नई दिल्ली । अठारहवीं लोकसभा में अध्यक्ष पद के लिए आज चुनाव होगा। भाजपा नीत एनडीए को सदन में बहुमत प्राप्त है। भाजपा की तरफ से ओम बिरला उम्मीदवार हैं, जबकि विपक्षी इंडी गठबंधन ने के. सुरेश को मैदान में उतारा है। भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है।वहीं, इंडी गठबंधन के उम्मीदवार पर राय न लेने से ममता बनर्जी नाराज हो गई थी। बाद में राहुल गांधी के फोन के बाद ममता बनर्जी की टीएमसी समर्थन देने को तैयार हो गई है।
संख्या बल की दृष्टि से भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए को बहुमत हासिल है। राजग के पक्ष में 293 सांसद हैं। यह आंकड़ा जीत के लिए जरूरी संख्या से 21 ज्यादा है। ओम बिरला यदि लोकसभा अध्यक्ष पद पर आसीन होते हैं तो दो दशक से अधिक समय में दूसरा कार्यकाल पाने वाले पहले अध्यक्ष होंगे। बिरला राजस्थान के कोटा से तीसरी बार सांसद बने हैं। 23 नवंबर 1962 को जन्मे बिरला तीन बार राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे हैं। सुरेश केरल के तिरुवनंतपुरम जिले की मावेलीक्करा लोकसभा सीट से कांग्रेस सांसद हैं। चार जून, 1962 को जन्मे सुरेश लोकसभा के सबसे वरिष्ठ सदस्यों में से एक हैं।
क्या कहती है टीएमसी
कांग्रेस ने एनडीए गठबंधन से मांग की थी कि लोकसभा का उपाध्यक्ष के सुरेश को बनाया जाय। बात न बनने पर के सुरेश को लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए उतारा गया है। वहीं इससे ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस नाराज हैं। टीएमसी का कहना है कि के सुरेश का नाम घोषित करते समय उससे राय नहीं ली गई है। बिना चर्चा किए इंडी गठबंधन ने उनका घोषित किया है।
ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने भी मंगलवार को कहा था कि के. सुरेश की उम्मीदवारी पर उनकी पार्टी से कोई सलाह नहीं ली गई। इंडी गठबंधन के किसी भी नेता ने उनसे संपर्क नहीं किया।
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