म्यांमार में स्थितियां और भी गंभीर होती जा रही हैं। रखाइन क्षेत्र में जहां कई हिस्सों में सैन्य सरकार जुंटा और विद्रोही गुटों के बीच लड़ाई तेज हो रही है तो वहीं एक और चौंकाने वाली खबर आ रही है। न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार हिंदुओं और बौद्धों के लगभग 5000 घरों को नष्ट कर दिया गया है। और ये सभी घर बुथीदुंग क्षेत्र मे स्थित हैं, जो बांग्लादेश की सीमा से मात्र 25 किलोमीटर की दूरी पर हैं।
इस रिपोर्ट के अनुसार जिन 5,000 घरों को निशाना बनाया गया, वे बौद्धों और हिंदुओं के हैं। अधिकतर लोग सुरक्षित स्थानों पर भाग गए हैं, तो अधिकतर घर खाली हैं, मगर जो पीछे छूट गए, उन्हें बाहर खींचा गया, और उनके घरों को उनकी ही आंखों के सामने लूटा गया और जला दिया गया। यह षड्यंत्र उन्होंने किया, जो बांग्लादेश में रोहिंग्या मुस्लिमों के शिविर में रह रहे हैं।
इस रिपोर्ट के अनुसार इन घरों को 11 अप्रैल और 21 अप्रैल के बीच तोड़ा गया। अब यह इलाका एथिनिक विद्रोही समूह अराकान आर्मी के नियंत्रण में है। इस रिपोर्ट के अनुसार “वर्ष 2018 की जनगणना में बुथिदौंग में 3000 घर थे। यह संख्या तीन गुना से अधिक बढ़कर 10000 हो गई है क्योंकि कई लोग अन्य क्षेत्रों से अपना घर छोड़कर यहां बसने के लिए आए थे। यहां पर 50 प्रतिशत से अधिक निवासी मुस्लिम हैं जबकि शेष मूल निवासी समूह अर्थात बौद्ध एवं हिन्दू हैं। ऐसा भी कहा जा रहा है कि बांग्लादेश में रोहिंग्या शिविरों मे रहने वाले कुछ रोहिंग्या मुस्लिम यह षड्यंत्र कर रहे हैं। हालांकि कुछ रोहिंग्या मुस्लिम वहां से भाग गए हैं, परंतु कुछ लोग नागरिकों के साथ ऐसे अत्याचार कर रहे हैं।
रोहिंग्या मुस्लिमों की समस्या कई वर्षों से बनी हुई है। हालांकि ऐसा कहा जाता है कि म्यांमार सरकार द्वारा रोहिंग्या मुस्लिमों के साथ अत्याचार किया जाता है और यही कारण है कि रोहिंग्या मुस्लिमों को कई दूसरे देशों मे शरण लेनी पड़ी है। बांग्लादेश मे सबसे अधिक रोहिंग्या मुस्लिम गए हैं, और अब वे अन्य मुस्लिम देशों मे जा रहे हैं, जहां पर उनका स्वागत बिल्कुल भी नहीं है।
कौन हैं रोहिंग्या मुस्लिम?
प्रश्न यह उठता है कि ये रोहिंग्या मुस्लिम कौन हैं और ये बौद्धों और हिंदुओं के अस्तित्व के शत्रु क्यों बने हुए हैं? एक ओर वे स्वयं को पीड़ित बताते हैं और दूसरी ओर वे हिंदुओं और बौद्धों के साथ हिंसा की हर सीमा पार कर जाते हैं। एक ओर जहां वे अपने मारे जाने का रोना रोते हैं तो वहीं दूसरी ओर हिंदुओं को इस तरह मारते हैं कि उनकी सामूहिक कब्रें मिलती हैं। वर्ष 2018 मे एमनेस्टी इंटरनेशनल ने यह माना था कि रोहिंग्या मुस्लिमों ने हिंदुओं का कत्लेआम किया था। उन्होंने हिंदुओं को मारा-पीटा, उनके घरों को लूटा, लड़कियों को उठाया, पुरुषों की हत्या की, जबरन इस्लाम कुबूल करवाया, जिनकी हत्या की गई उन्हें सामूहिक रूप से दफनाया।
ऐसा कहा जाता है कि रोहिंग्या मुस्लिम अवैध बांग्लादेशी मुस्लिम हैं और इन्हें म्यांमार सरकार ने नागरिकता देने से इंकार कर दिया है। रखाइन क्षेत्र मे ये लोग कई पीढ़ियों से रह रहे हैं। यह कहा जा सकता है कि इन्हें कोई भी अपना नागरिक नहीं मानता है। और इनका स्वभाव ऐसा है, इतनी कट्टर प्रवृत्ति है कि ये उसी को हानि पहुंचाते हैं, जो उन्हें सहारा देते हैं। म्यांमार के चर्चित बौद्ध साधु आशिन विराथु इन्हें बंगाली मुस्लिम की संज्ञा देते हैं। एक्स पर वे लिखते हैं कि
“रोहिंग्या एक काल्पनिक शब्द है जिसे इन बंगाली मुसलमानों ने गढ़ा और काल्पनिक रचना करके खुद को म्यांमार का मूल निवासी घोषित किया और हमें विदेशी..हम कहना शुरू कर दिया। इस समुदाय का कोई इतिहास नहीं है. वे बंगाली-अरब गुलाम हैं जो हर देश में घुसपैठ करते हैं और उसके मालिक बनने की कोशिश करते हैं।“
https://x.com/WirathuAshin/status/1793331506351575071?
विराथु अपने देश और धर्म के प्रति प्रखर विचारों के लिए विख्यात हैं। वे रोहिंग्या मुस्लिमों के माध्यम से अपने देश में अब्राहमिक आक्रमण का विरोध करते हैं। एक्स पर उनके कई पोस्ट हैं और वे लिखते हैं कि म्यांमार में हमने रोहिंग्या मुस्लिमों को मानवता के नाम पर रहने दिया, उन्होंने अब लगभग 2000 बौद्ध और हिन्दू महिलाओं, पुरुषों और बच्चों का अपहरण कर लिया है। हमने उन्हें कई मौके दिए कि वे आत्मसमर्पण कर दें मगर अब सजा का समय है। हम शांति के नाम पर महिलाओं के साथ बलात्कार होते नहीं देख सकते हैं।
रोहिंग्या मुस्लिमों को लेकर मानवता के दावे अलग हैं और उनपर राजनीति भी अलग है, परंतु बहुत ही कम चर्चा इस पर होती है कि आखिर क्यों कोई भी देश इन्हें अपनाने के लिए तैयार नहीं है और क्यों एक तरफ पीड़ित होने का दावा करने वाला समुदाय अपने आसपास रहने वाले बौद्ध एवं हिंदुओं को क्यों नहीं सहन कर पाता है? क्यों अभी भी बौद्ध और हिंदुओं के मकान रखाइन क्षेत्र में नष्ट हो रहे हैं?
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