ब्रिटेन में कई हिन्दू संगठनों ने मिलकर एक घोषणा पत्र जारी किया था, जिसमें हिन्दुओं की सुरक्षा की बात की गई थी। हिन्दू फॉर डेकोक्रेसी द्वारा चलाई गई इस मुहिम को प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी के चार सदस्यों का समर्थन भी मिला। पाञ्चजन्य की सलाहकार संपादक तृप्ति श्रीवास्तव ने ब्रिटेन में हिन्दू फॉर डेमोक्रेसी से जुड़ी और इनसाइट यूके की ज्वाइंट कॉर्डिनेटर मनु खजूरिया से बात की। प्रस्तुत हैं संपादित अंश:
ब्रिटेन में हिन्दुओं के लिए इस तरह के घोषणा पत्र की आवश्यकता क्यों पड़ी?
देखिए, ब्रिटेन में हिन्दुओं की जनसंख्या लगभग 10 लाख है। हम हिन्दू समाज पूरी जनसंख्या के 1.7 प्रतिशत हैं। इस तरह के घोषणा पत्र पहले भी निकाले गए हैं, लेकिन इस बार बड़े—बड़े हिन्दू संगठन से लेकर प्रांत स्तर तक का सबका इसे समर्थन है। इस पत्र की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि ब्रिटेन में हिन्दू समाज को मॉडल माइनोरिटी कहा जाता है। अर्थात एक अच्छा नागरिक कैसा हो जैसा कि ब्रिटेन में देख सकते हैं। अब अगर अपराध के क्षेत्र में देखेंगे तो यदि ब्रिटेन में 18 हजार अपराधी हैं तो इसमें केवल 300 हिन्दू जेलों में मिलेंगे। ब्रिटेन में हिन्दुओं के लिए कुछ चीजें अच्छी हों, इसके लिए पहली बार एक साथ कहना और अपने लिए मांगना बहुत आवश्यक है।
जब यहां हिन्दुओं से घृणा देखती हैं तो कैसा पाती हैं ?
हिन्दू हेट क्राइम इस देश में पहले से था। लेकिन पिछले कुछ सालों में यह बढ़ा है। हमारे धर्म स्थल पर भी हमले हुए। साथ ही यहां के स्कूल, कॉलेजों में हिन्दू बच्चों को तंग किया जा रहा है। यह सब चिन्ता का विषय हैं। यहां की सरकार हिन्दू समाज के धर्म स्थलों की सुरक्षा के लिए कुछ नीति बनाए।
ये कौन लोग हैं?
भेदभाव से जुड़ी एक रिपोर्ट के अनुसार ऐसे बच्चे जो इस्लाम मत को मानते हैं और हिन्दू बच्चों को कहते हैं कि आप इस्लाम में कन्वर्ट हो जाइए। ऐसे ही कुछ ईसाई समुदाय के बच्चों की तरफ से भी है। आम जीवन में कई बार ऐसी चीजें हुईं कि अगर कोई बच्चा हाथ में कलावा या माला पहनकर कर जाता है तो विद्यालय के अधिकारियों द्वारा कहा गया कि इसको निकालो या किसी न किसी तरह का दंड दिया गया। यह सब चीजें अब ज्यादा दिखाई दे रही हैं। इन्हीं सब चीजों को देखते हुए हमने आश्वासन मांगा है और मांग रखी है।
आखिर हिन्दुओं को इतना संघर्ष क्यों करना पड़ रहा है?
इसके बहुत सारे कारण हैं। पहला राजनीतिक प्रतिनिधित्व की कमी। दूसरा, हिन्दुओं पर भी कोई हमला होता है यहां का मीडिया हमारा साथ नहीं देता। बिल्कुल एकतरफा रिपोर्टिंग होती है।
इस घोषणा पत्र से आप क्या अपेक्षाएं रख रही हैं?
देखिए, कोई भी राजनीतिक दल बिना वोट बैंक के नहीं चलता है। इस बार जितने भी उम्मीदवार रहे, चाहे किसी भी दल के हों, उन सभी को हमने अपना पत्र दिया है। उनके उम्मीदवारों के साथ हिन्दू समाज की कई संस्थाओं ने बैठकें कीं। कई जगहों पर उनको बुलाकर घोषणा पत्र के बारे में समझाया गया।
हिन्दू समाज के साथ भेदभाव हो रहा है लेकिन फिर भी उसे स्वीकारने में क्या दिक्कत है?
इसके पीछे सिर्फ राजनीतिक कारण है। वोट बैंक की राजनीति इस मुद्दे को छूने नहीं देती। यहां इस्लामिक फोबिया या इस्लाम का जो दबाव है, जैसे— चिल्लाना, सड़कों पर उतर पड़ना, आम लोगों की दिनचर्या रोक देना, यह सब दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। ये सभी चीजें हावी होती जा रही हैं और इसको कोई नकार नहीं सकता। जो सांसद इस्लामिक फोबिया को लेकर राजनीति खेल रहे थे, उनको भी इन्हीं इस्लामिकों द्वारा भला-बुरा कहा जा रहा है।
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