नई दिल्ली । भारतीय सेना ने अपने समृद्ध सैन्य विरासत को पुनर्जीवित करने और भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार होने के उद्देश्य से ‘प्रोजेक्ट उद्भव’ की शुरुआत की है। सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने मंगलवार को इस बात की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह पहल भारतीय सेना को महाभारत, मौर्य, गुप्त एवं मराठों के युद्ध कौशल और रणनीतिक ताकतों से सीखने के लिए प्रेरित करेगी।
जनरल पांडे ने यह बयान ‘भारतीय सामरिक संस्कृति में ऐतिहासिक पैटर्न’ नामक एक सम्मेलन में दिया, जिसका आयोजन यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन (यूएसआई) ने किया था। इस थिंक-टैंक की स्थापना 1870 में की गई थी और यह भारत के सबसे पुराने थिंक-टैंकों में से एक है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले साल ‘प्रोजेक्ट उद्भव’ की शुरुआत की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य प्राचीन भारतीय ग्रंथों से सामरिक और नैतिक ज्ञान प्राप्त करना है।
जनरल पांडे ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में वेद, पुराण, उपनिषद और अर्थशास्त्र जैसे प्राचीन ग्रंथों का गहराई से अध्ययन किया गया है। उन्होंने कहा, “प्राचीन भारतीय ज्ञान 5,000 साल पुरानी सभ्यता की विरासत में निहित है, जहां ज्ञान के साथ अत्यधिक मूल्य जोड़ा गया है।” जनरल पांडे ने यह भी बताया कि भारतीय सेना ने इन ग्रंथों के माध्यम से धार्मिकता, नैतिकता और परस्पर जुड़ाव पर आधारित मूल्यवान शिक्षा प्राप्त की है।
‘प्रोजेक्ट उद्भव’ के तहत भारतीय सेना ने महाभारत की महाकाव्य लड़ाइयों और मौर्य, गुप्त एवं मराठों के शासनकाल की रणनीतिक प्रतिभाओं का भी अध्ययन किया है। इन सभी ने मिलकर भारत की समृद्ध सैन्य विरासत को आकार दिया है। जनरल पांडे ने कहा, “इस प्रोजेक्ट में मशहूर भारतीय और पश्चिमी विद्वानों के बीच बौद्धिक समानता के बारे में भी बताया है।”
सेना प्रमुख ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत के बौद्धिक साहित्य के विशाल भंडार और विभिन्न क्षेत्रों में थिंकर्स और स्कोलर्स की संख्या ने भी इस विरासत को संरक्षित और विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा, “प्राचीन ग्रंथों में समाहित ज्ञान हमें न केवल अपने अतीत के गौरवशाली पलों की याद दिलाता है, बल्कि भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए भी तैयार करता है।”
इस प्रोजेक्ट के माध्यम से भारतीय सेना न केवल अपनी रणनीतिक क्षमता को बढ़ा रही है, बल्कि प्राचीन भारतीय सभ्यता के मूल्यवान ज्ञान को पुनर्जीवित कर रही है। यह पहल भारतीय सेना के भविष्य को मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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