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स्वास्थ्य बीमा धारकों का कैशलेश ट्रीटमेंट एक घंटे में, फाइनल सेटलमेंट में देरी पर बीमा कंपनी को करना होगा भुगतान

बीमा और स्वास्थ्य नियामक बॉडी ने पहले से जारी किए गए परिपत्र को कैंसिल कर दिया है। माना जा रहा है कि इससे पॉलिसी धारकों को मजबूती मिलेगी।

Published by
Kuldeep singh

अक्सर ऐसा होता है कि आप कोई मेडिक्लेम पॉलिसी खरीद लेते हैं, इस आस में कि भविष्य में किसी स्वास्थ्य समस्या से निपटने में ये काम आएगी। लेकिन, वक्त पड़ने पर समय पर आपका कार्य न हो तो बहुत बुरा लगता है। लेकिन अब इन चिंताओं को पीछे छोड़ दीजिए। क्योंकि बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण ने हेल्थ इंश्योरेंस पर बड़ा फैसला किया है। इरडा ने एक मूल परिपत्र जारी किया है, जिसमें ये स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि बीमा कंपनी को अनुरोध के एक घंटे के भीतर कैशलेस ट्रीटमेंट की अनुमति पर फैसला लेना होगा।

बीमा और स्वास्थ्य नियामक बॉडी ने पहले से जारी किए गए परिपत्र को कैंसिल कर दिया है। माना जा रहा है कि इससे पॉलिसी धारकों को मजबूती मिलेगी। नियामक ने नए परिपत्र में कोई भी मेडिक्लेम पॉलिसी लेने वाले व्यक्तियों को निर्बाध, तेज और स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र में उन्नत सेवा मानकों को सुनिश्चित करने पर जोर दिया है।

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तीन घंटे के अंदर करना होगा सेटलमेंट

इरडा ने कैशलेश सिस्टम को तेजी से लागू करने के लिए नए परिपत्र में कहा है कि पहले तो बीमा कंपनियों को किसी भी अनुरोध पर एक घंटे के भीतर फैसला करना होगा और अगर इसी तरह का अनुरोध अस्पताल से किया जाता है तो तीन घंटे के अंदर ही सारे मामलों का सेटलमेंट करना होगा। आसान शब्दों में कहें तो मान लीजिए कोई व्यक्ति किसी अस्पताल में भर्ती है। अगर वह व्यक्ति अपने इलाज के बाद डिस्चार्ज होता है तो उसके द्वारा किए गए दावे का कैशलेश भुगतान करना होगा।

जबकि, किसी भी इमरजेंसी की स्थिति में एक घंटे के भीतर ही बीमा कंपनी को सारे क्लेम का निपटारा तुरंत ही करना होगा। इसके साथ ही इरडा में कई नियमों में बदलाव किए हैं। नए नियमों के तहत अगर बीमा कंपनी की तरफ से मामले के सेटलमेंट में देरी होती है तो अस्पताल की ओर से किए जाने वाले अतिरिक्त चार्ज को भी बीमा कंपनी को ही वहन करना होगा। IRDAI का स्पष्ट निर्देश है कि बीमा कंपनियां कोशिश करें कि वो अस्पतालों में अपना एक डेस्क बनाएं, जिससे कैशलेस पेमेंट को और अधिक आसान बनाया जा सके।

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