अरविंद केजरीवाल उस व्यक्ति को साथ लेकर घूमते रहे, जिसके विरुद्ध उन्हें कड़ा कदम उठाना चाहिए था। उन्होंने ऐसा क्यों किया? अरविंद केजरीवाल और आआपा के चरित्र को बेहतर ढंग से समझने के लिए स्वाति मालीवाल की टिप्पणी पर गौर करें। स्वाति ने लिखा, ‘‘किसी दौर में हम सब निर्भया को इन्साफ दिलाने के लिए सड़क पर निकलते थे। आज 12 साल बाद सड़क पर निकले हैं, ऐसे आरोपी को बचाने के लिए जिसने सीसीटीवी फुटेज गायब किए और फोन फॉर्मेट किया। काश! इतना जोर मनीष सिसोदिया जी के लिए लगाया होता। वो यहां होते तो शायद मेरे साथ इतना बुरा नहीं होता!’’ स्वाति मालीवाल ने एक्स पर लिखा है, ‘‘जितना नीचे गिर सकते हो, गिरो। भगवान सब देख रहा है। एक दिन सबकी सच्चाई सामने आएगी।’’
और स्वाति को आ गया गुस्सा
प्रश्न है कि आआपा सांसद जब संजय सिंह प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह स्वीकार कर चुके थे कि स्वाति मालीवाल के साथ अभद्रता हुई, तो विभव कुमार के विरुद्ध कार्रवाई क्यों नहीं हुई? इतना सब होने के बाद भी विभव क्यों केजरीवाल की आंख का तारा बना हुआ है? दरअसल, 13 मई को जब मुख्यमंत्री आवास पर केजरीवाल के निजी सचिव विभव ने स्वाति से मारपीट की, तब स्वाति ने पीसीआर को फोन किया था। इसके बाद वह थाने भी गई थीं, लेकिन कुछ फोन आए तो बाद में शिकायत दर्ज कराने की बात कहकर लौट गई। इसके बाद संजय सिंह ने काफी हद तक उन्हें मना भी लिया था, लेकिन लखनऊ में विभव का केजरीवाल के साथ घूमना, प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनके मुद्दे पर मुख्यमंत्री का कन्नी काटना और अखिलेश यादव द्वारा मजाक उड़ाना, इस सबने स्वाति मालीवाल के गुस्से को भड़का दिया।
संजय सिंह उन्हें मनाने में जुटे रहे, पर स्वाति नहीं मानीं और पुलिस में बयान दर्ज करा दिया। फिर सोशल मीडिया पर लिखा, ‘‘मेरे साथ जो हुआ, वो बहुत बुरा था। मैंने पुलिस को अपना बयान दिया है। आशा है कि उचित कार्यवाही होगी। पिछले दिन मेरे लिए बहुत कठिन रहे हैं। जिन लोगों ने प्रार्थना की उनका धन्यवाद करती हूं। जिन लोगों ने चरित्र हनन करने की कोशिश की और कहा कि दूसरी पार्टी के इशारे पर कर रही हूं, भगवान उन्हें भी खुश रखे। देश में अहम चुनाव चल रहे हैं। स्वाति मालीवाल जरूरी नहीं है, देश के मुद्दे जरूरी हैं। भाजपा वालों से खास गुजारिश है, इस घटना पर राजनीति न करें।’’
इधर, आआपा एक गिरोह की तरह स्वाति का चरित्र हनन करने में जुटी हुई थी। संजय सिंह के साथ स्वाति को मनाने में साथ रही वंदना सिंह ने लिखा, ‘‘अब सबकी इतनी ट्रेनिंग हो गई है कि पार्टी वाले और ट्रोल की तरह बर्ताव करने वाले साथी अपना-अपना इंस्टीट्यूट खोल सकते हैं कि कैसे अपने कर्मठ, समर्पित और सड़क पर हमेशा संघर्ष के लिए तैयार रहने वाले लोगों को, चाहे पुराने इंडिया अगेन्स्ट करप्शन वाले हों या पार्टी वाले, अपमानित करके, नीचा दिखा कर, ट्रोल करके अपना दुश्मन बनाया जाए। खैर, लड़ेंगे, संघर्ष करेंगे, हमारी जिदगी भी ‘ए.के.’ की तरह संघर्ष के लिए ही बनी है।’’ स्वाति की निकट सहयोगी वंदना सिंह की टिप्पणी से स्पष्ट है कि स्वाति भाजपा के इशारे पर यह सब नहीं कर रही थीं। वंदना के सोशल मीडिया प्रोफाइल पर अभी भी केजरीवाल के साथ वाला चित्र लगा हुआ था।
महिला विरोधी पार्टी
आआपा का महिला विरोधी और तानाशाही चरित्र पहली बार सामने नहीं आया है। 6 मई, 2023 को दोपहर 1:11 बजे संजय सिंह ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘‘पंजाब में भाजपा के टीवी चैनल के एक पत्रकार ने एक दलित महिला पर गाड़ी चढ़ा दी और उसे जातिसूचक गालियां दीं। भाजपा हमेशा से दलित विरोधी है। पंजाब सरकार ऐसे दलित विरोधी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।’’ फिर दोपहर 3:11 बजे उन्होंने दूसरा पोस्ट लिखा, ‘‘पंजाब की अदालत ने प्रथम दृष्टया उस टीवी रिपोर्टर को दोषी पाया और 19 मई तक हिरासत में भेजा। भाजपा और टाइम्स नाऊ चैनल दलित विरोधी हैं। क्या उन्हें अदालत पर भरोसा नहीं है?’’
दरअसल, केजरीवाल के शीशमहल में करोड़ों रुपये के पर्दे, टाइल्स और कमोड पर टाइम्स नाऊ ने रिपोर्ट ने आआपा को हिला दिया था। उसी का बदला लेने के लिए चैनल की महिला रिपोर्टर भावना किशोर पर पंजाब पुलिस ने फर्जी मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया था। लेकिन पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय ने उसे जमानत दे दी। बाद में रिपोर्टर के वकील ने मीडिया को बताया कि न्यायालय की नजर में यह मामला ही झूठा है। मीडिया और विशेषकर महिला पत्रकारों को ‘सबक सिखाने’ का आआपा का यह अकेला मामला नहीं था।
जब केजरीवाल स्वाति मालीवाल के गंभीर आरोपों से जूझ रहे थे, तब भी मुख्यमंत्री के मीडिया संयोजक विकास योगी ने टाइम्स नाऊ की संवाददाता आकांक्षा खजूरिया और कैमरापर्सन के साथ बदसलूकी की और कैमरा तोड़ दिया। आआपा के मूल में ही महिला विरोध और तानाशाही है। यह अलग-अलग कई अवसरों पर स्पष्ट दिखता रहा है। इसी तरह शाजिया इल्मी ने कहा था, ‘‘कोई भी महिला नेता जब आगे बढ़ती है तो उसे जलील किया जाता है। आआपा इतनी घटिया है कि मेरे घर में संपत्ति विवाद की आड़ लेकर मेरे ही भाई को मेरे खिलाफ खड़ा करने की कोशिश की। मैं जब विधानसभा का चुनाव लड़ रही थी तो दुर्गेश पाठक और सतीश डागर गंदी गालियां देते थे, जिसे मैं बता नहीं सकती। इसकी शिकायत करने गई तो मनीष सिसोदिया के कमरे में उनके साथ दुर्गेश पाठक और सतीश डागर बैठे हुए थे। अरविंद से शिकायत की तो उन्होंने कहा कि मनीष से बात करो। मुझे बहुत कुछ बर्दाश्त करना पड़ा था। विभव ने स्वाति के साथ जो किया है, अरविंद की मर्जी के बगैर नहीं हो सकता। गाजियाबाद में एक सभा में एक लड़की मेरे पास बैठना चाह रही थी, आआपा के ही एक नेता ने मेरे सामने उस लड़की को थप्पड़ मारा और घसीटकर हटा दिया।’’
इन घटनाओं से इस धारणा की पुष्टि होती है कि आआपा एक गिरोह की तरह काम कर रही है। गिरोह के खिलाफ जो खड़ा हुआ तो गिरोह किसी भी हद तक जाकर उससे बदला लेता है। आआपा के संस्थापक सदस्य और कभी केजरीवाल के अभिन्न मित्र रहे कुमार विश्वास ने एक बार कहा था कि विभव मुख्यमंत्री का राजदार है। जो पहले उनके एनजीओ ‘कबीर’ में 10-15 हजार रुपये वेतन पर काम करता था। बाद में अरविंद के पीए बना और पार्टी में जो भी काम हुए चाहे लोगों का चरित्र हनन, लोगों के खिलाफ ट्वीट कराना, परिवार के बारे में गंदगी फैलाने जैसे हर काम का राजदार बना। विभव के बारे में कुमार विश्वास की यह राय साबित हुई। स्वाति प्रकरण में उनके परिवार वालों की गाड़ियों की जानकारी सार्वजनिक करने से लेकर उनकी अमेरिका यात्रा के दौरान के वीडियो तक मांगे जा रहे थे कि कहीं से कुछ मिल जाए, जिससे स्वाति को बदनाम किया जा सके।
टिप्पणियाँ