देश की सबसे पुरानी तीर्थ यात्राओं में उत्तराखंड में छह माह चलने वाली चारधाम तीर्थ यात्रा का अपना ही महत्व है। इस यात्रा से गढ़वाल क्षेत्र का आर्थिक चक्र घूमता है। स्थानीय लोगों में मान्यता है कि देवभूमि की धार्मिक यात्रा आदि शंकराचार्य ने शुरू की थी। हिमालय के ग्लेशियरों के मुहाने पर स्थित श्री बदरीनाथ, श्री केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री को देवभूमि उत्तराखंड के चारधाम की मान्यता प्राप्त है, सिखों के तीर्थ स्थल श्री हेमकुंड साहिब की यात्रा भी चारधाम यात्रा में शामिल है। आदि शंकराचार्य ने एक तरह से सनातन तीर्थ यात्रियों व श्रद्धालुओं के लिए यात्रा की मयार्दाएं तय कर उन्हें देव दर्शन के लिए प्रेरित किया। भारत में ज्योतिर्लिंग और मठों की स्थापना के क्रम में केदारनाथ को ज्योतिर्लिंग की मान्यता है जबकि शंकराचार्य के मठ के रूप में जोशीमठ (बद्रीकाश्रम) स्थापित है।
शंकराचार्य द्वारा स्थापित परंपरा के अनुसार दक्षिणी भारत के रावल यहां पूजा कराते हैं। इसके अलावा स्थानीय ब्राह्मणों जैसे बहुगुणा, डिमरी, नौटियाल, जोशी आदि को इन धामों की पूजा, भोग-प्रसाद, पाठी आदि के रूप में जिम्मेदारी दी गई। बदरीनाथ धाम में भगवान को अर्पित की जानी वाली श्यामा तुलसी को एकत्र करने की जिम्मेदारी स्थानीय महिलाओं को मिली। आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित धार्मिक परंपराओं का यहां आज भी पालन होता है।
चारधाम यात्रा को और अधिक सुगम बनाने के लिए पिछले पांच- सात साल में जो विकास कार्य हुए हैं उसके चलते तीर्थ यात्रियों की संख्या में बड़ा इजाफा हुआ है। सभी मौसमों को झेलने वाली सड़कें बनने के कारण यात्रा पहले से सुगम हो गई है।
चारधाम तीर्थ यात्रा
ऋषिकेश से कर्णप्रयाग के बीच रेल प्रोजेक्ट पूरा होने के कगार पर है। इसके अगले चरण में कर्णप्रयाग से जोशीमठ तक रेल लाइन की योजना बनाई जा रही है। केदारनाथ, श्री हेमकुंड साहिब और यमुनोत्री तक रोपवे बनाए जाने की योजना पर काम शुरू हो चुका है। सीएम पुष्कर धामी बताते हैं, ‘‘सरकार ने चारधाम तीर्थ यात्रा के महत्व समझकर यहां के लिए मास्टर प्लान तैयार करवाया है। केदारनाथ के बाद अब बदरीनाथ में विकास कार्य किए जा रहे हैं।’’
घोड़े और खच्चरों से 200 करोड़ का कारोबार
केदारनाथ, यमुनोत्री और श्री हेमकुंड साहिब की पैदल यात्रा के लिए करीब 14 हजार घोड़े-खच्चर वाले पंजीकृत हैं, अकेले केदारनाथ में पिछले साल 9,096 घोड़े-खच्चर पंजीकृत थे। श्रद्धालुओं को लाने-ले जाने से लेकर पहाड़ पर सामान ढोने में इनका प्रयोग किया जाता है। पिछले साल तक इनसें 125 करोड़ रु. का कारोबार हुआ था। केदारनाथ, यमुनोत्री और श्री हेमकुंड साहिब में पिछले दो साल का औसत कारोबार 175 करोड़ रुपए रहा था। 2024 में यात्रा जिस उत्साह से चल रही है उसे देखकर ये लगता है इस बार यह आंकड़ा 200 करोड़ रु.तक जा पहुंचेगा।
हवाई यात्रा कारोबार पहुंचा 100 करोड़ पार
2022 में केदारनाथ से हेलीकॉप्टर सेवा शुरू होने के बाद इससे 75.80 करोड़ का कारोबार हुआ। 2023 में यह बढ़कर 91.41 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। इस बार हवाई किराए में वृद्धि और यात्रियों की संख्या को देखकर अनुमान है कि यह 100 करोड़ से ज्यादा का आंकड़ा छू लेगा।
होटल व्यवसाय चरम पर
गंगोत्री घाटी में 400 से अधिक होटल और होम स्टे हैं, यमुनोत्री घाटी में 300 से ज्यादा वहीं बदरीनाथ-केदारनाथ यात्रा मार्ग में 850 से अधिक होम स्टे, होटल हैं। इसके अलावा, यात्रा मार्ग पर धर्मशालाएं, छोटे—छोटे मोटेल, सरकारी, गैर सरकारी विश्राम गृह आदि हैं। एक अनुमान के अनुसार इनका इस यात्रा में ही कारोबार अरबों रु. में पहुंच चुका है। इस साल 2024 में ही शुरू के दो हफ्तों में 200 करोड़ रु. का कारोबार होने का अनुमान है। पर्यटन विभाग के गढ़वाल मंडल विकास निगम के विश्राम गृह दो सप्ताह में 22 करोड़ रु. की कमाई कर चुके हैं।
पर्यटन कंपनियों का बढ़ा काम
चारधाम यात्रा में तीर्थ यात्रियों के आवागमन के खर्च का यदि आंकलन करें तो एक यात्री औसतन पांच हजार रुपए हरिद्वार से चारों धाम तक आने-जाने पर खर्च करता है। बस, जीप, टेंपो आदि की औसत निकालें तो 50 लाख यात्रियों से यह कारोबार 25 अरब रु. का हो जाता है।
धार्मिक पर्यटन से आने वाली यह रकम ही उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र के आर्थिक चक्र को चलाती रही है। फल सब्जी, दूध, दही,पनीर, पानी की बोतलें, कोल्ड ड्रिंक, मैगी चिप्स आदि का काम करने वाले छोटे बड़े दुकानदार, पेट्रोल पंप, सीएनजी, चार्जिंग स्टेशनों पर इन दिनों भरपूर काम रहता है। वहीं ड्राइवर,क्लीनर, गाइड, वेटर आदि की हर यात्रा काल में कमी ही रहती है।
चारधाम यात्रा मार्ग पर पड़ने वाली छोटी दुकानों और ढाबों का कारोबार भी खूब चलता है। हरिद्वार से तीर्थ यात्री अपनी एक सप्ताह की चारधाम की यात्रा में दिन में कम से कम तीन बार चाय-ढाबों की तरफ रुख करता है, जिसमें वह कम से कम दो सौ रुपए रोजाना खर्च करता है, एक हफ्ते में उसका खर्च हरिद्वार से तीर्थ यात्री कम से कम चौदह सौ से पंद्रह सौ रुपए तक पहुंच जाता है।
फलते-फूलते अन्य कारोबार
यात्रा सीजन में हर तीर्थ स्थल के आसपास स्थानीय उत्पादों की जमकर बिक्री होती है। हरिद्वार, ऋषिकेश के बाजार तीर्थ यात्रियों से पटे जाते हैं। इस साल चल रही यात्रा में तीर्थ यात्री अकेले केदारनाथ के एक लाख से अधिक प्रतीक चिन्ह खरीद चुके हैं, बदरीनाथ से आगे माणा गांव में प्रधानमंत्री मोदी के स्थानीय उत्पादों की खरीद के आह्वान के बाद से यहां से बुनकरों और काष्ठ कारीगरों के द्वारा तैयार उत्पादों की बिक्री में जबरदस्त उछाल आया है।
सरकार को भी आय
उत्तराखंड सरकार को भी चारधाम यात्रा से जीएसटी,राज्य कर,परिवहन कर आदि से करोड़ों रु. की आय हो रही है, कारोबारियों के बढ़ते व्यवसाय से आयकर, नेशनल हाइवे पर टोल टैक्स से भी आय में वृद्धि हो रही है।
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