प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी छह मई को संसदीय चुनाव 2024 के प्रचार के लिए पहली बार ओडिशा आये थे। उस दिन उन्होंने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के गृह जिले स्थित ब्रह्मपुर शहर में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि 4 जून बीजू जनता दल (बीजेडी) की एक्सपायरी डेट है। आज 6 मई है और 6 जून को भाजपा अपना मुख्यमंत्री चेहरा तय करेगी। 10 जून को भाजपा के मुख्यमंत्री भुवनेश्वर में शपथ लेंगे। ओडिशा का कोई बेटा या बेटी राज्य का मुख्यमंत्री बनेगा। मैं आप सभी को शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित करने आया हूं। एक चुनावी सभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कही गई यह बात चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद सत्य साबित हुई। हालांकि तब अनेक राजनीतिक प्रेक्षक उनकी बात पर संदेह व्यक्त कर रहे थे।
इस बार ओडिशा में प्रधानमंत्री मोदी की सुनामी चली है। इस सुनामी में नवीन पटनायक व बीजू जनता दल (बीजद) का अभेद्य किला पूरी तरह ढह गया है। ओडिशा पूर्ण रूप से भगवामय हो गया है। राज्य की कुल 21 लोकसभा सीटों में से 20 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों को जीत मिली है। तो वहीं विधानसभा की 147 सीटों में से 78 पर भाजपा के प्रत्याशियों को जीत मिली है। जगन्नाथजी की भूमि पर पहली बार भाजपा का मुख्यमंत्री बनने जा रहा है।
ओडिया संस्कृति का उद्घोष
भारतीय जनता पार्टी ने इस बार के चुनाव में ओडिया संस्कृति को मुद्दा बनाया था। भाजपा के शीर्षस्थ नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत अन्य केन्द्रीय नेता व राज्य शाखा इसी मुद्दे को लेकर चुनाव में गयी थी। भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक पूर्व अधिकारी द्वारा बीजू जनता दल के साथ—साथ ओडिशा की राज्य सरकार को नियंत्रित करना, निर्वाचित जन प्रतिनिधियों की अनदेखी किये जाने का मुद्दा जोरदार तरीके से उठाया गया। नवीन पटनायक सरकार के भ्रष्टाचार, आमजन की अनदेखी, केन्द्रीय योजनाओं को ना लागू कर पाना, आदि मुद्दे रहे हैं। इसके साथ—साथ महाप्रभु श्रीजगन्नाथ जी मंदिर के रत्नभंडार की चाभी खो जाना, मंदिर के चार द्वारों को न खोले जाने से जुड़े मुद्दे भी उठाये गए। भाजपा ने अपने घोषणापत्र में सुभद्रा नाम से योजना बनाकर उसमें महिलाओं को 50 हजार रुपये का वाउचर प्रदान करने की बात कही थी। इसके साथ—साथ भाजपा ने धान को प्रति क्विंटल 31 सौ रुपये में खरीदे जाने तथा 48 घंटे के अंदर किसानों के बैंक खातों में पैसा पहुंचाने का वादा किया था। इन मुद्दों का भी लोगों पर काफी असर दिखा।
भाजपा के दिग्गज जीते
इस चुनाव में ओडिशा भाजपा के दिग्गज नेता तथा केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान संबलपुर सीट से, पूर्व केन्द्रीय मंत्री जुएल ओरांव सुंदरगढ़ सीट से, प्रताप षडंगी बालेश्वर सीट से भारी मतों से विजयी हुए हैं। इसी तरह से भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. संबित पात्रा को पुरी सीट से तथा अपराजिता षडंगी को भुवनेश्वर लोकसभा सीट से भारी मतों से विजय प्राप्त हुई है।
वोट प्रतिशत में भारी वृद्धि
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजू जनता दल का मत प्रतिशत 44.77 था। उस चुनाव में भाजपा को 21.88 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे तथा एक सीट प्राप्त हुई थी। ऐसे ही 2019 के चुनाव में बीजद को 42.8 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए। इस चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का प्रभाव ओडिशा पर और गहराया तथा भाजपा का मत प्रतिशत 38.4 हो गया, उसे 8 लोकसभा सीटें प्राप्त हुईं। 2024 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 45.33 प्रतिशत वोट हासिल हुए, जबकि बीजू जनता दल के वोट प्रतिशत में भारी गिरावट आयी है। बीजद का वोट प्रतिशत 37.55 प्रतिशत रह गया। बीजू जनता दल को लोकसभा की एक भी सीट हासिल नहीं हो सकी।
विधानसभा में बढ़ा वोट प्रतिशत
2014 के विधानसभा चुनाव में बीजू जनता दल को 43.4 प्रतिशत वोट के साथ 117 सीटें हासिल हुई थीं। उस चुनाव में भाजपा को केवल 18 प्रतिशत वोटों के साथ 10 सीटें मिल पाईं। इसी तरह से 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजू जनता दल को 44.71 प्रतिशत वोटों के साथ 112 सीटें हासिल हुईं। भाजपा को इस चुनाव में 32.49 प्रतिशत वोट के साथ 23 विधानसभा सीटें मिली थीं। लेकिन इस बार के चुनाव में भाजपा ने अपने वोट प्रतिशत में अप्रत्याशित रूप से 40.07 प्रतिशत वोट के साथ 78 विधानसभा सीटें प्राप्त की हैं। वहीं बीजू जनता दल को 40.22 प्रतिशत वोट के साथ 51 सीटें हासिल हुई हैं।
एक सीट पर हारे तो दूसरी पर जीते
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक इस बार दो सीटों से चुनाव लड़ रहे थे। उसमें एक उनकी पारंपारिक सीट गंजम जिले की हिंजिली थी, जबकि दूसरी ओर बलांगीर जिले की कांटाबांजी सीट से भी चुनाव लड़ रहे थे। कांटाबांजी सीट से भाजपा के प्रत्याशी लक्ष्मण बाग ने नवीन पटनायक को 16 हजार से अधिक मतों से पराजित कर दिया। बता दें कि नवीन पटनायक वर्ष 2000 से लगातार हिंजिली सीट से चुनाव जीतते रहे हैं। इस सीट से उनका जीत का आंकड़ा औसतन 50 हजार के आसपास रहता आया है। लेकिन इस बार वह काफी मुश्किल से चार हजार से कुछ अधिक मतों से इस सीट को बचा पाए हैं।
गंजम में दयनीय प्रदर्शन
वर्ष 2000 से मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का गृह जिला गंजाम बीजद का मजबूत गढ़ रहा है। इस जिले में कुल 13 विधानसभा सीटें हैं। पिछले चुनाव में 13 में से 12 सीटें जीतने वाली बीजद का इस बार लगभग सफाया हो गया है। इसमें से बीजद ने 11 सीटें खो दी हैं।
रिकार्ड तोड़ने से चूके नवीन
इस बार के चुनाव में बीजद की पराजय के कारण वर्ष 2000 से लगातार मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल रहे नवीन पटनायक सर्वाधिक समय मुख्यमंत्री रहने वाले रिकार्ड को तोड़ने से चूक गये। फिलहाल यह रिकार्ड सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री पवन चामलिंग के नाम पर दर्ज है। चामलिंग 24 साल 165 दिनों तक मुख्यमंत्री रहे। नवीन पटनायक वर्तमान में 24 साल 91 दिन मुख्यमंत्री रहे। यदि फिर से बीजद की सरकार बनती तब वह अगस्त माह में सर्वाधिक दिन मुख्यमंत्री बनने का रिकार्ड तोड़ देते। बीजद द्वारा इस संबंध में प्रचार भी किया जा रहा था। लेकिन जनादेश ने नवीन पटनायक के इस सपने को चकनाचूर कर दिया।
हार गए मंत्री
नवीन पटनायक ने इस बार 19 मंत्रियों में से 11 मंत्रियों को टिकट दिया था। लेकिन उसमें 11 मंत्रियों को हार का मुंह देखना पड़ा है। इसमें 8 कैविनेट मंत्री व 3 राज्यमंत्री शामिल हैं। अन्य मंत्री किसी प्रकार अपनी सीट बचाने में सफल हो पाये।
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