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देश में लागू हुए नए आपराधिक कानून, बदल गए IPC, CRPC और IEA एक्ट

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कानूनों में बदलाव को लेकर कहा था कि इन बदलावों से आम आदमी को न्याय तेजी से मिलेगा।

by Kuldeep singh
Jul 1, 2024, 08:24 am IST
in भारत
Three Criminal Law Implimented

प्रतीकात्मक तस्वीर

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भारतीय न्याय व्यवस्था में सुधार के लिए केंद्र सरकार के द्वारा किए गए बदलावों का असर आज से ही दिखना शुरू हो जाएगा। आज से (सोमवार, 1 जुलाई, 2024) से देश में आपराधिक कानून वाले IPC (इंडियन पीनल कोड), CRPC और IEA (इंडियन एविडेंस एक्ट) सब बदल गया है। अंग्रेजों के द्वारा 1860 में लाए गए भारतीय दंड संहिता (IPC) को अब भारतीय न्याय संहिता (BNS), सीआरपीसी (1898) का स्थान अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता ने ले लिया है। वहीं 1872 का इंडियन एविडेंस एक्ट भी अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम हो गया है। ये तीनों ही कानून आज से देश में अब लागू हो चुके हैं।

इन तीनों ही कानूनों के लागू होने से देश में पुलिस, वकीलों और अदालतों के कामकाज पूरी तरह से बदलने वाले हैं। इसका सीधा असर आम आदमी पर पड़ने वाला है। उल्लेखनीय है कि पिछले साल केंद्र सरकार ने इस कानून को संसद में पारित किया था। इसके बाद कानून में बदलावों के बारे में लोगों को समझाने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से ट्रेनिंग भी दी गई, उसके बाद इसे लागू किया गया। पिछले साल इस कानून पर संसद में बहस के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में किए गए इन बदलावों को लेकर कहा था, “अंग्रेजों के बनाए कानून की जगह इन कानूनों के आने से आम आदमी को न्याय मिलना और अधिक आसान हो जाएगा।”

इसे भी पढ़ें: फ्रांस: संसदीय चुनावों में दक्षिणपंथी पार्टी ‘नेशनल रैली’ ने पहला चरण जीता, तीसरे नंबर पर राष्ट्रपति मैक्रों की पार्टी

क्या-क्या बदला

गौरतलब है कि भारत सरकार ने सीआरपीसी में व्यापक बदलाव किए हैं। पहले इसमें 484 धाराएं ही थीं, लेकिन अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) में धाराओं की संख्या को बढ़ाकर 531 कर दिया गया है। इन बदलावों के तहत अब किसी भी केस में वैज्ञानिक तरीकों जैसे, वीडियो, फोटोग्राफ और इलेक्ट्रॉनिक सबूतों को काफी प्रधानता दी गई है। सीआरपीसी में कैदियों के लिए भी व्यवस्था है, जिसमें प्रावधान किया गया है कि अगर कैदी अपनी सजा का एक तिहाई वक्त जेल में काट चुका है तो उसे प्राइवेट बाण्ड पर रिहा किया जा सकेगा। किसी भी एफआईआर में 15 दिन के भीतर दिन के भीतर उस मामले को ओरिजनल ज्युरिसडिक्शन में भेजना अनिवार्य होगा।

इतना ही नहीं जांच अधिकारियों को एफआईआर दर्ज होने के 90 दिन यानी कि तीन माह के भीतर ही मामले में आरोप पत्र दायर करना होगा। यहीं नहीं चार्जशीट फाइल होने के 60 दिन के अंदर कोर्ट को भी दोषी पर आरोप तय करना होगा, इसके बाद 30 दिन के अंदर कोर्ट को अपना फैसला सुनाना होगा। साथ ही 7 दिन में जजमेंट की कॉपी देनी होगी।

वहीं अब अगर पुलिस किसी को गिरफ्तार या हिरासत में लेती है तो उसे 7 दिन के अंदर आरोपी के परिवार वालों को लिखित में बताना होगा।

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