मद्रास हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने एक असामान्य टिप्पणी करते हुए एक फैसले में कहा है कि अगर किसी महिला का पति भ्रष्टाचार के मामले में दोषी पाया जाता है तो सजा सिर्फ पति को नहीं महिला को भी भुगतनी चाहिए। क्योंकि भ्रष्टाचार की शुरुआत घर से होती है। कोर्ट का मानना है कि अगर घर के ही लोग भ्रष्टाचार में लिप्त होगें तो इसका कभी अंत नहीं हो सकता है।
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है ये मामला कुछ यूं है कि शक्तिवेल नाम के एक पुलिस उपनिरीक्षक के खिलाफ 2017 में आय़ से अधिक संपत्ति के मामले में केस दर्ज किया गया था। पुलिस को जांच में पता चला कि आरोपी ने जनवरी 1992 से दिसंबर 1996 के अवैध तरीके से 6.7 लाख रुपए जमा किए थे। जब आरोपी के खिलाफ मुकदमा चलाया गया तो उसी दौरान उसकी मौत हो गई। आरोपी की मौत के बाद पुलिस ने उसकी पत्नी को सह आरोपी बनाकर चार्जशीट फाइल कर दी। इस मामले में तिरुचिरापल्ली की स्पेशल कोर्ट ने महिला को एक साल की सजा भी सुना दी।
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मृतक आरोपी शक्तिवेल की पत्नी देवनायकी को कोर्ट ने एक साल कैद के साथ ही 1000 रुपए का जुर्माना भी लगा दिया। सजा सुनाए जाने के बाद महिला ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट का रुख किया। वहां मामले की सुनवाई जस्टिस केके रामकृष्णन की पीठ ने की। जज ने भ्रष्टाचार रोकथाम मामलों की अदालत द्वारा महिला को सुनाई गई सजा पर यह कहते हुए रोक लगा दी कि वह भी अपने पति के भ्रष्टाचार में बराबर की हिस्सेदार थी।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “एक सरकारी कर्मचारी की पत्नी का यह कर्तव्य है कि वह अपने पति को रिश्वत लेने से रोके। जीवन का मूल दर्शन रिश्वत से दूर रहना है। अगर कोई व्यक्ति घूस लेता है, तो इससे वो और उसका परिवार भी बर्बाद हो जाएगा। इस देश में भ्रष्टाचार व्यापक स्तर पर है, जो कि अकल्पनीय है। अगर आपने गलत तरीके से कमाए गए पैसे का सुख भोगा है तो उन्हें भुगतना चाहिए। भ्रष्टाचार घर से शुरू होता है और अगर घर की महिला ही भ्रष्टाचार में शामिल है, तो भ्रष्टाचार का कोई अंत नहीं है। देवनायकी का जीवन अवैध रूप से अर्जित धन के कारण आसान था, इसलिए उसे इसका परिणाम भुगतना चाहिए।”
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