नई दिल्ली । केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में महत्वपूर्ण संशोधन किए हैं, जिससे उपराज्यपाल की कुछ अतिरिक्त शक्तियों में वृद्धि हुई है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इन संशोधनों को मंजूरी देते हुए अधिनियम की धारा 55 के तहत नियमों में संशोधन को अपनी स्वीकृति प्रदान की है। गृह मंत्रालय ने इस संदर्भ में एक अधिसूचना जारी की है, जिसमें प्रशासनिक सचिवों और अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों के स्थानांतरण और नई पदस्थापनाओं की प्रक्रिया का विवरण दिया गया है।
प्रशासनिक बदलाव
अधिसूचना के अनुसार, प्रशासनिक सचिव और अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों के स्थानांतरण के प्रस्ताव सामान्य प्रशासन विभाग के प्रशासनिक सचिव द्वारा मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल (एलजी) को भेजे जाएंगे। जिन प्रस्तावों को वित्त विभाग से अनुमोदन की आवश्यकता होती है, उन्हें मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल को प्रस्तुत किया जाना चाहिए, जहां एलजी के पास विवेकाधीन शक्तियां होती हैं।
अधिसूचना में यह भी स्पष्ट किया गया है कि उपराज्यपाल के विवेक का प्रयोग करने के लिए ‘पुलिस’, ‘लोक व्यवस्था’, ‘अखिल भारतीय सेवा’ और ‘भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो’ से संबंधित प्रस्तावों के लिए वित्त विभाग की पूर्व सहमति आवश्यक होगी। इस तरह के किसी भी प्रस्ताव को मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल के समक्ष रखे बिना स्वीकृत या अस्वीकृत नहीं किया जा सकता।
विधि, न्याय और संसदीय कार्य
संशोधन के तहत, नियम 42 के अंतर्गत दो नई धाराएं जोड़ी गई हैं। पहली धारा के अनुसार, “विधि, न्याय और संसदीय कार्य विभाग न्यायालय की कार्यवाही में महाधिवक्ता की सहायता के लिए महाधिवक्ता और अन्य विधि अधिकारियों की नियुक्ति का प्रस्ताव मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री के माध्यम से उपराज्यपाल के अनुमोदन के लिए प्रस्तुत करेगा।”
दूसरी धारा के अनुसार, “अभियोजन स्वीकृति देने या अस्वीकार करने या अपील दायर करने से संबंधित कोई भी प्रस्ताव विधि, न्याय और संसदीय कार्य विभाग द्वारा मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल के समक्ष रखा जाएगा।”
सरकारी स्पष्टीकरण
सरकारी सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में केवल कामकाज के नियमों में संशोधन किया गया है। इसमें कोई नया प्रावधान शामिल नहीं किया गया है, बल्कि यह पहले से ही अधिनियम में उल्लिखित प्रावधानों का ही स्पष्टीकरण है।
यह संशोधन राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2019 के मौजूदा प्रावधानों से प्रवाहित होता है और वर्तमान नियमों में आवश्यकतानुसार संशोधन किए गए हैं।
इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में प्रशासनिक कार्यों को और अधिक सुव्यवस्थित और पारदर्शी बनाना है, जिससे उपराज्यपाल के कार्यालय को प्रभावी रूप से कार्य करने में सहूलियत हो। यह कदम राज्य के प्रशासनिक ढांचे को मजबूत बनाने और अधिक जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
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