राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने मदरसों में गैर मुस्लिम बच्चों को रखने की घटना को उनके मूल संवैधानिक अधिकारों का हनन करार दिया है। उन्होंने कहा कि इस्लामिक मदरसों में इस तरह की घटनाएं समाज में धार्मिक वैमनस्य या दुश्मनी को बढ़ावा देने का कारण बन सकती हैं।
एनसीपीसीआर अध्यक्ष 2008 में चंडीगढ़ से लापता बच्चे के सहारनपुर स्थित मदरसे में मिलने की खबर को लेकर बात कर रहे थे। कानूनगो ने सोशल मीडिया साइट एक्स के जरिए कहा कि आयोग ने सभी राज्य सरकारों से आग्रह किया, “मदरसों के हिंदू बच्चों को वे संविधान के अनुरूप बुनियादी शिक्षा का अधिकार मिले इसलिए उन्हें स्कूल में भर्ती करें और मुस्लिम बच्चों को भी धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ शिक्षा का अधिकार देने के लिए प्रबंध करें। इसके लिए उत्तरप्रदेश की राज्य सरकार के मुख्यसचिव महोदय ने आयोग की अनुशंसा के अनुरूप आदेश जारी किया था।” आयोग के अध्यक्ष ने स्पष्ट किया है कि मदरसा इस्लामिक मज़हबी शिक्षा सिखाने का केंद्र होता है और शिक्षा अधिकार क़ानून के दायरे के बाहर होता है।
अपनी एक्स पोस्ट में NCPCR अध्यक्ष ने कहा कि उन्हें समाचार पत्रों के जरिए पता चला है कि जमीयत उलेमा ए हिन्द नामक इस्लामिक संगठन इस आदेश बारे में झूठी अफ़वाह फैला कर लोगों को गुमराह कर सरकार की ख़िलाफ़त में जन सामान्य की भावनाएँ भड़काने का काम कर रहा है। प्रियांक कानूनगो ने स्पष्ट किया कि जमीयत इस्लामिक मौलवियों का एक संगठन है जो कि मदरसा दारुल उलूम देवबंद की एक शाखा ही है। दारुल उलूम देवबंध ने गजवा ए हिन्द का समर्थन किया था। इसी के बाद आयोग ने कार्रवाई की है।
एनसीपीसीआर आयोग के अध्यक्ष आगे कहते हैं कि पिछले साल उत्तर प्रदेश के देवबंद से सटे हुए एक गाँव में चल रहे एक मदरसे में एक गुमशुदा हिंदू बच्चे की पहचान बदलने और ख़तना कर धर्मांतरण करने की घटना से सांप्रदायिक सामंजस्य बिगड़ा था। ऐसे में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए ये कार्यवाही ज़रूरी है। उत्तर प्रदेश में धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम भी लागू है, किसी को भी बच्चों की धार्मिक स्वतंत्रता उल्लंघन नहीं करना चाहिए।
प्रियांक कानूनगो ने लोगों से निवेदन किया है कि ये मामला बच्चों के अधिकार का है किसी भी कट्टरपंथी कठमुल्ले के बहकावे में न आयें और बच्चों के एक बेहतर भविष्य का निर्माण करने में सहभागी बनें। इसके साथ ही इस मामले में अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई के लिए सरकार से आग्रह किया गया है।
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