें नौकरियों में आरक्षण को रोक देने का आदेश दिया गया था, लेकिन शेख हसीना सरकार ने अदालत के इस फैसले को लागू न करने का निर्णय लिया। बस तभी से छात्रों ने सड़कों पर उतरकर सरकार के इस कथन का विरोध करना शुरू कर दिया कि इस बात का फैसला अदालत नहीं, सरकार के हाथ में है।
आरक्षण प्राप्त वर्ग में अधिकांशत: वे लोग आते हैं, जिन्हें हसीना सरकार अपना मतदाता मानती है। इस वर्ग में विकलांग हैं, अल्पसंख्यक समुदाय के लोग 30 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त हैं।
आरक्षण विरोधी यह हिंसा कल अचानक शुरू नहीं हुई। पिछले तीन दिन से सड़कों पर तनाव व्याप्त रहा है। नारेबाजी और जलूसों के जरिए छात्र अपना आक्रोश व्यक्त करते आ रहे हैं। लेकिन हुआ ये कि प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर प्रधानमंत्री हसीना के प्रति समर्थन जताने वाले अनेक छात्रों ने विश्वविद्यालय के प्रदर्शनकारी छात्रों पर औचक हमला बोला जिससे दोनों गुटों में जमकर पथराव और हिंसा हुई। बताया गया कि शेख हसीना के समर्थक लोगों ने परिसर में घुसकर लोहे की रॉड, डंडों और पत्थरों से प्रदर्शनकारियों पर आक्रमण कर दिया। इस हिंसा में तब 150 छात्र व अन्य घायल हुए। बीस छात्र गंभीर रूप से घायल हुए हैं।
बांग्लादेश में 2018 में हसीना सरकार द्वारा क्रियान्वित किए गए आरक्षण के नियम के तहत सरकारी नौकरी में स्वतंत्रता सेनानियों के बालकों को 30 प्रतिशत, पिछड़े जिलों के रहने वालों को 10 प्रतिशत, महिलाओं को 10 प्रतिशत, अल्पसंख्यकों को 5 प्रतिशत तथा विकलांगों के लिए एक प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है।
सरकारी नौकरियों में इस तरह कुल 56 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था कर दी गई है। बस, इसी पर अदालत ने रोक लगाई थी, लेकिन सरकार अपने नियम को बदलने को राजी नहीं हुई और फसाद खड़ा हो गया।
प्रदर्शनकारी छात्र चाहते हैं कि कुल आरक्षण 56 प्रतिशत से 10 प्रतिशत कर दिया जाए। दूसरे, यदि किसी आरक्षित सीट के लिए सही उम्मीदवार नहीं मिल रहा हो तो योग्यता सूची के आधार पर भर्ती की जाए। तीसरे, परीक्षा सभी के लिए एक ही हो। चौथे, सभी प्रकार के उम्मीदवारों के लिए उम्र सीमा एक सी हो। पांचवें, यह न हो कि कोई उम्मीदवार एक से अधिक बार आरक्षण का लाभ उठा ले।
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