आपातकाल की क्रूरता : 'तानाशाह' ने पैरों तले रौंदा देश, संविधान का घोंट दिया गला
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

आपातकाल की क्रूरता : ‘तानाशाह’ ने पैरों तले रौंदा देश, संविधान का घोंट दिया गला

25 जून, 1975 को इंदिरा सरकार ने आपातकाल की घोषणा कर पूरे देश को बंधक बना लिया था। जिसने भी आपातकाल का विरोध किया, उसे जेल में बंद कर दिया गया। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया को तो पूरी तरह दबाया गया। इसके बावजूद कुछ पत्रकारों ने इंदिरा गांधी के गुणगान में सारी हदें पार कर दी थीं।

by पाञ्चजन्य ब्यूरो
Jun 18, 2024, 01:02 pm IST
in भारत
आपातकाल के दौरान भारत में सरकारी दमन हुआ।

आपातकाल के दौरान भारत में सरकारी दमन हुआ।

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

आज भी लोग आपातकाल को याद कर सिहर उठते हैं। 25 जून, 1975 को इंदिरा सरकार ने आपातकाल की घोषणा कर पूरे देश को बंधक बना लिया था। जिसने भी आपातकाल का विरोध किया, उसे जेल में बंद कर दिया गया। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया को तो पूरी तरह दबाया गया। इसके बावजूद कुछ पत्रकारों ने इंदिरा गांधी के गुणगान में सारी हदें पार कर दी थीं। कांग्रेसी नेताओं में इंदिरा की चापलूसी के लिए होड़ मची थी। वरिष्ठ पत्रकार बलबीर दत्त ने अपनी पुस्तक ‘इमरजेंसी का कहर और सेंसर का जहर’ में अनेक कांग्रेसी नेताओं के बयान शामिल किए हैं।

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता यशवंत राव चह्वाण ने कहा था, ‘‘जो इंदिरा के साथ बीतता है, वही भारत के साथ बीतता है और जो कुछ भारत पर गुजरता है, वही कुछ इंदिरा पर गुजरता है।’’ तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष देवकांत बरुआ ने तो संजय गांधी की तुलना शंकराचार्य से कर दी थी। उन्होंने कहा था, ‘‘संजय गांधी हमारे नए शंकराचार्य और विवेकानंद हैं।’’

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सीताराम केसरी ने कहा था, ‘‘संजय गांधी भारत के युवा ह्दय सम्राट हैं और उनके हाथों में अगले 50 वर्ष के लिए देश का भविष्य सुरक्षित है।’’ इन्हीं सीताराम केसरी को सोनिया गांधी ने बेइज्जत करके कांग्रेस के अध्यक्ष पद से हटा दिया था और खुद अध्यक्ष बनी थीं मार्च, 1977 में एक चुनावी भाषण में संजय गांधी ने कहा था, ‘‘विपक्ष के नेता कीड़ों की तरह हैं, जिन्हें कुचल देना चाहिए।’’ उनके इस बयान से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह परिवार अपने विरोधियों को किस रूप में देखता रहा है।

आपातकाल के दौरान प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके वफादार अपने को देश से ऊपर समझते थे। इंदिरा गांधी ने अपने निजी संकट को राष्ट्रीय संकट बना दिया और अदालत का फैसला मानने के बजाय संसद, न्यायपालिका, कार्यपालिका और मीडिया को कुचलकर रख दिया। विपक्ष के प्राय: सभी प्रमुख नेताओं और करीब डेढ़ लाख पार्टी कार्यकर्ताओं और अन्य नागरिकों को बिना मुकदमा चलाए जेल में डाल दिया। इनमें करीब 250 पत्रकार भी थे। लोगों को भांति-भांति की ज्यादतियों और पुलिस जुल्म का सामना करना पड़ा। समाचारों पर कठोर सेंसर लगा दिया गया। जो कार्य अंग्रेजों ने नहीं किया, वह इंदिरा गांधी की सरकार ने कर दिखाया।

कुछ ही घंटों में इंदिरा सरकार ने भारतीय संविधान का अपहरण कर लोगों को उनके सभी अधिकारों से वंचित कर दिया था। संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 22 को निलंबित कर कानून की नजर में सबकी बराबरी, जीवन और संपत्ति की सुरक्षा की गारंटी और गिरफ्तारी के 24 घंटे के अंदर न्यायालय के सामने प्रस्तुत करने पर रोक लगा दी।

इस भयंकर त्रासदी को पूरा देश 21 महीने तक झेलता रहा। जनवरी, 1977 में घोषणा हुई कि मार्च में चुनाव होंगे। चुनाव में लोगों ने इंदिरा गांधी को सबक सिखाया और उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 21 मार्च, 1977 को आपातकाल समाप्त हो गया, लेकिन आज भी लोग आपातकाल के काले अध्याय को भूल नहीं पा रहे हैं।

Topics: इंदिरा गांधी और इमरजेंसीतानाशाहभारत में आपातकालपाञ्चजन्य विशेषआपातकाल की क्रूरता
Share8TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

उत्तर-दक्षिण भारत के सांस्कृतिक सेतु

संगीतकार ए. आर रहमान

सुर की चोरी की कमजोरी

घुसपैठ और कन्वर्जन के विरोध में लोगों के साथ सड़क पर उतरे चंपई सोरेन

घर वापसी का जोर, चर्च कमजोर

1822 तक सिर्फ मद्रास प्रेसिडेंसी में ही 1 लाख पाठशालाएं थीं।

मैकाले ने नष्ट की हमारी ज्ञान परंपरा

मार्क कार्नी

जीते मार्क कार्नी, पिटे खालिस्तानी प्यादे

हल्दी घाटी के युद्ध में मात्र 20,000 सैनिकों के साथ महाराणा प्रताप ने अकबर के 85,000 सैनिकों को महज 4 घंटे में ही रण भूमि से खदेड़ दिया। उन्होंने अकबर को तीन युद्धों में पराजित किया

दिल्ली सल्तनत पाठ्यक्रम का हिस्सा क्यों?

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाला युवक हजरत अली गिरफ्तार 

“पहाड़ों में पलायन नहीं, अब संभावना है” : रिवर्स पलायन से उत्तराखंड की मिलेगी नई उड़ान, सीएम धामी ने किए बड़े ऐलान

योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश

लखनऊ : बलरामपुर, श्रावस्ती, महराजगंज, बहराइच और लखीमपुर खीरी में अवैध मदरसों पर हुई कार्रवाई

पाकिस्तान अब अपने वजूद के लिए संघर्ष करता दिखाई देगा : योगी आदित्यनाथ

चंडीगढ़ को दहलाने की साजिश नाकाम : टाइम बम और RDX के साथ दो गिरफ्तार

कर्नल सोफिया कुरैशी

कर्नल सोफिया कुरैशी ने बताया क्यों चुनी सेना की राह?

“ये युद्धकाल है!” : उत्तराखंड में चारधाम यात्रा से नेपाल सीमा तक अलर्ट, CM ने मॉकड्रिल और चौकसी बरतने के दिए निर्देश

Live: ऑपरेशन सिंदूर पर भारत की प्रेस कॉन्फ्रेंस, जानिये आज का डेवलपमेंट

पाकिस्तान की पंजाब में आतंकी साजिश नाकाम : हथियार, हेरोइन और ड्रग मनी के साथ दो गिरफ्तार

महाराणा प्रताप: हल्दीघाटी की विजयगाथा और भारत के स्वाभिमान का प्रतीक

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies