उत्तराखंड ब्यूरो । देहरादून जिले में पछुवा दून इलाके में ग्राम सभाओं की जमीन खुर्दबुर्द करने के बाद बड़े बड़े खनन ठेकेदारों ने अब उत्तराखंड जल विद्युत निगम लि की सरकारी कॉलोनियों पर अवैध कब्जे कराने का अभियान शुरू किया है।
जानकारी के मुताबिक यूजेवीएनएल की विकास नगर क्षेत्र में बड़ी बड़ी कई सरकारी कॉलोनियां बनी हुई है। कुल्हाल, ढाली पुर, ढकरानी, डाक पत्थर, छिप्रो, लखवाड़ कॉलोनियों का निर्माण जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण के दौरान काम करने वाले मजदूरों और अधिकारियो के रहने के लिए किया गया था। इनमे सैकड़ो लोग रहते थे, परियोजना का काम पूरा होते ही बहुत से लोग यहां से चले गए। अब ये भवन खाली पड़े थे,जिनमे अब बाहर के लोगो को लाकर योजनाबद्ध तरीके से अवैध रूप से बसाया जा रहा है, ये अवैध कब्जे कोई और नहीं बल्कि स्थानीय मुस्लिम खनन ठेकेदार, आसपास के गांवों के ग्राम प्रधान करवा रहे है। ये वही ग्राम प्रधान है जिन्होंने ग्राम सभाओं की जमीन खुर्दबुर्द करते हुए यूपी बिहार के मुस्लिम तबके को अपने यहां बसाया और अब ये यहां की सरकारी जमीनों और भवनों पर कब्जे करवा रहे है।
यूजेवीएनएल के ए बी सी डी टाइप के मकानों की यदि जांच की जाए तो दूध का दूध पानी का पानी साफ हो जाएगा कि इनमे रह रहे लोग आखिर कौन है और ये कहां से आए है? क्या इनका जलविद्युत परियोजना से कोई वास्ता है?
ऐसा भी जानकारी में आया है कि इन कॉलोनियों में खाली पड़े खंडरनुमा डी टाइप कैटेगरी के वीरान भवनों सबसे पहले फल सब्जी नारियल पानी वाले और दूधिए लाकर बसाए गए, धीरे धीरे इन भवनों को मजबूत किया गया। कॉलोनी में बिजली पानी का भुगतान नहीं करना होता। इनकी संख्या अब सैकड़ो से बढ़ कर हजारों तक में पहुंच गई है।
कॉलोनी में कौन रहेगा कौन नही ये तय करने का काम यूजेवीएनएल के प्रबंधन का होता है जो कि इस समय रसूखदार लोगो के चंगुल में है।
जानकारी के मुताबिक डी कैटेगरी के बाद सी कैटेगरी के जर्जर भवनों पर कब्जे कराए गए। जानकारी के मुताबिक अब इस सरकारी कॉलोनी में सरकारी जमीन पर कब्जा कर बड़े बड़े आलीशान मकान भी खड़े होने लगे है।
शक्ति नहर किनारे हटाया था अतिक्रमण
धामी सरकार ने पिछले एक साल में दो बार ढकरानी शक्ति नहर किनारे करीब सात सौ भवनों का अतिक्रमण ध्वस्त किया गया था, यहां बाहर से आए लोगो ने पहले सरकारी जमीनों पर कब्जा कर झुगी झोपड़ियां बनाई उसके बाद पक्के निर्माण कर लिए थे। सरकार को यहां सौर ऊर्जा के प्रोजेक्ट पर काम करना था इस लिए नहर किनारे से अतिक्रमण हटाया गया।लेकिन अतिक्रमण करने वाले गए कहां? इस जवाब मिलता है कि उन्होंने उत्तराखंड जल विद्युत निगम लि की कॉलोनियों के अंदर खाली जर्जर पड़े भवनों को कब्जा लिया और उन्हे संरक्षण रसूखदार लोगो ने निगम के अधिकारियो से मिलीभगत करके दिया।
अभी भी उक्त नहर किनारे लोगो ने झोपड़ियां डाली हुई है,इसके पीछे वजह ये है कि यूजेवीएनएल ने अपनी भूमि को कब्जे में लेने के बावजूद तारबाड़ नही की और अतिक्रमण फिर से होने लगा है।
फल सब्जी दूध में बिक गए अधिकारी
ऐसा नहीं की इन अवैध कब्जो के बारे में यूकेजेवीएनएल के अधिकारियों अभियंताओं को इसकी जानकारी नहीं है,इन अधिकारियो के घरों में दूध फल सब्जी और अन्य सामान पहुंचाया जाता है और बदले में अधिकारी इन कब्जो पर आंखे मूंदे बैठे रहते है। इस अतिक्रमण में लखवाड जल विद्युत परियोजना से जुड़े एक अधिकारी की कथित तौर पर मिलीभगत सामने आई है जिसके पास यूजेवीएनएल का अतिरिक्त चार्ज है।
यूजेवीएनल के चेयरमैन है मुख्य सचिव
उत्तराखंड जलविद्युत निगम लि के चेयरमैन का दायित्व मुख्यसचिव राधा रतूड़ी के पास है और इसके सचिव मीनाक्षी सुंदरम है। इनके अधीनस्थ एक विभागीय ढांचा बना हुआ है।जिसकी लापरवाही या कहें संरक्षण की वजह से क्षेत्र में जनसंख्या असंतुलन बनता जा रहा है।
सीएम धामी ने कहा अतिक्रमण हटेगा
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि किसी भी सरकारी भूमि पर सरकारी भवनों में यदि अवैध कब्जा किया गया है तो वो खाली करवाया जायेगा। बेहतर है कि लोग खुद है जाए नही तो कब्जा हटाने के खर्चे को भी अतिक्रमण करने वाले से वसूला जाएगा।
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