किर्गिस्तान में पाकिस्तानी छात्रों के साथ हिंसा हो रही है और इस चपेट मे भारतीय छात्र भी आ रहे हैं। सोशल मीडिया पर यह भी है कि कई पाकिस्तानी छात्राओं के साथ बलात्कार भी हुआ है। और यह सब स्थानीय लोगों ने किया। उन्हें किसी बात पर गुस्सा था, या यह कहा जा रहा है कि वहाँ पर लोग पाकिस्तान के विद्यार्थियों द्वारा स्थानीय लड़कियों के यौन शोषण को लेकर गुस्सा थे और यही कारण है कि उन्होनें ऐसा किया। तो वहीं पाकिस्तान के विद्यार्थियों का यह कहना है कि मिस्र के किसी व्यक्ति ने किसी स्थानीय लड़की के साथ कुछ गलत किया तो विदेशी छात्रों के खिलाफ गुस्सा फूट पड़ा और उन्होनें पाकिस्तानी छात्रों पर निशाना साधना शुरू कर दिया। भारत सरकार ने भी अपने छात्रों के लिए एडवाइजरी जारी की है।
Over 180 Pakistani students arrive back in Lahore, Pakistan from Kyrgyzstan on the first special flight after facing violent attacks by locals following Pakistani students molesting a local child in Kyrgyzstan. pic.twitter.com/ZjAc07bc4t
— Tommy Robinson 🇬🇧 (@TRobinsonNewEra) May 19, 2024
अब पाकिस्तान के विद्यार्थी वापस लौट रहे हैं, मगर अभी हजारों पाकिस्तानी विद्यार्थी वहां हैं।
सोशल मीडिया पर यह भी कहा जा रहा है कि यह सब स्थानीय लोगों और मिस्र/पाकिस्तानी समूह के बीच झगड़े के साथ आरंभ हुआ। बेन विडेरस्की नामक यूजर ने एक्स पर लिखा कि स्थानीय लोगों को यह झड़प पसंद नहीं आई और उन्होंने अपने हजारों दोस्तों को बुला लिया जो आसपास के क्षेत्रों और जिलों से बिश्केक पहुँच गए। इस पोस्ट के अनुसार स्थानीय लोग बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले गैरकानूनी कामगारों से खुश नहीं हैं, जो अजीब किस्म के कार्यों मे लिप्त रहते हैं, जैसे खतरनाक तरीके से गाड़ी चलाना, और कम पैसों पर काम करने के लिए तैयार हो जाना। इसके कारण वे गुस्से में थे और यह सब हुआ।
Here's my view on the riots that broke out last night in Kyrgyzstan, as a person who actually now lives in Bishkek.
The recent riots in #Kyrgyzstan involving Egyptians and Pakistanis reflect deeper issues in the country. It all started with a fight between local men and… pic.twitter.com/0is2Nf3g2A— Ben Wide (@benwiderski) May 18, 2024
हालांकि ऐसा दावा किया गया कि किसी भी छात्र की हत्या नहीं हुई है, परंतु सोशल मीडिया पर पाकिस्तानी छात्रों ने आकर बताया कि उनके साथ क्या हो रहा है। वहीं इस मामले में एक और रोचक बात देखने को मिल रही है कि किर्गिस्तान की इस कार्यवाही का समर्थन तुर्किए के कुछ लोग कर रहे हैं।
दरअसल कुछ वर्ष पूर्व तुर्किए में पाकिस्तानियों के खिलाफ एक अभियान चलाया गया था। जिसमें पाकिस्तान के युवकों द्वारा छोटी बच्चियों से यौन शोषण का उल्लेख था और यह पाया गया था कि कैसे पाकिस्तानी लोग यहां आकर छोटी बच्चियों के वीडियो बनाते हैं। एक पूरा अभियान पाकिस्तान के उन लोगों के खिलाफ चलाया गया था, जिन्होनें तुर्किए मे छोटी बच्चियों के स्वीमिंग पूल आदि से वीडियो जारी किये थे।
मगर एक रोचक बात यह है कि पाकिस्तान के कुछ लोग इस घटना को लेकर उम्माह के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। उम्माह अर्थात इस्लाम को ही मानने वाला समूह, और उसमें कोई भेदभाव नहीं, कोई ऊँचा-नीचा नहीं! उम्माह अर्थात इस्लाम की सत्ता के अंतर्गत सब एक समान विचार वाले लोग।
लोग उम्माह को कोस रहे हैं
https://twitter.com/Champ4gnePaki/status/1791607277146853533
एक यूजर आरफा खान ने लिखा कि “किर्गिस्तान की घटना के बाद सभी पाकिस्तानियों से यह अनुरोध है कि वे उम्माह वाले देशों पर ध्यान देना बंद करें और उन देशों मे जाएं, जहां पर मानवाधिकारों के लिए आदर है और कानून है।
शेर खान नामक यूजर ने लिखा कि उम्माह को छोड़ना चाहिए। हम एक न्यूक्लियर देश हैं और हमारे पास सबसे बड़ी सेनाओं मे से एक है और हमें सभी को कुचल देना चाहिए।
सोशल मीडिया पर पूजा सांगवान नामक यूजर ने उन सभी पोस्ट्स का थ्रेड बनाया, जिनमें उम्माह को भाड़ मे भेजने के लिए लोगों ने कहा है।
एक यूजर ने लिखा कि आठवां घोषित न्यूक्लियर देश, पूरे विश्व में सातवीं सबसे बड़ी सेना और यह गाजा मे मुस्लिम उम्माह को नहीं बचा सकता और न ही अपने लोगों को किर्गिस्तान मे बचा सकता है।
एक यूजर ने उम्माह चूरन से दूर रहने की सलाह देते हुए कहा कि इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान ने हम पर हमला किया, अफगानिस्तान में मुस्लिम भाइयों ने हम पर हमला किया। केवल काफिर इंडिया ऐसा नहीं किया है। हमें पाकिस्तान फर्स्ट को ध्यान मे रखना होगा। उम्माह चूरन एकदम बेकार है।
कई पोस्ट्स में वे चित्र भी लोगों ने साझा किये, जिनमें लिखा गया है कि पाक इज आउट। वैसे यह हिंसा पाकिस्तान के लिए नई नहीं होनी चाहिए क्योंकि पाकिस्तान में तो आए दिन ही किसी न किसी ऐसे व्यक्ति के साथ भीड़ हिंसक व्यवहार करती ही रहती है, जो उनके अनुसार काफिर है। क्या अपने स्टूडेंट्स पर बाहर ऐसे हमलों के कारण पाकिस्तान को यह समझ मे आएगा कि हिंसक भीड़ का हमला क्या होता है? नस्लीय घृणा क्या होती है?
अभी तो हाल-फिलहाल पाकिस्तान के विद्यार्थी वापस जाने लगे हैं और यह भी दावा किया जा रहा है कि वे अपने पैसों से ही जा रहे हैं। मगर प्रश्न यह उठता ही है कि आखिर उम्माह के लोगों में ही परस्पर इतनी घृणा क्यों? या फिर उम्माह नामकी कोई चीज होती ही नहीं है, जैसा कुछ पाकिस्तानी लोग दावा कर रहे हैं? और क्यों तुर्किए के लोग भी पाकिस्तान के लोगों पर इस हमले मे किर्गिस्तान के साथ हैं। तीनों ही मुस्लिम देश हैं और तीनों ही सुन्नी देश हैं, फिर भी परस्पर यह घृणा?
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