इंडियन फॉर्मर्स फर्टिलाइजर को आपरेटिव लिमिटेड (इफको)- सहकारी क्षेत्र की रासायनिक खाद बनाने वाली कंपनी है। इस कंपनी को पुन: दुनिया की शीर्ष 300 सहकारी संगठनों की सूची में पहला स्थान मिला है। यह रैंकिंग प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद पर कारोबार के अनुपात पर आधारित है, जो यह दर्शाती है कि इफको राष्ट्र के सकल घरेलू उत्पाद और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। अपनी 35,500 सदस्यीय सहकारी समितियों, 25,000 पैक्स और 52,400 प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्रों के साथ इफको ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘आत्मनिर्भर कृषि’ की ओर अग्रसर सहकार से समृद्धि का सशक्त उदाहरण है।
इफको के प्रबंध निदेशक उदय शंकर अवस्थी कहते हैं, ‘‘यह इफको और भारतीय सहकारी आंदोलन के लिए गर्व का क्षण है। इफको में हम हमेशा किसानों की आय बढ़ाने, देश भर के किसानों के समग्र विकास को सुनिश्चित करने और सहकारी आंदोलन को मजबूत करने के मिशन के प्रति प्रतिबद्ध हैं। वे कहते हैं, ‘‘सहकारी संगठन नवाचार में विश्वास करता है और उसने कृषि, विशेषकर वैकल्पिक उर्वरकों के लिए नैनो प्रौद्योगिकी आधारित समाधान प्रस्तुत किए हैं, जिसकी शुरुआत इफको नैनो तरल यूरिया से हुई है।’’
इफको की शुरुआत 1967 में केवल 57 भारतीय सहकारी समितियों द्वारा भारतीय किसानों की स्थिति को बेहतर करने और देश की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से हुई थी। इफको द्वारा दुनिया का पहला नैनो उर्वरक ‘इफको नैनो यूरिया’ रासायनिक उर्वरक के उपयोग को कम करने के लिए विकसित किया गया।
देशभर की 35 हजार से अधिक सहकारी समितियों के माध्यम से इफको देश के चार करोड़ किसानों से सीधे तौर पर जुड़ी है। पिछले वित्त वर्ष में इफको ने 76,000 करोड़ रुपए का समूह व्यापार किया।
इफको के देश में पांच आधुनिक उर्वरक संयंत्र हैं। इनमें हर साल 95.61 लाख मीट्रिक टन उर्वरक का उत्पादन होता है। इफको भारत में उत्पादित कुल उर्वरक में 32 प्रतिशत फॉस्फेटिक उर्वरक और 21 प्रतिशत नाइट्रोजन का उत्पादन करती है।
इफको ने विश्व के पहले नैनो उर्वरक इफको नैनो यूरिया (तरल) के आविष्कार के बाद उसके छिड़काव के लिए कृषि ड्रोन का प्रयोग करने की योजना बनाई है। इसके तहत इफको लगातार नये लोगों को ड्रोन उड़ाने का प्रशिक्षण दे रही है। ड्रोन आज कृषि हेतु जरूरी उपकरण बन गया है। ‘किसान ड्रोन’ के माध्यम से इफको की योजना देशभर में 5000 किसान उद्यमी तैयार करने की है।
देश में कृषि ड्रोन की इस आवश्यकता को समझते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रीमंडल की एक बैठक में 15,000 महिला स्वयं सहायता समूह को ड्रोन उपलब्ध कराने की एक केंद्रीय योजना को मंजूरी दी गई जिसका नाम ‘नमो ड्रोन दीदी योजना है।’ इस योजना के माध्यम से महिला स्वयं सहायता समूहों को कृषि के इस्तेमाल के लिए किसानों को किराए के तौर पर ड्रोन उपलब्ध कराये जा रहे हैं। ये ड्रोन उर्वरकों के छिड़काव आदि के लिए उपयोग में लिए जा रहे हैं।
महिला स्वयं सहायता समूह ड्रोन योजना के तहत ये ड्रोन 2023-24 और 2025-26 के दौरान मुहैया कराए जाएंगे। महिला ड्रोन पायलट को इस योजना के तहत हर महीने मानदेय देने का प्रावधान है। इसके अलावा महिला ड्रोन सखी को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। 28 नवंबर 2023 में शुरू हुई। इस योजना के तहत सहकार द्वारा 1261 करोड़ रुपए के 15,000 ड्रोन का वितरण किया जाएगा।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को खेती में प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना है। ड्रोन उर्वरकों और कीटनाशकों के छिड़काव की दक्षता में सुधार करने के लिए महिला स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन प्रदान किए जाएंगे। बाद में किसान कृषि के इस्तेमाल के लिए ड्रोन किराए पर ले सकेंगे। इस योजना से न केवल महिला स्वयं सहायता समूहों को ही लाभ मिलेगा बल्कि कृषि के इस्तेमाल में एडवांस टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जा सकेगा जिससे किसानों की आय में भी वृद्धि होगी।
योजना की शुरुआत के बाद भी देशभर से इफको ने अभी तक 300 से ज्यादा महिलाओं को ड्रोन उड़ाने का प्रशिक्षण दिया है। 15 दिन का यह प्रशिक्षण मानेसर, ग्वालियर और प्रयागराज में दिया जा रहा है।
ड्रोन के अलावा इफको महिलाओं को इलेक्ट्रिक वाहन भी दे रही है ताकि उर्वरकों और ड्रोन को आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सके। इफको का लक्ष्य पूरे भारत से 5000 ग्रामीण उद्यमियों का चयन करना है। इन चयनित उद्यमियों को मुफ्त में इफको किसान ड्रोन की मदद से ड्रोन चालक बनने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन सभी को इफको द्वारा ड्रोन, उससे जुड़े अन्य उपकरण एवं एक इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहन भी मुफ्त में दिया जाएगा, जिस पर उनका मालिकाना हक होगा।
इफको के विपणन प्रबंधक योगेंद्र कुमार का कहना है कि ड्रोन खेतों में नैना यूरिया व कीटनाशक छिड़कने के काम आ रहे हैं। इसके लिए महिलााएं प्रति बीघा 150 रुपए ले रही हैं। ऐसे में वे रोजाना 2500 रुपए तक की कमाई कर पा रही हैं। नमो ड्रोन दीदी योजना महिला सशक्तिकरण की एक नई इबारत लिख रही है।
देश में उर्वरक की मांग को पूरा करने के लिए भारत को सालाना करीब 350 लाख टन यूरिया की जरूरत होती है। वर्तमान में घरेलू उत्पादन क्षमता बढ़कर करीब 310 लाख टन हो गई है। घरेलू उत्पाद और मांग के बीच का अंतर बस 40 लाख टन है। इफको के प्रबंध निदेशक ‘‘उदय शंकर अवस्थी कहते हैं, ‘‘आने वाले दिनों में भारत को बाहर से यूरिया आयात करने की जरूरत नहीं रह जाएगी। हमारा लक्ष्य 20 से 25 लाख जिस पारंपरिक यूरिया का इस्तेमाल खेती में किया जाता है, उसको बदलकर नेनौ तरल यूरिया करने का है। इसकी लागत कम आती है और यह किसानों के हित में है। इसका इस्तेमाल करने से मिट्टी की उत्पादकता में बढ़ोतरी होती है और फसलें भी अच्छी होती हैं।’’
Leave a Comment