संदेशखाली ने ममता के चेहरे से उतार फेंका महिला-हितैषी का नकाब : रेखा पात्रा
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संदेशखाली ने ममता के चेहरे से उतार फेंका महिला-हितैषी का नकाब : रेखा पात्रा

संदेशखाली में महिला सम्मान की प्रतीक बनकर उभरी पश्चिम बंगाल के बशीरहाट लोकसभा क्षेत्र की भाजपा उम्मीदवार है रेखा पात्रा। वे ममता बनर्जी से जानना चाहती हैं कि उन्हें संदेशखाली की महिलाओं का दर्द महसूस क्यों नहीं हुआ?

by Ashwani Mishra
May 25, 2024, 11:29 pm IST
in साक्षात्कार, पश्चिम बंगाल
रेखा पात्रा

रेखा पात्रा

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संदेशखाली में महिला सम्मान की प्रतीक बनकर उभरी पश्चिम बंगाल के बशीरहाट लोकसभा क्षेत्र की भाजपा उम्मीदवार है रेखा पात्रा। वे ममता बनर्जी से जानना चाहती हैं कि उन्हें संदेशखाली की महिलाओं का दर्द महसूस क्यों नहीं हुआ? इतनी बड़ी घटना के बाद भी वे क्यों संदेशखाली नहीं आई? रेखा कहती हैं कि असल में तो ममता ही महिलाओं पर अत्याचार करने वाले दस्तों की अगुआ हैं। वे अपने राजनीतिक लाभ के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। पाञ्चजन्य के विशेष संवाददाता अश्वनी मिश्र ने रेखा पात्रा से विस्तृत बात की। प्रस्तुत हैं बातचीत के संपादित अंश- 

संदेशखाली में आप महिला अस्मिता की प्रतीक बनकर उभरी हैं। आप जीतती हैं तो बहुत ही बढ़िया, लेकिन यदि ऐसा नहीं होता तो भी क्या आप राज्य में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार के विरुद्ध लड़ाई जारी रखेंगी?
देखिए, सबसे पहले तो मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का धन्यवाद करना चाहूंगी कि उन्होंने संदेशखाली की पीड़ित महिलाओं के दुख-दर्द को बहुत करीब से समझा। मैं तो बहुत ही सामान्य महिला हूं, फिर भी भाजपा जैसी विशाल पार्टी ने महिला अस्मिता की प्रतीक के रूप में मुझे चुना और संदेशखाली की महिलाओं की आवाज बनाया। इसलिए हारना, जीतना अलग बात है, असल बात है महिलाओं के खिलाफ राज्य में हो रहे जुल्म के खिलाफ आवाज उठाना, उन्हें न्याय दिलाना। इसलिए मैं स्पष्ट करती हूं कि जीतूं या हारूं, मेरी लड़ाई जारी रहेगी। दूसरी बात— संदेशखाली का मामला कोई राजनीतिक मामला नहीं है। यह महिला अस्मिता का विषय है। यहां महिलाओं के साथ जुल्म हुआ है, ऐसा जुल्म कि बताया नहीं जा सकता। यहां की महिलाएं उसे सिर्फ महसूस करके सिसकती हैं। उन्हें लगातार डराया-धमकाया जा रहा है। इसलिए मेरा जीतना-हारना महत्वपूर्ण है ही नहीं, महत्वपूर्ण है तो वह है जुल्म के खिलाफ आवाज बुलंद करना और उन्हें न्याय दिलाना।

पश्चिम बंगाल में एक महिला मुख्यमंत्री हैं। जब वे मुख्यमंत्री बनीं तो महिलाओं को लगा कि अब उनकी कोई सुनेगा। लेकिन हुआ इसका उलटा। क्या कहेंगी आप इस पर?
निश्चित रूप से हम सभी को आशा थी कि एक महिला मुख्यमंत्री होने से राज्य की महिलाओं पर जुल्म कम हो जाएंगे। जो अत्याचार करेगा, उसे कड़ी सजा मिलेगी। ममता बनर्जी महिलाओं की आवाज सुनेंगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। खुद ममता बनर्जी अपनी गुंडा वाहिनी के जरिए जुल्म कराती हैं। आज उनके नेता महिला अत्याचार में सबसे आगे हैं। संदेशखाली इसका उदाहरण है। शाहजहां शेख जैसे दुष्कर्मी नेता को मुख्यमंत्री का पूरा संरक्षण था। उन्होंने उसे अंतिम समय तक बचाया। सबकुछ जानते हुए भी कि उस दरिंदे ने संदेशखाली की महिलाओं के साथ बेलगाम अत्याचार किया, वे उसका साथ देती आ रही हैं और यहां की महिलाओं के खिलाफ रही हैं। उन्हें पीड़िताओं के दर्द से कोई वास्ता नहीं था और आज भी नहीं है। अगर वे तनिक भी महिला हितैषी होतीं तो अब तक संदेशखाली का दौरा कर चुकी होतीं। यहां की महिलाओं की पीड़ा और दुख-दर्द उन्हें नहीं दिखा? यहां की महिलाओं का जो सम्मान लुटा, वह उन्हें क्यों अभी तक दिखाई नहीं दिया? उन्हें तो गुंडों और दंगाइयों का साथ देना है। उन्हें आम लोग नहीं चाहिए। इसलिए हमें राज्य में ममता का नेतृत्व नहीं चाहिए। हकीकत में वे गुंडावाहिनी की अगुआ हैं।

वामपंथी तो धर्म विरोधी थे ही, हाल ही में ममता बनर्जी ने रामकृष्ण मिशन, इस्कॉन और भारत सेवाश्रम संघ पर निशाना साधा। वे लगातार अपने बयानों में हिन्दू धर्म पर निशाना साध रही हैं। उनके इस रवैये पर क्या कहेंगी आप? 
देखिए, ममता बनर्जी हिन्दू विरोध में अब वामपंथियों से आगे जा चुकी हैं। वामपंथी शासन में राज्य के लोगों पर जो अत्याचार हुए, उनकी कल्पना नहीं की जा सकती लेकिन अब ममता राज में जो हो रहा है, वह उससे भी ज्यादा है। यह पूरी सरकार धर्मद्रोही बन चुकी है। यह राम मंदिर का विरोध करती है।
वे हिन्दू धर्म पर बराबर इसलिए हमले कर रही हैं, क्योंकि उन्हें रोहिंग्या, बांग्लादेशी घुसपैठियों को खुश करना है। वे अपने वोट बैंक को साधने केलिए सेवा करने वाले संगठनों को भी नहीं छोड़ रहीं। वे तुष्टीकरण के दलदल में इतनी धंसी हुई हैं कि उन्हें कुछ और सूझ ही नहीं रहा। उन्हें सिर्फ एक ही चीज से मतलब है कि कैसे मुसलमानों को खुश किया जाए। इसलिए वे वही कर रही हैं, जिससे उनका वोट बैंक खुश हो।

संदेशखाली प्रकरण तो मीडिया में छा गया। राज्य में और कितने ‘संदेशखाली’ हैं, जहां महिलाओं के साथ अत्याचार हो रहा है?
आज राज्य में महिला उत्पीड़न चरम पर है। कितनी जगहों के नाम बताएं जहां महिलाओं पर अत्याचार नहीं हो रहा। उनका उत्पीड़न किया जा रहा है, लेकिन वे डर के चलते बोल नहीं पा रहीं। ये महिलाओं को दबा रहे हैं। यहां तक कि बच्चियों के साथ भी जुल्म हो रहा है। पूरे राज्य में गुंडातंत्र हावी है। आए दिन महिलाओं के साथ बलात्कार, अत्याचार और जुल्म खुलेआम हो रहा है। लेकिन न तो यहां की पुलिस कुछ बोलती है और न ही ममता बनर्जी। खुलेआम ममता की पार्टी के नेता और गुंडावाहिनी महिलाओं का उत्पीड़न करती है।

राज्य में बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या हाल में कुछ ज्यादा बढ़ी है। आप खुद सीमावर्ती इलाके में रहती हैं। क्या स्थिति है इलाके की?
इसमें कोई दो राय नहीं कि राज्य में रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठिये लगातार बढ़ रहे हैं। वे सीमावर्ती इलाकों में ही नहीं बल्कि पूरे राज्य की जनसांख्यिकी प्रभावित कर रहे हैं। मालदा, बशीरहाट, मुर्शिदाबाद, दक्षिण और उत्तर 24 परगना सहित सीमावर्ती जिले इससे बहुत प्रभावित हैं। स्थानीय नेता वोट बैंक के लिए इन्हें धड़ल्ले से सब कुछ उपलब्ध कराते हैं— भोजन से लेकर पहचान पत्र तक। बस फिर वे यहीं के होकर रह जाते हैं। ये लोग यहां ऐसे बस गए हैं कि लगता ही नहीं कि ये इलाके भारत का हिस्सा हैं। टीमसी और ममता बनर्जी ने इन्हें खूब खाद-पानी दिया है। उनके वोट पाने के लिए वे कुछ भी कर सकती हैं।

ममता राज में शाहजहां शेख जैसे अपराधियों के लिए राज्य की महिलाएं किस तरह की सजा चाहती हैं?
संदेशखाली सहित राज्य की महिलाएं यही चाहती हैं कि शाहजहां शेख और उसके साथी दरिंदों को फांसी की सजा हो, ताकि फिर से किसी की भी हिम्मत ना हो ऐसा अत्याचार करने की। जब तक ऐसे लोगों को कड़ी सजा नहीं मिलेगी, तब तक कोई भी, कुछ भी महिलाओं के साथ करता रहेगा। संदेशखाली की महिलाओं का दर्द बहुत बड़ा है। सिर्फ वही जानती हैं कि वे किस दर्द में हैं। इसलिए जब तक इन्हें कड़ी सजा नहीं मिलती हम लोग चैन से बैठने वाले नहीं हैं।

हाल ही में आम आदमी पार्टी की सांसद स्वाति मालीवाल के साथ मुख्यमंत्री आवास में अरविंद केजरीवाल के सहयोगी द्वारा मार-पिटाई की गई। केजरीवाल और उनकी पार्टी महिला सुरक्षा और उनकी अस्मिता, सम्मान का दम भरती नजर आती थी। क्या कहेंगी इस पर?
देखिए, स्वाति मालीवाल के मसले से आम आदमी पार्टी का चाल, चरित्र और चेहरा सामने आ गया है। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने स्वाति मालीवाल के विषय में कुछ भी नहीं बोला और जो बोला वह उन्हें ही कटघरे में खड़ा करता है। यह सब कुछ बताता है कि आम आदमी पार्टी महिलाओं की कितनी बेइज्जती करती है। जब उनकी खुद की सांसद सुरक्षित नहीं है, उसके सम्मान को ठेस पहुंचाई जाती है तो भला दिल्ली की आम महिलाएं कितनी सुरक्षित होंगी। लेकिन एक तरफ भारतीय जनता पार्टी है, जो संदेशखाली में महिला उत्पीड़न का विरोध करती है। उनकी आवाज बनती है। मुझ जैसी सामान्य कार्यकर्ता को टिकट देकर महिलाओं की आवाज बुलंद करने का मौका देती है। स्वयं प्रधानमंत्री जी हम महिलाओं का उत्साहवर्धन करते हैं। यह है अन्य दलों और भाजपा के बीच का अंतर।

Topics: सांसद स्वाति मालीवालMP Swati Maliwalमुख्यमंत्री आवास में अरविंद केजरीवालRohingya and Bangladeshi infiltratorsArvind Kejriwal at Chief Minister's residence.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीPrime Minister Narendra Modiरोहिंग्या और बांग्लादेशी मुस्लिमोंपाञ्चजन्य विशेषSandeshkhaliसंदेशखाली
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