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चुल्लू भर पानी नहीं ‘आप’ के पास

50 डिग्री तापमान में पानी की किल्लत से बेहाल दिल्ली वासियों के पास बस हैं, तो राज्य सरकार के झूठे वादे और ख्याली-पुलाव। हर घर नल से पानी पहुंचाने की बात करके शराब घोटाले के आरोप में तिहाड़ जा बैठे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मंत्री दिल्ली की इस दुर्दशा पर मानो अट्टहास कर रहे हैं

by अरुण कुमार सिंह
Jun 14, 2024, 01:38 pm IST
in विश्लेषण, दिल्ली
टैंकर से पानी लेने में जुटीं महिलाएं

टैंकर से पानी लेने में जुटीं महिलाएं

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चुल्लू भर पानी नहीं ‘आप’ के पास

अरुण कुमार सिंह

‘‘पहली बार एक बाल्टी पानी के लिए तरसना पड़ रहा है। कुछ दिनों से सिर्फ सुबह चार बजे पानी आता है, वह भी थोड़ी देर के लिए। ऐसे में जिस दिन नींद नहीं खुलती है, उस दिन बड़ी मुसीबत हो जाती है। जो पानी आता भी है, वह कड़वा होता है। पीने का दिल नहीं करता।’’

यह पीड़ा है चुन्नीलाल मदान की। मदान लाजपत नगर की विनोबापुरी में रहते हैं। यह महंगा इलाका है। यहां करोड़ों रुपए कीमत के मकान हैं। इसके बावजूद लाजपत नगर में पानी का यह हाल है। इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि दिल्ली में आजकल पानी का कितना बड़ा संकट है। इन दिनों लगभग पूरी दिल्ली पानी की एक बूंद के लिए तरस रही है। स्थिति यह है कि एक बाल्टी पानी भरने के लिए लोग रात-रात भर जाग रहे हैं, आपस में मार-पीट कर रहे हैं। इसके बाद भी उन्हें पानी नहीं मिल रहा है। संगम विहार की गीता बडोला की बात तो और भी गंभीर है। वे कहती हैं, ‘‘गर्मी में घर के नल सूख जाते हैं। पानी आता ही नहीं है। टैंकर से पानी आता है। जब टैंकर आता है, तब सैकड़ों महिलाएं बाल्टी लेकर हाजिर हो जाती हैं। जो ताकतवर होते हैं, वे पानी भर लेते हैं, बाकी लोग खाली बाल्टी लेकर घर लौटते हैं। ऐसे में कब किससे लड़ाई हो जाए, यह कहा नहीं जा सकता।’’

दिल्ली का यह हाल उस सरकार के राज में है, जिसके मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2015 में ही कहा था कि दिल्ली सरकार पांच वर्ष के अंदर पूरी दिल्ली में पाइप से पानी पहुंचा देगी। आज नौ वर्ष बाद भी उनका यह आश्वासन पूरा नहीं हुआ है। हाल यह है कि दिल्ली के सैकड़ों इलाकों में अभी तक पानी की पाइप लाइन भी नहीं डाली गई है। दक्षिण-पश्चिमी दिल्ली में सैकड़ों मोहल्ले ऐसे हैं, जहां पानी की पाइप लाइन है ही नहीं। जैसे महावीर एन्कलेव। यहां की कुछ गलियों में कई दशक पहले ही पानी की पाइप लाइन डाली गई थी। केजरीवाल सरकार ने उसी पाइप लाइन के जरिए 2015 में पानी देना शुरू किया, लेकिन कभी पानी आता है, कभी नहीं। कई गलियों में तो पानी आता ही नहीं है। जिन गलियों में आज भी पाइप लाइन नहीं है, वहां टैंकर से पानी पहुंचाया जाता है।

पानी को लेकर हुआ ‘खेल’

दिल्ली के जल संकट का मामला सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंचा। 12 जून को न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्र और न्यायमूर्ति प्रसन्ना बी वराले की अवकाशकालीन पीठ ने दिल्ली सरकार से पूछा, ‘‘हिमाचल प्रदेश से पानी आ रहा है, तो दिल्ली में पानी कहां जा रहा है? यहां पानी की बर्बादी हो रही है, टैंकर माफिया सक्रिय हैं। इस मामले में आपने क्या कदम उठाए हैं? अगर आप टैंकर माफिया के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं तो हम दिल्ली पुलिस से उनके खिलाफ कार्रवाई करने को कहेंगे।’’ बता दें कि कुछ दिन पहले हिमाचल सरकार ने न्यायालय को बताया था कि उसके पास अतिरिक्त पानी है। इसलिए न्यायालय ने उसे दिल्ली को पानी देने के लिए कहा था। 12 जून को हिमाचल के मुख्यमंत्री ने कहा भी कि उन्होंने पानी छोड़ दिया है। लेकिन 13 जून को हिमाचल सरकार अपने वायदे से मुकर गई। उसने न्यायालय को बताया कि उसके पास अतिरिक्त पानी नहीं है। इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह अपर यमुना नदी बोर्ड के सामने अपील करे। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि इस मामले में अपर यमुना नदी बोर्ड जल्दी बैठक करे और कोई निर्णय दे।

32.1 करोड़ गैलन पानी कम

दिल्ली जल बोर्ड के अनुसार इस समय दिल्ली को प्रतिदिन 129 करोड़ गैलन पानी की आवश्यकता है, लेकिन मिल रहा है केवल 96.9 करोड़ गैलन यानी दिल्ली को 32.1 करोड़ गैलन पानी कम मिल रहा है।

854 करोड़ रु. का घाटा

दिल्ली जल बोर्ड निरंतर घाटे में जा रहा है। पिछले चार वर्ष में जल बोर्ड को 3,166 करोड़ रु. का नुकसान हुआ है। 2019-20 में 344.5 करोड़ रु., 2020-21 में 770.87 करोड़ रु., 2021-22 में 1196.22 करोड़ रु. और 2022-23 में 854 करोड़ रु. का घाटा हुआ है। इसका बड़ा कारण है मुफ्त योजना। हालांकि इसके लिए सरकार अपने खाते से बोर्ड को पैसा देती है, लेकिन वह पर्याप्त नहीं होता है। इस कारण बोर्ड अपने संसाधनों का रखरखाव नहीं कर पाता है। इससे पानी की बर्बादी होती है।

सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. दीपेश कलवार कहते हैं, ‘‘दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार 10 वर्ष से है। इतने वर्ष के बाद भी सरकार सैकड़ों मोहल्लों में पानी की पाइप लाइन तक नहीं डाल पाई है। लेकिन बेशर्मी ऐसी कि केजरीवाल और उनकी सरकार के मंत्री पूरी दुनिया में यह बात कहते फिरते हैं कि वे दिल्ली के हर परिवार को प्रतिदिन 700 लीटर पानी मुफ्त दे रहे हैं।’’

दिल्ली सरकार के दावे की पोल रोहिणी सेक्टर 22 से सटे रमा विहार, जैन नगर, सुखबीर नगर, कराला आदि कॉलोनियों के लोग अच्छी तरह खोलते हैं। सुखबीर नगर के गोपाल कहते हैं, ‘‘इस इलाके में कुछ महीनों से एक दिन छोड़कर केवल सुबह पानी आता है। बस पीने लायक पानी मिल जाता है। जिनके घर सबमर्सिबल लगा है, वे जमीन के पानी से काम चलाते हैं।’’

दिल्ली के कई इलाके ऐसे हैं, जहां पानी के लिए लोग रात भर जागते हैं। रिशाल गार्डन, नांगलोई में रहने वाले मार्कंडेय मिश्र कहते हैं, ‘‘पानी कब आएगा, इसका कुछ पता नहीं होता। लोग रात भर इसलिए नहीं सोते हैं कि न जाने कब पानी आ जाए और पानी आता भी है, तो कुछ मिनटों के लिए। ऐसे में लोग बहुत मुश्किल से गुजारा कर रहे हैं, उनका दैनिक काम भी बाधित हो रहा है।’’

वे कहते हैं, ‘‘पहले इस तरह की समस्या मुंबई में हुआ करती थी। जब कोई वहां की बात सुनाता था, तो लगता था कि इस मामले में दिल्ली बहुत अच्छी है, लेकिन अब दिल्ली में भी लोग पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं।’’

इस जल संकट के लिए दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा आम आदमी पार्टी के नेताओं को ही जिम्मेदार मानते हैं। वे कहते हैं, ‘‘आम आदमी पार्टी के नेताओं ने अपने कर्मचारियों और समर्थकों के नाम से पानी के टैंकर जुटा रखे हैं। यही लोग हरियाणा से मुनक नहर के जरिए आने वाले पानी की चोरी कर बेचते हैं। इस कारण उपभोक्ताओं को पानी नहीं मिल रहा है।’’

उन्होंने यह भी बताया, ‘‘9 जून को दिल्ली सरकार का एक प्रतिनिधिमंडल हरियाणा गया था। उसने वहां सब कुछ देखने के बाद माना कि हरियाणा से दिल्ली को पर्याप्त पानी मिल रहा है, तो भी दिल्ली सरकार लोगों को गुमराह करने के लिए हरियाणा सरकार पर आरोप लगा रही है कि वह दिल्ली को उसके हक का पानी नहीं दे रही है।’’ उन्होंने यह भी बताया कि पानी की बर्बादी से भी जल संकट पैदा हुआ है। सच में दिल्ली में सैकड़ों जगह पाइप से पानी रिसता हुआ दिखता है।

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