नई दिल्ली । दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शराब घोटाले में जेल में बंद थे, उन्होंने जमानत मांगी। मिल भी गई और वह जनता के बीच वोट मांगने पहुंचे। भारत में इस समय गर्मी तो है ही चुनावी मौसम भी चल रहा है। शायद इसीलिये सरकार को जनता से नहीं, जनता के वोट से मतलब है। दिल्ली में गर्मी चरम पर है। पारा पचास डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच चुका है। पानी की भी किल्लत शुरू हो चुकी है, लेकिन अब तक इस पर दिल्ली सरकार की ओर से समर एक्शन प्लान नहीं बनाया गया है।
आम आदमी पार्टी की केजरीवाल सरकार ने गर्मी को लेकर अब तक एक्शन प्लान नहीं बनाया है। यह जानकारी उपराज्यपाल के ट्वीट से निकलकर सामने आई है। गर्मी को देखते हुए उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मोर्चा संभाला। उन्होंने सोशल मीडिया के जरिये बताया कि अभी तक लोक निर्माण विभाग, दिल्ली जल बोर्ड और दिल्ली नगर निगम जैसी एजेंसिया समर एक्शन प्लान पर काम नहीं कर रही हैं। डीडीए ने इस पर 20 मई से काम शुरू कर दिया है। उन्होंने कामगारों को लेकर बड़ा आदेश भी दिया है।
उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने भीषण गर्मी से कामगारों और श्रमिकों को राहत देने के लिए दोपहर में तीन घंटे के आराम की घोषणा की है। इस अवधि के दौरान श्रमिकों का वेतन नहीं काटा जाएगा। उन्हें पूरा वेतन मिलेगा। उन्होंने यह आदेश बुधवार को जारी किया। दिल्ली में भीषण गर्मी को देखते हुये कामगारों के लिये दोपहर 12-3 बजे छुट्टी का आदेश दिया। “समर हीट ऐक्शन प्लान” पर मुख्य सचिव को तत्काल बैठक करने का निर्देश दिया। निर्माण स्थलों पर कामगारों के लिये पर्याप्त मात्रा में पानी, नारियल पानी उप्लब्ध कराने और बस स्टैंड पर घड़ों में पानी रखने का भी आदेश दिया है।
“समर हीट ऐक्शन प्लान” को लेकर दिल्ली सरकार की ओर से अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। इस पर उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्यमंत्री केजरीवाल और उनके मंत्रियों की कड़ी आलोचना की है। उपराज्यपाल ने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार के तहत आने वाली दिल्ली जल बोर्ड, लोकनिर्माण विभाग और दिल्ली नगर निगम जैसी एजेंसियां अब तक इस प्लान पर काम नहीं कर सकी हैं।
दिल्ली के मंत्री केजरीवाल को बचाने और चुनाव में व्यस्त
दिल्ली के मंत्री इस समय मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाले से बचाने और चुनाव में व्यस्त हैं। स्वाति मालीवाल पर हमले के बाद राज्यसभा टिकट की मारामारी की भी बात सामने आ रही है। यह भी चर्चा शुरू हो गई कि लोकसभा चुनाव के बाद पंजाब की कुर्सी पर भगवंत मान नहीं होंगे। हालांकि ये राजनीतिक कयासबाजी है, लेकिन आप में किसी समय कुछ भी हो सकता है, इसके संकेत स्वाति मालीवाल की घटना के बाद से मिलने शुरू हो चुके हैं।
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