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सनातन पर शैतानी हमला

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री महिला के विरुद्ध अत्याचार पर चुप रहती हैं, लेकिन वोट बैंक को लेकर मुखर रहती हैं। राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा के बाद हिंदुओं की एकजुटता को वह अपने लिए खतरा मानकर हिंदू संगठनों पर खीझ निकाल रही हैं

by जिष्णु बसु and डॉ. अम्बा शंकर बाजपेयी
May 28, 2024, 10:30 pm IST
in भारत, विश्लेषण, पश्चिम बंगाल
रामकृष्ण मिशन के इसी आश्रम पर हमला हुआ

रामकृष्ण मिशन के इसी आश्रम पर हमला हुआ

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सनातन पर शैतानी हमला महिलाओं की आस राजनीति की फांस

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मां, माटी और मानुष की बात करती हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि उनके राज में मां-बहन-बेटी सुरक्षित नहीं हैं। सन्देशखाली इसका जीता-जागता प्रमाण है। रही बात माटी कि तो उसे तो बांग्लादेशी घुसपैठियों को बसाकर पहले ही तुष्टिकरण की भेंट चढ़ा दिया गया है। रही-सही कसर वही घुसपैठिये और तृणमूल कांग्रेस के गुंडे सरेआम मानुष की हत्या करके पूरी कर रहे हैं। इधर, ‘कट्टर ईमानदार’ अरविंद केजरीवाल हैं, जो राजनीतिक शुचिता, सुशासन और महिला सुरक्षा के दावे करते हैं, लेकिन उनके आवास पर उनका निजी सचिव पार्टी की ही महिला सांसद के साथ दुर्व्यवहार करता है, लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री के मुंह से एक शब्द नहीं निकला। उलटे जिस पर महिला उत्पीड़न का आरोप था, उसे अपने साथ लेकर घूमते रहे। यहां तक कि गिरफ्तार होने पर उसे जमानत पर छुड़ाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। तृणमूल और आआपा के दोहरे चेहरे को उजागर करता पाञ्चजन्य का विशेष आयोजन…

लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण के मतदान से पूर्व 18 मई को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हुगली जिले की जयराबांती में एक चुनावी रैली में रामकृष्ण मिशन और भारत सेवाश्रम संघ पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि दोनों संगठनों के कुछ संत भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने आसनसोल में अपने श्रद्धालुओं से भाजपा को वोट देने को कहा था। हालांकि रामकृष्ण मठ ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उनका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कभी भी किसी पार्टी के लिए वोट नहीं मांगा।

ममता के बयान के कुछ घंटे बाद ही तृणमूल कांग्रेस समर्थित और पोषित केजीएफ के 35 गुडों ने उत्तर बंगाल के जलपाईगुड़ी स्थित रामकृष्ण मिशन के भवन ‘सेवक’ पर हमला किया। उन्होंने भवन में मौजूद भिक्षुओं को मारा-पीटा और भवन से बाहर निकाल दिया। फिर पांच भिक्षुओं और सुरक्षाकर्मियों को ले जाकर न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन से सटे इलाके में छोड़ दिया। इस मामले में पुलिस की जांच भी सवालों के घेरे में है। स्थानीय निवासी शैलेंद्र ने बताया कि हमलावर केजीएफ गैंग के थे।

गिरफ्तार किए गए हमलावरों में मुख्य आरोपी प्रदीप राय भी शामिल है। वह कई गंभीर अपराधों में नामजद है। इस गिरोह को जमीन कब्जाने के लिए तैयार किया गया है, जो पैसे लेकर ‘मसल मैन’ उपलब्ध कराता है। केजीएफ जमीन हड़पने से लेकर लोगों को ‘सजा’ देने के लिए कुख्यात है। हमले के बाद मिशन की ओर से स्वामी अक्षयानंद ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। इसके एक घंटे बाद प्रदीप राय ने मिशन के खिलाफ भक्तिनगर थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने स्वामी अक्षयानंद के खिलाफ एससी एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम-1989 के तहत मामला दर्ज किया है। यह गैर-जमानती है और इसमें अग्रिम जमानत की अपील भी नहीं की जा सकती है। लेकिन मिशन के भिक्षुओं और सुरक्षाकर्मियों पर हमले में जमानती धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

ममता के बयान का मतलब

भारत सेवाश्रम संघ के स्वामी प्रतीप्तानंद की अध्यक्षता में एक समिति ने दिसंबर 2023 में कोलकाता में गीता पाठ का आयोजन किया था, जिसमें करीब एक लाख लोग शामिल हुए थे। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया था। हालांकि व्यस्तता के कारण प्रधानमंत्री इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके, इसलिए उनकी जगह गृह मंत्री अमित शाह सम्मिलित हुए थे। धार्मिक आयोजन में एक लाख हिंदुओं की सहभागिता ममता बनर्जी को रास नहीं आया। उन्होंने इस जुटान को अपनी सत्ता के लिए चुनौती के तौर पर लिया। चूंकि इस कार्यक्रम का आयोजन रामकृष्ण मिशन और भारत सेवाश्रम संघ ने संयुक्त रूप से किया था, इसलिए ममता दोनों संगठनों चिढ़ी हुई थीं। उनका मानना है कि यह गीता पाठ का आयोजन था ही नहीं। यह तो भाजपा का राजनीतिक आयोजन था। यही कारण है कि उन्होंने मतदान से ठीक पहले दोनों संगठनों पर निशाना साधा। यह एक तरह से संकेत था।

रामकृष्ण मठ, भारत सेवाश्रम संघ और इस्कॉन का पश्चिम बंगाल के हिंदू समाज में बहुत प्रभाव है। 22 जनवरी, 2024 को जब अयोध्या में राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा हुई, तब इन संगठनों द्वारा दीपोत्सव का आयोजन किया गया था। इस तरह के कार्यक्रमों के सफल आयोजनों और इन सामाजिक व सांस्कृतिक संगठनों के बढ़ते सामाजिक प्रभाव से हिंदू समाज जाग्रत हुआ है। इसे देखकर ममता बनर्जी को लग रहा है कि हिंदू मतदाता उनसे छिटक कर भाजपा के पाले में चले गए हैं। वैसे भी, इस चुनाव में ममता बनर्जी की राजजीतिक प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। कोलकाता निवासी दीपंकर कर्मकार बताते हैं, ‘‘ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस की साख मिट्टी में मिल चुकी है। तृणमूल के 6 बड़े नेता भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों में जेल में हैं। तृणमूल ने बीएएस और रामकृष्ण मठ पर हमला करवा कर एकजुट हो रहे हिंदुओं को डराने का असफल प्रयास किया है।’’

महिला राज में महिलाओं पर अत्याचार

  • 2024 : फरवरी में मुर्शिदाबाद जिले में 13 वर्षीया बच्ची से यौन शोषण के बाद उसकी आंखें निकाल कर फेंक दी गर्इं। फिर उसे दफना दिया गया। मामला खुला तो अदालत के आदेश पर बच्ची का शव निकालकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया। 
  •  2022 : 24 परगना जिले के सागरद्वीप में कक्षा चार की छात्रा से दुष्कर्म का आरोप एक तृणमूल कार्यकर्ता पर लगा था।
  •  22 मार्च को उत्तर 24 परगना जिले के बशीरहाट में एक वनवासी महिला के साथ दुष्कर्म हुआ। इस बार भी तृणमूल कार्यकर्ता पर आरोप लगा।
  •  24 मार्च को बशीरहाट में 11 वर्षीया बच्ची को टीएमसी नेता ने हवस का शिकार बनाया। उसी दिन पश्चिम मेदिनीपुर के केशपुर में टीचर के साथ एक पुलिसकर्मी ने दुष्कर्म किया।
  •  एक अप्रैल को मालदा जिले के हरिश्चंद्रपुर में 14 साल की बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ। गिरफ्तार आरोपियों में दो तृणमूल कार्यकर्ता थे। उसी दिन बर्दमान के गलसी में स्थानीय तृणमूल नेता ने सरकारी योजना में कार्य करने वाली महिला के साथ दुष्कर्म किया।
  •  चार अप्रैल को नदिया जिले के हांसखाली में नाबालिग के साथ दुष्कर्म व मौत का मामला सामने आया। इस मामले में तो कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सीबीआइ जांच के आदेश दिए हैं।
  •  10 अप्रैल को दक्षिण 24 परगना के नामखाना में एक गृहिणी के साथ दुष्कर्म किया गया और फिर उसके जननांग में केरोसिन डालकर आग लगाकर मारने की कोशिश की गई।
  •  10 अप्रैल को बीरभूम के बोलपुर में एक वनवासी लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ।
  •  11अप्रैल को पश्चिम मेदिनीपुर में दिव्यांग महिला का अपहरण कर दुष्कर्म किया गया। आरोप टीएमसी नेता था। 
  •  2013 :  7 जून को कामदूनी गांव में कॉलेज से घर लौट रही छात्रा से नौ लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया और निर्ममता से उसकी हत्या कर दी। इसमें दो को फांसी की सजा मिली थी, जिसे उम्रकैद में बदल दिया गया।

संदेशखाली का सच

भाजपा से ममता बनर्जी की चिढ़ को इसी बात से समझा जा सकता है कि उन्होंने राज्य में केंद्र सरकार की योजनाएं तक लागू नहीं होने दी हैं। यही नहीं, घुसपैठ रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा लागू नागरिकता संशोधन कानून का भी विरोध कर रही हैं। कुछ दिन पहले ममता बनर्जी ने कहा था कि भारत में रहने वाले लोग पहले से ही देश के नागरिक हैं, उन्हें नई नागरिकता की क्या आवश्यकता है? ममता को इस बात का भी डर है कि सीएए से घुसपैठियों की पहचान हो जाएगी, जो सीधे-सीधे उनके वोट बैंक को प्रभावित करेगा।

दूसरी बात, अधिकांश मामलों में पश्चिम बंगाल पुलिस देश के कानून की परवाह नहीं करती। राज्य में अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम का सम्मान नहीं किया जाता है। जुरानपुर, नादिया और संदेशखाली में हत्या के मामलों में पश्चिम बंगाल स, रकार ने अनुसूचित जाति के पीड़ित परिवारों को कोई सहायता नहीं दी। उत्तर 24 परगना के बागदा विधानसभा क्षेत्र से लेकर दक्षिण 24 परगना के सुंदरबन के गोशाबा तक 11 विधानसभा क्षेत्र हैं, जो भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थित हैं।

इनमें 7 अनुसूचित जाति और एक (संदेशखाली) अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। बांग्लादेश से आए अनुसूचित जाति के लोग बीते 5 दशक से यहां रह रहे हैं। इन सीमाई इलाकों में जिहादियों, पशु तस्करों, महिला तस्करों और सीमावर्ती अपराधियों के बीच एक मजबूत साठगांठ है। वे बांग्लादेशी हिंदू शरणार्थी लड़कियों का शोषण करते हैं और उनकी जमीन कब्जा लेते हैं। संदेशखाली में महिलाओं का यौन शोषण करने वाला शाहजहां शेख तृणमूल से पहले माकपा में था। वह जानता है कि शरणार्थी हिंदू बलात्कार और जमीन कब्जे की शिकायत नहीं करेंगे, क्योंकि बशीरहाट में कुछ ऊंचे ओहदों पर मुस्लिम अधिकारी बैठे हुए हैं, जिनसे न्याय की उम्मीद ही नहीं की जा सकती।

Topics: संदेशखालीScheduled CasteजनजातिTribeममता बनर्जीMamata Banerjeeअनुसूचित जातिभारत सेवाश्रम संघBharat Sevashram Sanghपाञ्चजन्य विशेषSandeshkhali
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