देहरादून: उत्तराखंड के सभी जिला अधिकारियों को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के समक्ष पेश होकर अपना जवाब देना होगा कि आखिर देवभूमि उत्तराखंड में चल रहे मदरसों की मैपिंग अब तक क्यों नही हुई?
इस बारे में आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने अपने देहरादून दौरे में कहा था कि उत्तराखंड शासन प्रशासन ने मदरसों के विषय में न तो कोई संतोषजनक कारवाई की और न ही उनकी मैपिंग की। उत्तराखंड में चल रहे मदरसों को लेकर “पाञ्चजन्य” ने लगातार समाचार प्रकाशित किए हैं कि मदरसों में हिंदू बच्चे पढ़ रहे हैं ,बहुत से मदरसे बिना अनुमति के चल रहे हैं और बहुत से मदरसे सरकारी जमीन पर कब्जे करके बनाए गए उनकी आड़ में मस्जिदें बना दी गई।
हल्द्वानी में अब्दुल मलिक का बगीचा भी इसका उदाहरण है जहां कुछ माह पहले हिंसा हुई थी। उत्तराखंड की बेशकीमती सरकारी जमीनों को योजनाबद्ध तरीके से धार्मिक चिन्ह बना कब्जा करने के षड्यंत्र चल रहे हैं। उत्तराखंड में चार सौ से अधिक मान्यता मदरसे हैं और तीन सौ से ज्यादा फर्जी मदरसे चलने की शिकायते हैं। इन मदरसों की जांच करने या मैपिंग करने के आदेश पहले भी हुए,जिस पर जिला प्रशासन,समाज कल्याण विभाग ने कभी गौर नहीं किया।
इसे भी पढ़ें: Uttarakhand: हिंदू महिला के साथ रेप का आरोपी डिप्टी जेलर नईम गिरफ्तार, अब निलंबन की है तैयारी
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने नौ नवम्बर को मुख्य सचिव को पत्र लिखकर दिल्ली आयोग कार्यालय में बुलाया था और उनसे हरिद्वार जिले में मदरसे में हिंदू बच्चों को पढ़ाए जाने पर सवाल पूछा था।
मुख्यसचिव के प्रतिनिधि के तौर पर मदरसा बोर्ड के उप रजिस्ट्रार पेश हुए थे जिनके जवाब से आयोग संतुष्ट नहीं हुआ। आयोग के अध्यक्ष ने चार दिन पूर्व देहरादून आकर कुछ मदरसों का औचक निरीक्षण किया और वहां खामियां पाई थी। आयोग अध्यक्ष श्री प्रियंक इस बात से खासे नाराज थे कि बार-बार निर्देशित किए जाने के बावजूद उत्तराखंड के जिलों में मदरसों की मैपिंग नहीं हुई,जबकि यूपी जैसे बड़े राज्य में ये काम पूरा हो चुका है। बहरहाल गढ़वाल मंडल के जिला अधिकारियों को 7 जून को और कुमायूं मंडल के सभी जिला अधिकारियों को 10 जून को दिल्ली आयोग कार्यालय में व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा गया है।
मुख्यमंत्री, मंत्री भी दे चुके हैं आदेश
उत्तराखंड में मदरसों की जांच के आदेश मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और समाज कल्याण मंत्री रहे नारायण रामदास भी दे चुके हैं। मंत्री श्री दास की मृत्यु हो चुकी है और ये मंत्रालय अभी सीएम के पास ही है। सीएम धामी के निर्देशों को भी जिला अधिकारियों ने गंभीरता से नहीं लिया है।
टिप्पणियाँ