फ्रांस की नेशनल असेंबली के लिए आज दूसरे चरण का मतदान हो रहा है। पहले चरण का मतदान 30 जून को हुआ था, जिसमें राइट विंग पार्टी नेशनल रैली ने जीत दर्ज कर ली थी। लेकिन, अब दूसरे चरण के चुनाव के बीच देश के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने बड़ी बात कही है। उन्होंने दो टूक कहा है कि अगर वो चुनाव हार भी जाते हैं तो भी वे राष्ट्रपति पद नहीं छोड़ेंगे।
मैक्रों की रेनेसां पार्टी और उनके गठबंधन को महज 70 से 100 सीटें मिलने का अनुमान है। दरअसल, यूरोपीय संघ के चुनाव में मैक्रों की मध्यमार्गी पार्टी को करारी मात मिली थी। इसी के बाद उन्होंने ये ऐलान किया था। बता दें कि फ्रांस में राष्ट्रपति और नेशनल असेंबली के चुनाव अलग-अलग होते हैं। इस तरह से अगर किसी पार्टी के पास संसद में बहुमत नहीं है तो भी राष्ट्रपति के चुनाव में उस पार्टी का लीडर जीत हासिल कर सकता है। 2022 के चुनाव में इमैनुएल मैक्रों के साथ भी यही हुआ था। वे राष्ट्रपति पद का चुनाव जीत गए थे, लेकिन नेशनल असेंबली में उनके गठबंधन को बहुमत नहीं मिला था।
क्या है फ्रांस की चुनावी प्रक्रिया
गौरतलब है कि भारत की तरह ही फ्रांस की संसद में ही दो सदन हैं। वहां पर निचले सदन को नेशनल असेंबली और उच्च सदन को सीनेट कहा जाता है। उल्लेखनीय है कि जिस तरह से भारत में लोकसभा के सदस्यों का चुनाव जनता करती है, उसी तरह से फ्रांस में नेशनल असेंबली का चुनाव भी लोग करते हैं। जबकि, उच्च सदन की प्रक्रिया भारत के राज्यसभा की तरह है।
30 जून को हुआ था पहले चरण का चुनाव
बता दें कि फ्रांस के पहले चरण के मतदान में सुदूर दक्षिणपंथी नेशनल रैली पार्टी ने करारी मात दी थी। मैरी ले पेन की पार्टी नेशनल रैली ने मतदान के प्रथम चरण में जीत के साथ पहले स्थान पर रही। वहीं इमैनुएल मैक्रों की पार्टी संसदीय चुनाव में वामपंथियों के बाद तीसरे स्थान पर रही थी। मतदान फर्मों की रिपोर्ट के मुताबिक, नेशनल रैली (RN) को पहले चरण में 34.5 फीसदी वोट मिले हैं, जबकि वामपंथी न्यू पॉपुलर फ्रंट को 28.5-29.1 फीसदी वोट मिले हैं। वहीं मैक्रों की मध्यमार्गी पार्टी को केवल 20.5-21.5 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है। मतदान एजेंसियों का अनुमान है कि आरएन पार्टी को दूसरे चरण की वोटिंग के बाद 577 सीटों वाली नेशनल असेंबली में संभवत: पूर्ण बहुमत मिल सकता है।
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