”पाकिस्तान की सरकार वहां फ्रंटियर कोर (एफसी) की यूनिट फिर से तैनात करने जा रही है। यहां यह जान लेना आवश्यक है कि पीओजेके क्षेत्र विवादित है। इसलिए, पाकिस्तान की सरकार वहां अपनी सेना तैनात नहीं कर सकती। उसे ऐसा नहीं करना चाहिए”!
जिन्ना के कंगाल पाकिस्तान के बुद्धिहीन नेताओं ने देश को ऐसी कगार पर ला खड़ा किया है जहां उसे चौतरफा मार का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में वहां की सरकार को अपनी जनता की दुख—तकलीफों की क्या ही चिंता होगी, इसे समझने के लिए कोई बहुत ज्यादा विचारने की जरूरत नहीं है। संसद में मौलाना फजलुर्रहमान अपनी सरकार की ‘डिप्लोमसी’ की बखिया उधेड़ रहे हैं तो उधर हर बात पर चीन की धमक के तले वह दबा जा रहा है। पीओजेके वाले को क्रांति की मशाल उठाए ही हुए हैं। वहां के एक बड़े नेता शौकत अली ने वैधानिक तौर पर उस क्षेत्र पर पाकिस्तान के दबदबे को संयुक्त राष्ट्र में चुनौती दी है।
पाकिस्तान द्वारा जबरन कब्जा किए जम्मू—कश्मीर के उस हिस्से लोग एक लंबे अर्से से पाकिस्तान की सत्ता के विरुद्ध झंडा उठाए हुए हैं। उनके मन में आक्रोश उबल रहा है। शौकत अली ने कानूनी आधार पर वहां पाकिस्तान के कब्जे को अब बर्दाश्त के बाहर बताया है। सरदार शौकत अली यूनाइटेड कश्मीर पीपुल्स नेशनल पार्टी (यूकेपीएनपी) के अध्यक्ष हैं। उन्होंने साफ शब्दों में पाकिस्तान की सरकार से अपील की है कि अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) में पाकिस्तान अपने सैनिकों को तैनात न करे, इससे जनता में गुस्सा पैदा हो रहा है।
और शौकत ने अपने मन की यह बात पाकिस्तान में नहीं, बल्कि 25 जून को जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की 56वीं बैठक में कही। शौकत अली ने इस मुद्दे पर अपने विचार एक वीडियो के जरिए सबके साथ साझा किए हैं। उस में उनका कहना है, “पीओजेके से मिली रिपोर्ट में इशारा किया गया है कि पाकिस्तान की सरकार वहां फ्रंटियर कोर (एफसी) की यूनिट फिर से तैनात करने जा रही है। यहां यह जान लेना आवश्यक है कि पीओजेके क्षेत्र विवादित है। इसलिए, पाकिस्तान की सरकार वहां अपनी सेना तैनात नहीं कर सकती। उसे ऐसा नहीं करना चाहिए”
शौकत के उस वीडियो में आगे है कि ‘इस तरह की कार्रवाई वहां की अवाम को परेशान करती है। वहां के लोगों तथा प्रशासन में परस्पर अशांति पैदा होने देने से रोकनी है तो पाकिस्तान को पीओजेके से अपने फौजियों को वापस बुला लेना चाहिए। अन्यथा पीओजेके के लोगों में उबाल पैदा हो सकता है।’
शौकत के उस वीडियो में आगे है कि ‘इस तरह की कार्रवाई वहां की अवाम को परेशान करती है। वहां के लोगों तथा प्रशासन में परस्पर अशांति पैदा होने देने से रोकनी है तो पाकिस्तान को पीओजेके से अपने फौजियों को वापस बुला लेना चाहिए। अन्यथा पीओजेके के लोगों में उबाल पैदा हो सकता है।’
पीओजेके के इस नेता ने पाकिस्तान सरकार की नीतियों पर उंगली उठाते हुए पाकिस्तान के अनधिकृत कब्जे वाले गिलगित—बाल्टिस्तान तथा पीओजेके से गिरफ्तार किए गए सभी लोगों को रिहा करने की मांग भी की।
शौकत का कहना है कि पाकिस्तान ने अपने अवैध कब्जे वाले गिलगित—बाल्टिस्तान (पीओजीबी) में अवामी एक्शन कमेटी के सदस्यों के विरुद्ध कई मुकदमे दर्ज किए हुए हैं। पाकिस्तान की सरकार उन लोगों को फौरन रिहा करे और पाकिस्तानी जनता की दिक्कतों को दूर करने की सोचे।
उनकी पार्टी के विदेश मामलों के केंद्रीय सचिव रहे जमील मकसूद ने अवामी एक्शन कमेटी के सदस्यों के साथ एकजुट होने की बात की है। जमील ने कहा है कि पाकिस्तान संयुक्त आवामी एक्शन कमेटी की मांगों के प्रति गंभीरता से विचार करे। जमील मकसूद ने भी वीडियो संदेश में कहा है कि पाकिस्तान का प्रशासन द्वारा उस क्षेत्र में फौजियों की किसी भी तैनाती से बचे, क्योंकि इससे क्षेत्र में अशांति और तनाव के बढ़ने के पूरे आसार हैं।
पिछले लंबे वक्त से पीओजेके में बुनियादी जरूरतों, पाकिस्तानी नेताओं की राजनीतिक दखलंदाजी और फौज की अमानवीयता को लेकर जबरदस्त प्रदर्शन हो रहे हैं। सभी प्रमुख शहरों में लोग सड़कों पर उतर रहे हैं और आतताई पाकिस्तान से आजाद होने की राह देख रहे हैं। उनमें बिजली के आसमान चढ़े दामों तथा महंगाई को लेकर पहले से आक्रोश भरा पड़ा है। पाकिस्तान के सुरक्षा बल शांति स्थापित करने के नाम पर मासूमों को जेलों में डाल रहे हैं। लोगों की पुलिस के साथ तीखी झड़पें हुई हैं। शौकत अली की पार्टी यूकेपीएनपी और पीओजेके के दूसरे राजनीतिक दल मांग कर रहे हैं स्थानीय अवाम से बदसलूकी बंद हो और उन्हें इंसाफ दिलाया जाए।
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